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Inside Story: गाजा नहीं इस देश में छुपकर रहता है हमास का मुखिया, 16 साल में इजरायल पर किए चार बड़े हमले

गाजा पट्टी कभी किसी अच्छी वजह से नहीं बल्कि लड़ाई, बमों की बारिश, हमले और मारे जाते लोगों की खबरों के चलते चर्चाओं में रहा है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर गाजा पट्टी के साथ ऐसा क्यों है? आखिर क्या खास है इस इलाके में? आखिर कौन निशाना बनाता है इस इलाके को? क्यों यहां रहने वाले लोग हर जंग में दो पाटों के बीच बुरी तरह से पिस जाते हैं?

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हमास का मुखिया इस्माइल हनियेह गाजा में नहीं रहता है
हमास का मुखिया इस्माइल हनियेह गाजा में नहीं रहता है

Israel Hamas War: तारीख गवाह है इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जब-जब जंग छिड़ी है, इजरायल के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से पर मौजूद गाजा पट्टी इलाके ने अपने सीने पर सबसे ज्यादा जख्म खाये हैं. करीब 45 किलोमीटर लंबे और 6 से 10 किलोमीटर चौड़े इस इलाके ने जितने बम, जितने रॉकेट और जितनी मौत देखी हैं, दुनिया के शायद ही किसी दूसरे हिस्से ने देखी हों.

गाजा पट्टी क्यों बनता है निशाना?
गाजा पट्टी. पूरी दुनिया की कई पुश्तें ये नाम सुन-सुन कर बड़ी हो गईं, लेकिन कभी किसी अच्छी वजह से नहीं बल्कि यहां होती लड़ाई, बमों की बारिश, हमले और मारे जाते लोगों की खबरों के चलते. लेकिन सवाल ये है कि आखिर क्यों है गाजा पट्टी के साथ ऐसा? आखिर क्या खास है इस इलाके में? आखिर कौन निशाना बनाता है इस इलाके को? क्यों यहां रहने वाले लोग हर जंग में दो पाटों के बीच बुरी तरह से पिस जाते हैं? तो आज आपको इसी गाजा पट्टी की बुनियाद के रखे जाने से लेकर इसके तिल-तिल कर तबाह होने की पूरी कहानी बताएंगे.

ऐसे वजूद में आया गाजा पट्टी
अतीत के झरोखे में झांकें तो गाजा पट्टी का इतिहास कोई 75 साल पुराना है. जब इजरायल की बुनियाद रखे जाने के साथ-साथ गाजा पट्टी की भी नींव रखी गई. असल में दुनिया भर में यहूदियों के पहले और इकलौते देश इजरायल के गठन के साथ ही एक अर्मिस्टाइस रेखा खींची गई थी, जिसके तहत गाजा पट्टी में सुन्नी मुस्लिमों को बसाया गया. इसी समझौते के तहत ये भी तय हुआ कि गाजा पट्टी के इस इलाके में इजरायल के अरब मुस्लिमों की बसावट होगी, जबकि यहूदी इजरायल में रहेंगे. तब इस इलाके पर मिस्र का अधिकार हुआ करता था. लेकिन 1967 में इजरायल और अरब देशों के बीच हुई कब्जे की जंग में जमीन का ये हिस्सा मिस्र के हाथों से निकल कर इजरायल के पास चला गया और इसी के साथ गाजा पट्टी की किस्मत नए सिरे से लिखी जाने लगी.

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फिलिस्तीन के अधीन स्वायत शासी इलाका था गाजा
अगर और पीछे लौट कर देखें, तो 1918 से 1948 तक इस पर ब्रिटेन का कब्जा था, जबकि उससे पहले इस इलाके पर ऑटोमन साम्राज्य की हुकूमत हुआ करती थी. लेकिन इजरायल के कब्जे में आने के बाद गाज़ा पट्टी को 1993 में हुए ओस्लो समझौते के तहत फिलिस्तीनी प्राधिकरण के स्वायत शासी इलाके के तौर पर चिह्नित कर दिया गया. इसके बाद 2005 के आते-आते इजरायल ने अपने लोगों को गाजा से हटा लिया. इजरायली बस्तियां खत्म कर दी गईं और इजरायली कैबिनेट ने आधिकारिक तौर पर गाजा पट्टी से अपना सैन्य कब्जा खत्म करने का ऐलान कर दिया. 

