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इस्लामाबाद में फौज-अवाम के बीच जंग, 'शूट एट साइट' का ऑर्डर... PAK में मचे बवाल की Inside Story

इस्लामाबाद के सबसे पॉश और सबसे हाई प्रोफाइल इलाके डी चौक और उसके इर्द-गिर्द इस वक्त जंग का मैदान बना है. इस इलाके में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट से लेकर संसद तक और यहां तक कि प्रधानमंत्री कार्यालय भी हैं, लेकिन हाथों में लाठी-डंडे और तमाम तरह के हथियार लिए हजारों लोग डी चौक की तरफ मार्च कर रहे हैं.

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इस्लामाबाद का सबसे पॉश इलाका डी चौक इस वक्त जंग का मैदान बना है.
इस्लामाबाद का सबसे पॉश इलाका डी चौक इस वक्त जंग का मैदान बना है.

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के सबसे पॉश और सबसे हाई प्रोफाइल इलाके डी चौक और उसके इर्द-गिर्द इस वक्त जंग का मैदान बना है. इस इलाके में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट से लेकर संसद तक और यहां तक कि प्रधानमंत्री कार्यालय भी हैं, लेकिन हाथों में लाठी-डंडे और तमाम तरह के हथियार लिए हजारों लोग डी चौक की तरफ मार्च कर रहे हैं. पुलिस से लेकर पाकिस्तानी फौज तक उन्हें रोकने की कोशिश में है, नतीजा राजधानी में गृहयुद्ध जैसे हालात हैं.

पाकिस्तान में अचानक से मचे इस बवाल के पीछे क्या और कौन सी वजह है, इसका एक-एक सच जानने से पहले ये जान लीजिए कि अब तक इस प्रदर्शन से इस्लामाबाद में क्या और कैसा नुकसान हुआ है? जानी नुकसान की बात करें तो इस प्रदर्शन और हमले में चार फौजी और दो पुलिस वालों समेत छह की मौत हो चुकी है, जबकि 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी समेत करीब 150 लोग जख्मी हो चुके हैं.

पाकिस्तान में चल रहे इस सारे बवाल के पीछे पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के चीफ़ और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की हिरासत है. इस्लामाबाद की एक अदालत ने उन्हें 5 अगस्त 2023 को तोशाखाना मामले में गुनहगार करार दिया था, जिसके बाद उन्हें इस्लामाबाद के ही उनके जमान पार्क वाले घर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. इसके बाद उन पर ताबड़तोड़ मुकदमों की शुरुआत हो गई. फिलहाल हालत ये है कि इमरान पर 200 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. वो पिछले अगस्त से ही जेल में बंद हैं. लेकिन अब नया बवाल उनकी रिहाई की मांग को लेकर शुरू हुए आंदोलन के चलते है.

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रविवार को इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर उनकी पत्नी बुशरा बीबी और खैबर पख्तूनख्वाह के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर की अगुवाई में हज़ारों पीटीआई समर्थकों ने इस्लामाबाद और खास कर डी चौक की तरफ कूच करने की शुरुआत की, जबकि पाकिस्तानी हुकूमत में उन्हें हर हाल में डी चौक की तरफ बढ़ने से रोकना चाहती थी और बस यहीं से बवाल की शुरुआत हो गई. असल में बुशरा बीबी और दूसरे नेता डी चौक पर ही धरना देना चाहते हैं. जबकि डी चौक ना सिर्फ देश का सबसे हाई प्रोफाइल इलाका है, बल्कि इन दिनों बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंर लुकाशेंको भी पाकिस्तान की यात्रा पर हैं.

ऐसे में पाकिस्तान की सरकार हर हाल में प्रदर्शनकारियों को इस हाई प्रोफाइल जोन से दूर रखना चाहती है और सारा बवाल इसी को लेकर है. प्रदर्शनकारी लगातार इस इलाके में घुसने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि सरकार कह रही है कि अगर प्रदर्शनकारियों ने उनकी बात नहीं मानी तो सरकार कोई भी कड़ा फैसला लेने में पीछे नहीं हटेगी. प्रदर्शनकारियों को डी चौक से दूर रखने के लिए पाकिस्तानी हुकूमत ने आस-पास के पूरे इलाके को बड़े बड़े कंटेनरों से पाट दिया है. पूरे इलाके में तकरीबन 700 से ज्यादा विशालकाय कंटेनरों को लगा कर सरकार प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश कर रही है.

