शुक्र है सोशल मीडिया का जिसने कम से कम यूपी पुलिस को चेहरे के साथ-साथ ज़ुबान भी दे दी. ये कैमरे की करामात ही थी कि हम सबने यूपी पुलिस की ठांय-ठांय से लेकर टगबग-टगबग सब कुछ देख लिया. पर कहीं ना कहीं लग रहा था कि अब भी कुछ कमी है. तो लीजिए ये कमी भी यूपी पुलिस के एक दरोगा साहब ने पूरी कर दी. दरोगा साहब बाकायदा वर्दी धारण किए अपने ही कैमरे पर खुद को ही शूट करते हुए अपने सीनियर पुलिस अफसर की शान में जो डायलॉग मार रहे हैं, अगर आपने वो ना सुना तो फिर क्या सुना.
यूपी पुलिस के हुड़-हुड़ दबंग दरोगा सचिन दयाल चौधरी का वीडियो खूब वायरल हो रहा है और उसका ये डायलॉग भी. दरोगा कहता है कि अगर वो मेरे सामने पड़ गए तो सरकारी पिस्टल से सीधी गोली मारुंगा.
यानी एक बात तो साफ है कि मुरादाबाद पुलिस का ये दरोगा ऑन द स्पॉट फैसला करता है. अब तो ये जानना बनता है कि दरोगा साहब किसकी शामत लाने वाले हैं. तो सुनिए यूपी पुलिस का ये दरोगा किसी चोर उचक्के या बदमाश को नहीं धमका रहा है. बल्कि वो सीधे अपने बॉस सीओ साहब को धमकी दे रहा है. या तो मेरा ट्रांसफर कर दो या सीओ का. वरना सीधी गोली मारुंगा.
तो धमकी साफ है. वो भी एक पुलिसवाले का एक पुलिसवाले के नाम. बच सको तो बच लो. वरना गोली तो सीधी मारेंगे. अंजाम की परवाह नहीं. क्योंकि विधायक सांसद और मंत्री तो जेब में हैं ही. यूपी पुलिस के डीजीपी से भी इनकी सीधे राम राम है.
दबंग दरोगा जी बता रहे हैं कि उनके घर में विधायक सांसद और मंत्री हैं. और सूबे के डीजीपी ओपी शर्मा से उनकी सीधी बातचीत है.
वैसे बस एक डायलॉग सही कर लीजिए. यूपी पुलिस के डीजीपी ओपी शर्मा नहीं बल्कि ओपी सिंह साहब हैं. बहरहाल ये तो बताइये आपके सीनियर अधिकारी और सीओ देवेंद्र यादव से आपकी आखिर ऐसी क्या बात हो गई जो आप उन्हें सरकारी पिस्टल से सीधे गोली मारने पर आमादा हैं. दरोगा जी ने बात शुरू की. वह मूलरूप से मेरठ के निवासी हैं.
जी हम सुन रहे हैं. पहले आप पान मसाला थूक लीजिए. हम तो आपकी बात सुनने के लिए ही बैठे ही हैं. हां अब बोलिए. मसाला थूकते हुए दरोगा जी वीडियो में बता रहे हैं कि कल सुबह एक छोटी सी बात हो गई. सुबह 7 बजकर 45 मिनट 68 सेकेंड पर.
तो सुना आपने. मुरादाबाद के इस हुड़-हुड़ दबंग दरोगा ने घड़ी में वो बजा दिया. जो घड़ी बनाने वाला भी नहीं बजा पाया. 7 बजकर 45 मिनट और 68 सेकेंड. जी दरोगा जी यही बता रहे हैं कि कल सुबह एक छोटी सी बात हो गई. सुबह 7 बजकर 45 मिनट 68 सेकेंड पर.
अब आप ही बताएं. क्या दुनिया का कोई आदमी घड़ी में सेकेंड की सुई से 68 बजा सकता है. नहीं ना. इसीलिए तो कहते हैं.. जो कहीं नहीं हो सकता. जो कोई नहीं कर सकता. वो यूपी पुलिस करती है. खैर.. दरोगा जी आप अपनी कहानी जारी रखिए, हम सुन रहे हैं.
