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Delhi Crime: पैरोल के दौरान फरार अपराधी 2 साल बाद गिरफ्तार, इस जुर्म में मिली थी उम्रकैद की सजा

दिल्ली में बलात्कार और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 51 वर्षीय व्यक्ति को पैरोल के दौरान फरार होने के दो साल बाद गिरफ्तार किया गया है. अपराधी की पहचान शकूरपुर निवासी रमेश कुमार के रूप में हुई है. उसको जब अदालत ने तीन सप्ताह की पैरोल दी थी, तब वह मंडोली जेल में बंद था.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

दिल्ली में बलात्कार और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 51 वर्षीय व्यक्ति को पैरोल के दौरान फरार होने के दो साल बाद गिरफ्तार किया गया है. अपराधी की पहचान शकूरपुर निवासी रमेश कुमार के रूप में हुई है. उसको जब अदालत ने तीन सप्ताह की पैरोल दी थी, तब वह मंडोली जेल में बंद था. पैरोल खत्म होने के बाद आत्मसमर्पण करने की बजाय वो फरार हो गया था. 

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पैरोल के दौरान फरार हुए अपराधी रमेश कुमार की गिरफ्तारी के लिए कई टीमें गठित की गईं. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि वो शकरपुर आने वाला है. इसके बाद पुलिस ने जाल बिछाया और उसे देखते ही दबोच लिया. उसे गिरफ्तार करके वापस जेल भेज दिया गया है. फरार रहने के दौरान उसकी गतिविधियों का पता लगाने के लिए आगे की जांच चल रही है.

बताते चलें कि दिल्ली के जेलों से करीब 200 से ज्यादा कैदी फरार बताए जा रहे हैं. ये भी पैरोल के दौरान गायब हो गए. इनमें से 65 फीसदी कैदी हत्या के मामले में सजा पाए हुए हैं. इसी साल तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिल्ली पुलिस को 227 भगोड़ों की लिस्ट सौंपी थी. इसमें से 148 अपराधियों पर हत्या का केस चला था. पैरोल के दौरान भागने वालों में कई बड़े गैंगस्टरों और सीरियल किलर का नाम शामिल है.

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ऐसे ही एक सीरियल किलर चंद्रकांत झा को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. वो साल 2023 में उम्रकैद की सजा के बाद मिले 90 दिन की पैरोल के दौरान फरार हो गया था. उसने तिहाड़ जेल के आसपास हत्या की कई वारदातों को अंजाम दिया था. चंद्रकांत का क्राइम रिकॉर्ड बेहद खौफनाक रहा है, उसने हत्या के बाद शव के टुकड़े करके तिहाड़ जेल के आसपास फेंके थे. उसकी क्राइम हिस्ट्री बेहद खतरनाक रही है. 

चंद्रकांत झा ने साल 1998 से 2007 के बीच पश्चिमी दिल्ली में 8 लोगों की हत्या की थी. इस सिलसिले की शुरुआत साल 1998 में हुई थी. चंद्रकांत अपने शिकार से पहले दोस्ती करता था, फिर उन्हें मार डालता. उसने साल 2003 में शेखर और उमेश, 2005 में गुड्डू, 2006 में अमित और 2007 में उपेंद्र और दिलीप की हत्या की थी. वो बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों से दोस्ती करके उनको मार डालता था.

उसने जो हत्या की वारदातों को अंजाम दिया, उनका तरीका बेहद भयावह था. वह हत्या के बाद शव के टुकड़े करता था, फिर उन्हें तिहाड़ जेल के आसपास फेंक देता था. हर बार शव के पास एक चिट्ठी छोड़ता था, जिसमें लिखा होता था- 'मैंने हत्या की है, पकड़ सको तो पकड़ लो.' यह क्रिमिनल पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया था. उसकी गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस के लिए बड़ी सफलता थी. उसकी लंबे समय से तलाश थी.

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