एक ऐसी साज़िश की कहानी जिसके सिरे यूपी के तीन शहरों में फैले थे. एक शहर में एक औरत और उसके बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट तो दो अलग-अलग शहरों में पुलिस को दो बुरी तरह से जली हुई लाशें मिलती है. तीनों शहर की पुलिस अपने-अपने तरीके से इन तीन अलग-अलग मामलों की तफ्तीश शुरु कर देती है. लेकिन उस वक्त उसे भी इस बात का इल्म नहीं होता कि तीन शहरों में बिखरी ये तमाम कड़ियां एक रोज़ आपस में मिलने वाली हैं.
12 जनवरी 2014 को यूपी के शहर संभल में एक कोल्ड स्टोरेज के नज़दीक पुलिस को एक लड़की की लाश मिलती है. लाश बुरी तरह जली हुई थी जिसे देख कर मरनेवाली की शिनाख़्त कर पाना भी नामुमकिन हो रहा था. ऐसे में पुलिस लाश को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाती है और आस-पास के इलाके से ग़ायब हुई कुछ लड़कियों के बारे में पता करना शुरू कर देती है. लेकिन काफ़ी कोशिश के बावजूद उसे ऐसा कोई भी नहीं मिलता, जो लाश को पहचानने का दावा कर सके.
इत्तेफ़ाक से संभल से ठीक सौ किलोमीटर के फ़ासले पर अलीगढ़ पुलिस को अपने इलाके में इसी रोज़ एक नौजवान की लाश मिली और ये लाश भी संभल वाली लाश की तरह ही बुरी तरह जली हुई थी. ज़ाहिर है, संभल में हुए क़त्ल की तरह ही इस मामले में क़ातिल ने नौजवान की जान लेने के बाद उसकी पहचान छिपाने के लिए लाश को जला दिया था. और ठीक संभल पुलिस की तरह ही अलीगढ़ पुलिस भी इस लाश की पहचान की तमाम कोशिशें कर थक जाती हैं. बाद में पुलिस पोस्टमार्टम के बाद इन दोनों लाशों को लावारिस मान कर उनका अंतिम संस्कार कर दिया.
उधर, इन दोनों ही शहरों से ठीक 107 किलोमीटर दूर ग़ाज़ियाबाद से दो लोग ठीक एक रोज़ पहले यानी 11 जनवरी को बेहद रहस्यमयी तरीक़े से ग़ायब हो जाते हैं. इनमे एक है 37 साल की महिला बेनज़ीर, जबकि दूसरा उसका 17 साल का बेटा सलमान. यहां दोनों की गुमशुदगी से हैरान बेनज़ीर और सलमान के घरवाले उन्हें बुरी तरह तलाश रहे होते हैं. कभी रिश्तेदारों के यहां, कभी अस्पतालों में तो कभी पुलिस थाने में. लेकिन घरवालों की इस कोशिश का कोई ख़ास फ़ायदा नहीं होता.
पहले तो पुलिस बेनज़ीर और सलमान के घरवालों को उनके अपने-आप वापस लौट आने की बात कह कर टालने की कोशिश करती है, लेकिन जब घरवाले दोनों की गुमशुदगी को किसी साज़िश का नतीजा बता कर उनके दुश्मनों के नाम गिनाते हैं, तो जैसे पुलिस भी नींद से जाग उठती है. तीन दिन बाद दोनों की गुमशुदगी मामला दर्ज कर तफ़्तीश शुरू कर दी जाती है.
दरअसल बेनज़ीर ग़ाज़ियाबाद के इस्लाम नगर में अपने बच्चों के साथ अकेली रहती थी. उसका अपने पति आबिद अली से कई साल पहले ही अलगाव हो चुका था लेकिन 11 जनवरी को वो अपने बेटे सलमान के साथ जिन हालात में गायब हुई, वो बात आस-पास के तमाम लोगों के लिए भी किसी पहेली से कम नहीं थी. ग़ाज़ियाबाद में बेनज़ीर और सलमान के तमाम रिश्तेदार दोनों के गायब होने के बाद से ही सकते में थे.
पहले तो पुलिस ने दोनों की गुमशुदगी को हल्के तौर पर लिया था, लेकिन जब बेनज़ीर के रिश्तेदारों ने उसके दुश्मन के तौर पर पास ही रहनेवाले एक नौजवान वसीम का नाम लिया, तो पुलिस के कान भी खड़े हो गए फिर पुलिस ने वसीम के बारे में पता लगाना शुरू किया. ये वही वसीम था, जो बेनज़ीर के शौहर आबिद अली के अलग होने के बाद बेनज़ीर के क़रीब आ चुका था. दूसरे लफ़्ज़ों में कहें तो वसीम और बेनज़ीर कभी एक-दूसरे से बेइंतेहा प्यार किया करते थे. लेकिन अजीब बात ये थी कि अब बेनज़ीर के घरवाले इस वसीम को बेनज़ीर और उसके बेटे की गुमशुदगी के लिए ज़िम्मेदार बता रहे थे. उधर, कई रोज़ गुज़र जाने के बावजूद पुलिस को वसीम के बारे में कुछ भी पता नहीं चल रहा था. दरअसल, वसीम और उसके कुछ दोस्त इन दोनों की गुमशुदगी की ख़बर आम होने के साथ ही ग़ाज़ियाबाद से बाहर जा चुके थे. ऐसे में पुलिस का शक वसीम पर और भी गहरा हो गया.
