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20 सिमकार्ड, 8 मोबाइल और 6 फर्जी नाम... डॉक्टर के हत्यारे को पुलिस ने नेपाल बॉर्डर से धर दबोचा

आरोपी की पहचान विष्णुस्वरूप शाही के रूप में हुई है, जिसे पुलिस टीम द्वारा 1,600 किलोमीटर तक पीछा करने के बाद 2 नवंबर को भारत-नेपाल सीमा से हिरासत में लिया गया. आरोपी लगातार ठिकाने बदल रहा था और उसने छह बार नाम बदला था.

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दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने 2 नवंबर की सुबह बनबसा से आरोपी को गिरफ्तार किया (फोटो: X/ @CrimeBranchDP)
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने 2 नवंबर की सुबह बनबसा से आरोपी को गिरफ्तार किया (फोटो: X/ @CrimeBranchDP)

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 63 वर्षीय चिकित्सक डॉ. योगेश चंद्र पॉल की हत्या और डकैती के मामले में एक प्रमुख आरोपी को गिरफ्तार किया है. डॉ. पॉल मई में जंगपुरा एक्सटेंशन स्थित अपने घर में मृत पाए गए थे. आरोपी ने पुलिस को चकमा देने के लिए आठ मोबाइल फोन और 20 सिम कार्ड का इस्तेमाल किया था.

आरोपी की पहचान विष्णुस्वरूप शाही के रूप में हुई है, जिसे पुलिस टीम द्वारा 1,600 किलोमीटर तक पीछा करने के बाद 2 नवंबर को भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया. आरोपी लगातार ठिकाने बदल रहा था और उसने छह बार नाम बदला था.

इस दौरान आरोपी ने कई फर्जी दस्तावेज भी बनाए और पुलिस को उसके पास से विष्णु, शक्ति साई, सत्य साई, सूर्य प्रकाश, गगन ओली और कृष्णा नाम के कागजात मिले हैं. माना जाता था कि वही डॉ. पाल हत्याकांड का मास्टरमाइंड है, अपने चार अन्य साथियों के साथ वह कई महीनों तक पुलिस की आंख में धूल झोंककर बचने में कामयाब रहा.

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ऐसे पकड़ में आया आरोपी
शाही को पकड़ने के अपने प्रयासों में, जांचकर्ताओं ने फोन रिकॉर्ड का विश्लेषण किया और यह बात सामने निकलकर आई कि पकड़े जाने से बचने के लिए उसने लगभग आठ फोन और 20 से अधिक सिम कार्ड बदले थे. सर्विलांस के बाद पुलिस हिमाचल प्रदेश की सुकेत घाटी पहुंची, लेकिन जब तक टीम वहां पहुंची तो शाही वहां से भाग चुका था.

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यहां से वह देहरादून भाग गया. आखिरी बार शाही को नेपाल सीमा की ओर जाने वाली बस में चढ़ते हुए देखा गया था. लगातार पीछा करने के बाद, क्राइम ब्रांच की टीम ने 2 नवंबर की सुबह नेपाल सीमा पर बनबसा से उसे पकड़ लिया.

आरोपी ने डकैती की योजना कैसे बनाई?
पूछताछ के दौरान शाही ने खुलासा किया कि डॉ. की घरेलू सहायक बसंती ने उनके घर पर कीमती नकदी और आभूषणों के बारे में बताया था. शाही और उसके साथी भीम जोरा ने जोरा की पत्नी के साथ मिलकर कथित तौर पर संपत्ति की जानकारी लेने के बाद डकैती की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया.

चोरी की घटना हिंसक हो गई और डॉ. पॉल की हत्या कर दी गई. इसके बाद शाही और उसका गिरोह नेपाल भाग गया और लूटी गई नकदी और आभूषणों को आपस में बांट लिया. शाही को कथित तौर पर लूट से 40,000 रुपये और 13 ग्राम सोना मिला.

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शाही की क्राइम कुंडली
नेपाल के कालीकोट का रहने वाला शाही भारत में कई आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे चुका है. उसे सबसे पहले 2018 और 2020 में हिमाचल प्रदेश के सोलन में NDPS एक्ट के तहत ड्रग तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जमानत मिलने के बाद भी वह कोर्ट में पेश नहीं हुआ और बाद में उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया.

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कथित तौर पर उसने जांच एजेंसियों से बचने के लिए कई पहचान और फर्जी आईडी का इस्तेमाल किया है. पुलिस ने गिरफ्तारी के समय शाही के पास से चार मोबाइल फोन और विभिन्न नामों वाले कई फर्जी पहचान दस्तावेज बरामद किए.

शाही, जिसने केवल पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की है. वह घरेलू सहायकों को मुखबिर के रूप में इस्तेमाल करता था और फिर मूल्यवान संपत्तियों वाले लक्ष्यों की पहचान कर वहां निशाना बनाता था. पुलिस क्षेत्र भर में अन्य अपराधों के संभावित लिंक की जांच कर रही है.

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मई में हुई थी डॉ. पाल की हत्या

आपको बता दें कि इसी साल मई में दिल्ली के पॉश इलाके जंगपुरा में 63 साल के डॉक्टर योगेश चन्द्र पॉल की हत्या कर दी गई थी. डॉक्टर योगेश का शव जंगपुरा सी ब्लॉक स्थित उनके घर के किचन में पाया गया. मृतक पेशे से जनरल फिजिशियन थे और अपनी पत्नी डॉ. नीना पॉल के साथ रहते थे, जो दिल्ली सरकार के अस्पताल में डॉक्टर हैं. इस दौरान डॉक्टर पॉल के पालतू कुत्ते को कमरे में बंद कर दिया गया. इस वारदात को शुक्रवार दोपहर के वक्त अंजाम दिया गया.

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