इजरायल का ही इलाका और इजरायल का ही सितम
हालांकि संयुक्त राष्ट से लेकर अंतर्राष्टीय मानवाधिकार संगठन और यहां तक कि ज्यादातर देश गाजा पट्टी को इजरायल का ही इलाका मानते हैं. देखा जाए तो गाजा पट्टी को इजरायल खुले तौर पर बाहर से कंट्रोल करता है जबकि अंदरखाने अंदरुनी तौर पर. लेकिन फिर विडंबना ये है कि इस गाजा पट्टी पर अगर अब तक सबसे ज्यादा बम किसी ने बरसाए हैं, तो वो इजरायल ही है. तो फिर सवाल है कि क्यों? 

..इसलिए इजरायल से नफरत करने लगे गाजा के लोग
तो जवाब है फिलिस्तीन. और आतंकी संगठन हमास के साथ चली आ रही इजरायल की जंग के चलते ऐसा हुआ. वो चाहे 1967 का 6 दिन की जंग हो या फिर 1973 की अरब इजरायल की जंग, हर लड़ाई में इजरायल जमीनी तौर पर अपना दायरा बढ़ाता रहा. और फिलिस्तिनियों को जमीन खिसकती रही. 1967 में इजरायली फौज ने गाजा पट्टी के पर कब्जा कर लिया और साथ ही कई तरह की पाबंदियां लगा दी, जिसके बाद गाजा में रहनेवाले इजरायली अरब मुस्लिमों में गुस्सा बढ़ने लगा और इजरायल विरोधी इंतिफादा आंदोलन की शुरुआत हुई. यहां के लोगों ने इजरायली कायदे कानूनों को मानने से मना कर दिया. ये सिलसिला करीब बीस सालों तक यानी 1993 के ओस्लो समझौते तक जारी रहा.

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ऐसे वजूद में आया हमास
1990 के दशक तक आते-आते जहां फिलिस्तीन और इजरायल के बीच बातचीत का दौर शुरू हुआ और इजरायल ने फिलिस्तीन की जमीन उसे किश्तों में वापस लौटाने की शुरुआत भी की. लेकिन इसी दशक में साल 1987 में मुस्लिम कट्टरपंथियों ने हमास नाम के संगठन की शुरुआत की. हमास यानी इस्लामिक रजिस्टेंस मूवमेंट. इस हमास ने ना सिर्फ गाजा पट्टी पर अपना कब्जा जमा लिया, बल्कि यहीं से उसने इजरायल पर हमलों की शुरुआत कर दी. असल में साल 2007 में गाजा पट्टी में हुए चुनावों में हमास ने जीत हासिल की और फिर धीरे धीरे इसने यहां अपनी पकड़ मजबूत बना ली. यहां के सरकारी आफिसों से लेकर सैन्य विंग तक हमास के कंट्रोल में आ गया. 

इजरायल को दुश्मन मानता है हमास
हालांकि संयुक्त राष्ट्र, इजरायल, अमेरिका और दुनिया के कई देश हमास को आतंकवादी संगठन मानते हैं. जबकि हमास आजादी के साथ-साथ फिलिस्तीन को एक इस्लामिक स्टेट बनाने की मांग करता रहा है. और 2007 से लेकर अब तक हमास ने इजराइल के खिलाफ चार बड़े हमले किए हैं. दरअसल, हमास का मानना है कि इजरायल ने फिलिस्तीन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा है... ऐसे में हमास इजरायल को अपना दुश्मन मानता है और वक्त-वक्त पर उस पर हमले करता रहा है. 

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इजराइली हमले में बेमौत मारे जाते हैं गाजा के आम नागरिक
शनिवार को इजरायल पर हुआ हमास का एरियल अटैक भी उसी की एक कड़ी है, लेकिन ये भी सही है कि जब-जब हमास ने इजरायल को छेड़ने की गलती की है, तब तब इजरायल ने हमास को उसके किये का मुंह तोड़ जवाब दिया है. और चूंकि हमास के हेडक्वार्टर से लेकर आतंकियों के तमाम ठिकाने तक इसी गाजा पट्टी में मौजूद हैं, अगर इस गाजा पट्टी पर किसी ने सबसे ज्यादा बम बरसाए हैं, तो वो इजरायल ही है. खास बात ये है कि ये आतंकी संगठन गाजा पट्टी के रिहायशी इलाके से ऑपरेट करता है. ऐसे में जब भी हमास इजरायल पर हमला करता है तो इजरायल के पलटवार में हमास के आतंकियों के साथ-साथ गाजा पट्टी में रहनेवाले आम लोग भी बेमौत मारे जाते हैं. 