अब बेनज़ीर और वसीम के मौत की बात तकरीबन साफ़ हो चुकी थी. साफ़ हो चुका था कि दोनों का क़त्ल किया जा चुका है. इसी बीच ग़ाज़ियाबाद पुलिस को ये भी पता चल गया कि संभल और अलीगढ़ में दोनों की गुमशुदगी की ठीक बाद दो लावारिस लाशें मिली थीं, जो बुरी तरह जली हुई थी और अंतिम संस्कार से पहले दोनों की पहचान भी नहीं हो सकी थी. लेकिन एक डबल मर्डर के इन तमाम सिरों को जोड़ कर पूरी कहानी का पता करने के लिए इस साज़िश के सबसे अहम किरदार यानी वसीम तक पहुंचना पुलिस के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी था.
उधर, वसीम अपने पीछे पुलिस पड़ी होने की भनक पाकर पहले ही अपने दोस्तों के साथ ग़ाज़ियाबाद से दूर जा चुका था. पुलिस ने वसीम और उसके दोस्तों के मोबाइल फ़ोन सर्विलांस पर लगा दिए और इत्तेफ़ाक से उसकी तरकीब काम कर गई. गाज़ियाबाद पुलिस को उनके लोकेशन का पता चल गया और जल्द ही वसीम और उसका गैंग सलाखों के पीछे था. लेकिन इसके बाद इन मुल्ज़िमों ने पुलिस को बेनज़ीर और सलमान की जो कहानी सुनाई, उसे सुन कर सबके रौंगटे खड़े हो गए.
पूछताछ के दौरान वसीम ने पहले तो पुलिस को उलझाने की कोशिश की, लेकिन जल्द ही उसके सवालों के सामने वसीम ने हथियार डाल दिए. उसने सच उगलना शुरू कर दिया. अब वसीम बोल रहा था और पुलिस सुन रही थी. ये एक मां-बेटे के क़त्ल की रौंगटे खड़े करनेवाली दास्तान थी. जिसमें वसीम समेत कुल पांच लोग शामिल थे.
कैसे रची गई साजिश
तारीख़ 11 जनवरी 2011
जगह शास्त्रीनगर, दिल्ली
वक़्त सुबह के 11 बजे
इस रोज़ बेनज़ीर के मोबाइल पर उसकी एक पुरानी सहेली शबनम का फ़ोन आया था. वही शबनम, बेनज़ीर जिसके साथ कभी ब्यूटी पार्लर में काम किया करती थी. दोनों पक्की सहेलियां थीं और इत्तेफ़ाक से शबनम, बेनज़ीर के ब्वॉयफ्रैंड रहे वसीम की मुंहबोली बहन भी थी. लेकिन जब बेनज़ीर को उसकी अज़ीज़ सहेली ने फ़ोन पर शास्त्रीनगर में एक नए ब्यूटी पार्लर के उद्घाटन के लिए दावत दी, तो बेनज़ीर को दूर-दूर तक अपनी सहेली पर कोई शक नहीं हुआ और वो फ़ौरन तैयार हो गई और अपने बेटे सलमान के साथ शबनम की दावत में शामिल होने घर से निकल गई. लेकिन ये बेनज़ीर की एक ऐसी ग़लती थी, जिसने उन दोनों को मौत के मुंह में पहुंचा दिया.
ब्यूटी पार्लर के उद्घाटन के बहाने शबनम ने अपनी सहेली बेनज़ीर और सलमान को ऐसी कोल्ड ड्रिंक पिलाई कि दोनों बेहोश हो गए. इस कोल्ड ड्रिंक में नशा मिला था. अपने भाई वसीम के साथ साज़िश में शामिल शबनम अपने इरादे में क़ामयाब हो चुकी थी.
क़ातिल बेहोश बेनज़ीर और सलमान को लेकर महेंद्रा एनक्लेव के मकान में पहुंचे और फिर गला रेत कर मां-बेटे की जान ले ली. वसीम और उसके साथियों ने लाशों को कपड़े में लपेटा और उन्हें ठिकाने लगाने बाहर निकल पड़े. सबसे पहले वो संभल पहुंचे और वहां गवां रोड पर मौजूद एक कोल्ड स्टोरेज के पास की सुनसान जगह पर बेनज़ीर की लाश फेंक कर उसे आग के हवाले कर दिया. मकसद था, लाश के चेहरे को इस कदर बिगाड़ना की पहचान नामुमकिन हो और क़त्ल हमेशा-हमेशा के लिए पुलिस के लिए पहेली बन कर रह जाएं. बेनज़ीर की लाश को ठिकाने लगाने के बाद क़ातिल सलमान की लाश को ठिकाने लगाने के लिए संभल से सीधे अलीगढ़ पहुंचे और और वहां अतरौली रोड पर उसने सलमान की लाश के साथ भी वही सुलूक किया, जो उसकी मां की लाश के साथ किया था. इसके बाद क़ातिल इस राज़ के हमेशा-हमेशा के लिए दफ्न हो जाने का भरम पाल चुके थे लेकिन चंद रोज़ में कुछ ऐसा हुआ कि सारा भांडा फूट गया.