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Pakistan violence

प्रदर्शनकारी पीछे हटते नजर नहीं आ रहे हैं. उनका कहना है कि यदि एक बार वो डी चौक पर कब्जा कर लेते हैं, तो सरकार के पास उनके नेता इमरान खान को आज़ाद करने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं बचेगा. हालात ये हैं कि प्रदर्शनकारी अब पुलिस और पाकिस्तानी रेंजर्स से सीधे टकराव पर उतारू हो चुके हैं. मंगलवार को पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने अपने एक्स आईडी से इस्लामाबाद का एक वीडियो शेयर किया. इसमें उन्होंने लिखा, ''हेलो हाऊ आर यू. वेलकम ऑन द कंटेनर. पीटीआई प्रोटेस्टर्स रिज्ड इन डी चौक, इस्लामाबाद.'' यानी आप कैसे हैं. आपका कंटेनर पर स्वागत है.

इस वीडियो में पीटीआई के सैकड़ों कार्यकर्ता ऊंचे-ऊंचे कंटेनरों पर जान हथेली पर लेकर चढ़ते और विरोध जताते हुए दिख रहे थे. फिलहाल पीटीआई के हजारों समर्थकों के साथ इस्लामाबाद में वहां की पुलिस और फौज की सीधी झड़प चल रही है. पार्टी ने सुरक्षाकर्मियों की गोली से अपने दो कार्यकर्ताओं की मौत का दावा भी किया है, जबकि हिंसा से निपटने के लिए सरकार ने राजधानी इस्लामाबाद में आर्टिकल 245 लागू कर दिया है. जिसके तहत प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. यहां तक कि सेना को कानून-व्यवस्था बरकार रखने के लिए किसी भी इलाके में कर्फ्यू लगाने की इजाजत दे दी गई है.

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पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी ने कहा है कि यदि प्रदर्शनकारी हाई सिक्योरिटी ज़ोन में घुसने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें अंजाम भुगतना पड़ेगा. क्योंकि ये इलाका पहले ही संवेदनशील है. इन दिनों बेलारूस के राष्ट्रपति मेहमान के तौर पर इस्लामाबाद के दौरे पर हैं. उधर, इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी का कहना है कि वो डी चौक के अलावा किसी और जगह धरने के लिए तैयार नहीं है. उनका कहना है कि जब तक इमरान की रिहाई नहीं होगी, तब तक ये मार्च खत्म नहीं होगा. ये उनकी नहीं बल्कि पूरे देश की लड़ाई है. इस आंदोलन को लेकर कानून व्यवस्था के बिगड़ने का खतरा तो खैर पहले से ही था. 

लेकिन ये बात तब और सही साबित हुई, जब प्रदर्शनकारियों ने श्रीनगर हाई वे पर सुरक्षाबलों पर ही गाड़ियां चढ़ा दीं, जिसे चार फौजी और दो पुलिस वालों की जान चली गई. इसके बाद गुस्साए लोगों ने शहर में प्रदर्शनकारियों को घुसने से रोकने के लिए लगाए गए कंटेनरों को को भी क्रेन और लिफ्टिंग मशीन के सहारे हटाना शुरू कर दिया. इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले भी दागे और गोलियां भी चलाईं. हालांकि इसके बावजूद प्रदर्शनकारी नहीं रुके और उन कंटेनरों पर भी चढ़ गए, जिनके ऊपर पाकिस्तान की फौज प्रदर्शनकारियों को ही दूर रखने के लिए तैनात थी.

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फिलहाल पाकिस्तान की सरकार ने 4 हजार से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया और शुक्रवार से ही इस्लामाबाद और आस-पास के इलाकों में इंटरनेट सेवा रोक दी गई है. हालात को देखते हुए सूत्रों का दावा है कि अब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई इस मामले में यूनाइटेड अरब अमीरात से दखल दिलाने की कोशिश कर रही है. आईएसआई चाहता है कि यूएई पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तानी फौज के बीच एक मध्यस्थ का रोल अदा करे और बातचीत के जरिए मामले का हल निकालने में मदद करे. हालांकि खबर ये भी है कि यूएई इसके लिए तैयार नहीं है.

उसे खबर है कि पाकिस्तानी फौज के प्रमुख आसिम मुनीर को लेकर पाकिस्तान के लोगों की राय कोई बहुत अच्छी नहीं है. ऐसे में यूएई भी खुद को इस झमेले से दूर रखना चाहता है. इन हालात में जब ना तो प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार हैं और ना पाकिस्तानी हुकूमत, आने वाले वक्त में हालात कैसे होंगे, ये पक्के तौर पर कोई नहीं जानता. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई के नाम पर हो रहे प्रदर्शन के चलते बेशक पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हों, लेकिन उनका वक्त भी लगातार खराब ही चल रहा है. सत्ता हाथ से फिसलने के साथ ही उनके बुरे दिनों की शुरुआत हो गई थी. 

