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छत्तीसगढ़ के सुकमा में 33 नक्सलियों का सरेंडर, 17 पर घोषित है 49 लाख रुपए का इनाम

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में शुक्रवार को कम से कम 33 नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. इनमें से 17 नक्सलियों पर 49 लाख रुपए का इनाम था. पुलिस ने बताया कि 9 महिलाओं समेत 22 नक्सलियों ने राज्य पुलिस और सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में शुक्रवार को कम से कम 33 नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. इनमें से 17 नक्सलियों पर 49 लाख रुपए का इनाम था. पुलिस ने बताया कि 9 महिलाओं समेत 22 नक्सलियों ने राज्य पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया, जबकि बाद में दो महिलाओं समेत 11 अन्य ने सरेंडर किया.

सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने "खोखली", "अमानवीय" माओवादी विचारधारा और स्थानीय आदिवासियों पर अत्याचारों से निराशा जताई. उन्होंने बताया कि वे राज्य सरकार की 'नियाद नेल्लनार' (आपका अच्छा गांव) योजना से भी प्रभावित हैं. इसका उद्देश्य दूरदराज के गांवों में विकास कार्यों को सुविधाजनक बनाना है. नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति है.

उन्होंने बताया कि माओवादियों के माड़ (छत्तीसगढ़) और नुआपाड़ा (ओडिशा) डिवीजनों में 22 आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली सक्रिय हैं. माओवादियों के माड़ डिवीजन के तहत पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) कंपनी नंबर 1 में डिप्टी कमांडर मुचाकी जोगा (33) और उसी दस्ते की सदस्य उसकी पत्नी मुचाकी जोगी (28) शामिल हैं. इन पर 8-8 लाख रुपए का इनाम है. अन्य नक्सलियों में किकिद देवे (30) और मनोज उर्फ ​​दुधी बुधरा (28) शामिल हैं, जो माओवादियों के एरिया कमेटी के सदस्य हैं. इन पर 5-5 लाख रुपए का इनाम है.

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एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सात नक्सलियों पर 2-2 लाख रुपए का इनाम है, जबकि एक अन्य नक्सली पर 50 हजार रुपए का इनाम है. आत्मसमर्पण करने वाले अन्य नक्सली सुरक्षा बलों पर कई हमलों में भी शामिल थे. जिला पुलिस, जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), सीआरपीएफ और इसकी विशिष्ट इकाई कोबरा ने उनके आत्मसमर्पण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. फुलबगड़ी पुलिस स्टेशन की सीमा के अंतर्गत बड़ेसत्ती ग्राम पंचायत में 11 अन्य आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली सक्रिय थे.

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही बड़ेसत्ती एक नक्सल-मुक्त ग्राम पंचायत बन गई . नई छत्तीसगढ़ नक्सल आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत और पुनर्वास नीति-2025 के तहत, राज्य सरकार ने 'एलवद पंचायत योजना' शुरू की है. इसमें उन ग्राम पंचायतों को 1 करोड़ रुपए के विकास कार्यों को मंजूरी देने का प्रावधान है, जो अपने क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों के आत्मसमर्पण की सुविधा प्रदान करते हैं. इसकते साथ ही खुद को माओवादी मुक्त घोषित करने का प्रस्ताव पारित करते हैं.

एसपी ने कहा, "पिछले 15 दिनों से पुलिस बड़ेसत्ती गांव को निशाना बना रही है. प्रतिबंधित संगठन के मिलिशिया और क्रांतिकारी पार्टी समिति जैसे ग्राम-स्तरीय सदस्यों को आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों के संपर्क में है. यहां सक्रिय 11 नक्सलियों की पहचान की गई है. उनके आत्मसमर्पण के साथ ही पंचायत माओवाद-मुक्त हो गई है. सभी नक्सलियों को 50 हजार रुपए की सहायता प्रदान की गई है. सरकार की नीति के अनुसार उनका पुनर्वास किया जाएगा.''

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पिछले साल सुकमा सहित सात जिलों वाले बस्तर क्षेत्र में 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था. इससे पहले 7 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में 26 नक्सलियों ने पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने सरेंडर किया था. दंतेवाड़ा के एसपी गौरव रॉय ने बताया था कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली जनमिलिशिया, रिवोल्यूशनरी पार्टी कमेटी, जनताना सरकार, दंडकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संघठन और चेतना नाट्य मंडली से जुड़े हुए थे. 

इन 26 नक्सलियों में तीन इनामी भी शामिल हैं. राजेश कश्यप, जो आमदई क्षेत्र में जनमिलिशिया कमांडर था, उस पर 3 लाख का इनाम था. वहीं, जनताना सरकार स्क्वाड के प्रमुख कोसा मड़वी पर 1 लाख और छोटू कुंजाम पर 50 हजार का इनाम घोषित था. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस आत्मसमर्पण अभियान में सीआरपीएफ की 111वीं, 195वीं, 230वीं और 231वीं बटालियन और स्थानीय खुफिया इकाइयों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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