दिल्ली के जनकपुरी में चार ड्रग तस्करों को गिरफ्तार करते हुए पुलिस ने एक इंटरस्टेट ड्रग सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है. इस सिंडिकेट के लोग बहुत चालकी से पश्चिम बंगाल और दिल्ली के बीच गांजा की तस्करी कर रहे थे. ट्रॉली बैगों में छिपाई गई भारी खेपें बिना शक के दिल्ली तक पहुंच रही थी. इसके बाद दिल्ली-एनसीआर में इसकी सप्लाई की जा रही थी.
मंगलवार को एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ड्रग तस्करों के पास से 47 किलोग्राम से ज्यादा गांजा बरामद किया गया है. इसकी कीमत करीब 25 लाख रुपए आंकी गई है. गिरफ्तार आरोपियों में मुख्य सरगना की पहचान दिल्ली के सुभाष नगर के रहने वाले टोनी सिंह (47) और ओखला इंडस्ट्रियल एरिया की 38 वर्षीय संतोष उर्फ भाभी के रूप में की गई है.
इनके साथ पश्चिम बंगाल के कूच बिहार की रहने वाली सुल्ताना (30) और जलपाईगुड़ी की नूरजहां (32 ) को भी पुलिस ने पकड़ा है. . इन चारों के बीच भूमिकाओं की एक लंबी चेन थी, जो इस अवैध कारोबार को बेखौफ चलाती थी. इस ऑपरेशन की शुरुआत 9 नवंबर को उस वक्त हुई जब पुलिस को जनकपुरी डिस्ट्रिक्ट पार्क के पास गांजे की खेप की जानकारी मिली.
इस सटीक इनपुट के मिलने के बाद पुलिस की टीम बिना वक्त गंवाए मौके पर पहुंच गई. कुछ देर बाद तीन लोग ट्रॉली बैग लेकर पार्क की ओर आते दिखे. पुलिस को देखते ही वे घबरा गए, लेकिन पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए टोनी, सुल्ताना और नूरजहां मौके पर ही दबोच लिया. ट्रॉली बैग खोले गए तो उनमें से प्रतिबंधित सामान मिलने की पुष्टि हो गई.
इसी गिरफ्तारी ने पुलिस को उस महिला तक पहुंचाया जिसे दिल्ली में इस सिंडिकेट का केंद्रीय रिसीवर और सप्लायर कहा जाता था. पुलिस की पूछताछ में नाम सामने आते ही 12 नवंबर को पुलिस ने ओखला से संतोष उर्फ भाभी को भी गिरफ्तार कर लिया. बरामद गांजे का वजन किया गया और जरूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद उसे ज़ब्त कर लिया गया.
इस सिंडिकेट के लोगों के खिलाफ जनकपुरी पुलिस स्टेशन में एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है. पुलिस के मुताबिक, यह पूरा सिंडिकेट पश्चिम बंगाल और दिल्ली के बीच बेहद व्यवस्थित तरीके से काम करता था. पश्चिम बंगाल से थोक में कंसाइनमेंट भेजे जाते थे. इसी खेप को दिल्ली तक लाने की जिम्मेदारी सुल्ताना और नूरजहां उठाती थीं.
दोनों लंबी दूरी की ट्रेनों से सफर करतीं और ट्रॉली बैगों में गांजा छिपाकर राजधानी तक पहुंचाती थीं. दिल्ली में इनको संतोष उर्फ भाभी रिसीव करती थी. वह आगे अपने नेटवर्क में के जरिए इसे बेचती थी. वहीं टोनी सिंह स्थानीय नेटवर्क में एक अहम मददगार की भूमिका निभाता था और डिलीवरी पॉइंट से कनेक्शन संभालता था. पश्चिम बंगाल में मुख्य सप्लायर की तलाश की जा रही है.
शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि यह सिंडिकेट लंबे समय से सक्रिय था और कई बार कंसाइनमेंट बिना पकड़े दिल्ली तक पहुंच चुकी थी. इस मामले ने एक बार फिर दिखा दिया है कि ड्रग नेटवर्क किस तरह सरकारी सिस्टम की आम निगाहों से बचकर शहरों के बीच आवाजाही करता रहता है. दिल्ली पुलिस का दावा है कि इस गिरोह की रीढ़ तोड़ दी गई है.