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इस्लामाबाद की एक अदालत ने उन्हें 5 अगस्त 2023 को तोशाखाना मामले में गुनहगार करार दिया था, जिसके बाद उन्हें इस्लामाबाद के ही उनके जमान पार्क वाले घर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. और इसके बाद उन पर ताबड़तोड़ मुकदमों की शुरुआत हो गई. इमरान करीब एक साल से भी ज्यादा समय से रावलपिंडी की हाई सिक्योरिटी अदियाला जेल में बंद हैं. पिछले बुधवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें तोशाखाना मामले में जमानत दे दी थी, उसी मामले में जिसमें उन पर महंगे बुल्गारी सेट को सस्ते दाम पर खरीद लेने का आरोप था, लेकिन इसके कुछ घंटे बाद ही उन्हें रावलपिंडी पुलिस ने फिर से गिरफ्तार लिया. 

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ये गिरफ्तारी हुई उनके खिलाफ चल रहे आतंकवाद समेत दूसरे मामलों के मुकदमों को लेकर. असल में उनके खिलाफ ये केस 28 सितंबर को रावलपिंडी के न्यू टाउन थाने में दर्ज किया गया था. जिसमें उनकी गिरफ्तारी बाकी थी. लेकिन उनकी रिहाई के फौरन बाद जिस तरह से पुलिस ने उन्हें दोबारा गिरफ्तार किया, उससे उनके समर्थकों का गुस्सा भड़क गया. समर्थकों पहले ही ये मान कर चल रहे थे कि वहां की हुकूमत उनके नेता को परेशान कर रही है और उनकी गिरफ्तारी ने इस बात को और हवा दे दी. इसके बाद इमरान खान ने 28 सितंबर को जेल से ही एक विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया. 

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इसका उनके समर्थकों पर जबरदस्त असर हुआ. वो अपने-अपने घरों से निकलने लगे. इसके बाद खुद इमरान की पत्नी बुशरा बीबी पहली बार राजनीतिक और सार्वजनिक तौर पर सामने आई और उन्होंने प्रदर्शनकारियों से इमरान की आजादी तक आंदोलन जारी रखने की अपील की, जिसके बाद हज़ारों लोग इस्लामाद की तरफ कूच कर गए. हालांकि मामले को संभालने के लिए पाकिस्तान के केंद्रीय सूचना मंत्री अता तरार ने साफ किया कि उन्हें अभी आतंकवाद फैलाने समेत करीब 8 और मामलों में जमानत मिलना बाकी है, लेकिन इसके बावजूद लोगों का गुस्सा बरकार रहा. और लोग इस्लामाबाद की तरफ बढ़ते रहे.

अब बात पाकिस्तान में चल रहे प्रदर्शन के चलते पाकिस्तान को हो रहे नुकसान की. एक अनुमान के मुताबिक इस विरोध प्रदर्शन के कारण पाकिस्तान को हर रोज़ करीब 6 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. पाकिस्तन पहले ही कर्ज में डूबा है, ऐसे में ये नुकसान उसके लिए कंगाली में आटा गीला वाली बात है. इमरान खान ने अपने समर्थकों के लिए सोशल मीडिया पर लिखा 24 नवंबर गुलामी से आजाद होने का दिन है. देश को ये तय करना होगा कि उसे बहादुर शाह जफर की तरह गुलामी का जुआ पहनना है या फिर टीपू सुल्तान की तरह आज़ादी का ताज पहनना है. बस इसी के बात से लगातार इस्लामाबाद जल रहा है.

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पाकिस्तान के वित्त मंत्री औरंगजेब ने बताया है कि लॉक डाउन और विरोध प्रदर्शन के चलते हर रोज़ 190 बिलियन पाकिस्तानी रुपए यानी भारत के हिसाब से करीब 6 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है. विरोध प्रदर्शन की वजह टैक्स का कलेक्शन नहीं हो पा रहा है. कारोबार भी ठप हैं, जिससे दोहरा नुकसान हो रहा है. इसके अलावा निर्यात को जारी रखना भी एक चुनौती बन गया है.

आईटी, दूर संचार समेत दूसरे फील्ड में भी लगातार नुकसान से कुल नुकसान का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. वित्त मंत्रालय एक रिपोर्ट के हवाले से एआरवाई न्यूज ने बताया है कि पाकिस्तानी जीडीपी में 144 बिलियन, खेती बाड़ी में 26 बिलियन, इंडस्ट्री और दूसरे धंधों में करीब 20 बिलियन का रोज़ाना नुकसान देश की हालत को लगातार खस्ता कर रहा है. कैसे पाकिस्तान इस संकट से बाहर आता है, ये देखनेवाली बात है.

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