दरोगा जी ने कहानी चालू की. "मैं अपनी निजी गाड़ी से जा रहा था. गाड़ी संख्या- एचआर 26 एस 7788 है."
अरे फिर से कहां चल दिए. ये पान मसाला बहुत परेशान कर रहा है दरोगा जी. एक काम कीजिए उगालदान रख लीजिए. बार बार उठकर थूकने का झंझट ही खत्म हो जाएगा. या फिर गुटखा छोड़ ही दीजिए. अच्छी आदत नहीं है. खैर आगे बताइए.
अब दरोगा जी बोले- मेरी गाड़ी बंद हो गई. कुछ दिक्कत थी, गाड़ी ने बैक मार दिया और सीओ साहब की गाड़ी आ रही थी, उनसे लड़ गई.
अच्छा.. लेकिन मुरादाबाद पुलिस लाइन के बाहर तो आप कह रहे थे. उल्टे सीओ साहब ने आपकी गाड़ी को टक्कर मार दी थी. आपने कहा कि सुबह 7 बजकर 45 मिनट और 48 सेकेंड पर सीओ साहब ने मेरी गाड़ी में टक्कर मार दी थी.
अरे अभी तो दरोगा साहब आप कह रहे थे कि आपकी गाड़ी गलती से सीओ साहब की गाड़ी से टकरा गई थी. और अब आप कह रहे हैं कि सीओ साहब ने आपकी गाड़ी में टक्कर मार दी. खैर जाने दीजिए आप कहानी जारी रखिए.
हां तो आप कह रहे थे कि आपकी गाड़ी गलती से सीओ साहब की गाड़ी से टकरा गई. फिर.. दरोगा जी कहते हैं "मैंने हाथ जोड़ पैर पकड़े रोया. माफी मांगी"
समझ में नहीं आता कि खाने की चीज आप थूकते क्यों हैं और थूकने की चीज खाते क्यों हैं. खैर आगे बताइए. दरोगा के मुताबिक उन साहब ने उनसे कहा कि बेटा तेरा नाम क्या है.
अच्छा तो सरकारी पिस्टल से सीधे गोली मारने की कहानी ये है. लेकिन आपके बयान थोड़े घुमा रहे हैं. एक कैमरे के सामने तो आप धमकी देते हैं. और दूसरे कैमरे के सामने आप मज़लूम बन जाते हैं.
असल में तो हुआ ये था कि ये दरोगा साहब अपनी पर्सनल गाड़ी से मुरादाबाद की पुलिस लाइन में घूम रहे थे. और गाड़ी बैक करते वक्त इनकी गाडी इनके सीनियर पुलिस अधिकारी सीओ देवेंद्र यादव की सरकारी गाड़ी से टकरा गई. और फिर दरोगा जी अपने सीनियर से ही भिड़ गए.
दरोगा जी कहते हैं कि वो मेरे ऊपर हाथ छोड़ने वाले थे. वो शायद मुझे गोली मार देते. जब पूछा गया कि दरोगा जी आखिर माजरा था क्या. ज़रा क्लियर तो कीजिए. आप चाहते क्या हैं..? या तो मेरी पोस्टिंग करा दो. या उनकी कर दो.. वरना मुझसे कहें कि बेटा छोड़ दे जाने दे.
मतलब सीओ साहब माफी मांगेंगे. तो दरोगा जी उन्हें माफ करने को तैयार हैं. फिर सीओ साहब को सीधी गोली खाने का खतरा नहीं रहेगा. लेकिन अगर सीओ साहब ने माफी नहीं मांगी तो आप जानते हीं हैं. विधायक, सांसद, मंत्री यहां तक कि यूपी पुलिस के डीजीपी तक दरोगा जी की जेब में हैं.
यूपी पुलिस के डीजीपी से मुलाकात तो खैर आपकी हो ही जाएगी. आखिर घर की बात जो है. मगर आपकी मुलाकात हो तो हमें भी बताइएगा. हम सब बेताब हैं ये जानने को कि आपकी खातिरदारी में डीजीपी साहब से कोई कमीं तो नहीं रह गई.