इजरायल को कुसूरवार ठहराने की रणनीति
लेकिन शायद यही हमास की रणनीति है कि वो बेगुनाहों की ओट में छिप कर घात करता है और बेगुनाहों की मौत पर दुनिया के सामने इजरायल को कुसूरवार ठहराने की कोशिश भी करता है. और इजरायल के जुल्मों सितम की कहानी पूरी दुनिया के सामने बयां करता है. ताकि सब जान सकें कि इजरायल की हकीकत क्या है और वो कितना जालिम है.

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फिलहाल इजरायल और हमास के बीच छिड़ी जंग के बीच इजरायल ने गाजा पट्टी के इलाके में बिजली पानी जैसी कई जरूरी सप्लाई या तो रोक दी है या फिर उसमें कटौती कर दी है. जिसे लेकर दुनिया के कई देश इजरायल पर ऊंगली उठा रहे हैं और इसे इजरायल की ओर से मानवाधिकार का उल्लंघन भी बता रहे हैं. लेकिन फिर सवाल उठता है कि अगर गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा है, तो फिर वहां की बुनियादी सुविधाएं इजरायल के जिम्मे क्यों या कैसे है? 

गाजा पर अप्रत्यक्ष रूप से इजरायल का ही कंट्रोल
तो जवाब है कि इजरायल ने गाजा पट्टी में भी बिजली पानी, टेलीफोन जैसी सुविधाओं का कंट्रोल अपने पास रखा है. यहां तक कि गाजा में खाने-पीने की कई चीजें भी इजरायल से आती हैं. और कई चीजों के लिए गाजा इजरायल पर निर्भर है. इसीलिए कहते हैं कि गाजा के एक स्वायत्तशासी इलाका होनेके बावजूद उस पर अप्रत्यक्ष रूप से इजरायल का ही कंट्रोल है. ऐसे नाजुक मौकों पर अक्सर इजरायल गाजा पट्टी की जरूरी सुविधाएं रोक देता है, यहां तक कि गाजा पट्टी के हवाई और समुद्री इलाके पर इजरायल का कब्जा है और इन हालात में वो अपने लिए सीधे तौर पर बाहर से कुछ मंगा भी नहीं सकते. यहां तक कि इजरायल ने अपनी सेना को गाजा पट्टी पर कभी भी आने-जाने का अधिकार दे रखा है. और इस बार जब हमास से बदला लेने के लिए इजरायल गाजापट्टी पर ताबड़तोड़ हमले कर रहा है. और इजरायल ने एक बार फिर से गाजा पर पूरी तरह से कब्जा कर लेने की अपनी प्लानिंग बताई है.

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क्या है हमास?
आतंकवादी संगठन हमास ने इजरायल पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है. एक ऐसा हमला, जिसके बाद एक बार फिर से हमास और इजरायल के बीच जंग की शुरुआत हो चुकी है. दोनों तरफ से ताबड़तोड़ हमले जारी हैं. लेकिन इसी हमले के साथ सवाल ये उठता है कि आखिर ये हमास क्या है? इसकी शुरुआत कब, कहां और किसने की? और इस वक्त इस संगठन की कमान किसके हाथों में हैं? 

तो जवाब है कि हमास का पूरा नाम 'हरकत अल मुकावामा अल इस्लामिया' है यानी इस्लामिक रेजिस्टेंस मूवमेंट. ये फिलिस्तीनी आतंकवादियों का एक ऐसा ग्रप है, जो इजरायल की ओर से कब्जा किए गए फिलिस्तीन के हिस्सों को दोबारा वापस लेने और फिलिस्तीन में इस्लामिक स्टेट का राज कायम करने की कोशिश कर रहा है. और हमास को इस काम में सबसे बड़ा रोड़ा इजरायल ही लगता है.

दोहा में रहता है हमास का मुखिया
हमास की कई इकाइयां हैं, जो राजनीतिक, फौजी या सामाजिक काम-काज संभालती हैं. हमास की नीतियां एक कंसल्टेटिव बॉडी तय करती है. इसका मुख्यालय गाजा पट्टी इलाके में ही हैं. फिलहाल हमास की कमान इस्माइल हनियेह के हाथों में है, जो इसका चेयरमैन है. उसने 2017 से खालिद मेशाल के उत्तराधिकारी के तौर पर ये काम संभाला था. वो इन दिनों कतर की राजधानी दोहा में रहता है और वहीं से हमास का काम-काज देखता है, क्योंकि मिस्र ने उसके गाजा आने-जाने पर रोक लगा रखी है. 

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हमास का मिलिट्री कमांडर मोहम्मद ज़ैफ

हमास का मिलिट्री कमांडर है 'द गेस्ट'
सलेह अल अरौरी हमास का डिप्टी चेयरमैन है. वो हमास की लेबनन यूनिट का काम देखता है और उसकी लोकेशन के बारे में कहा जाता है कि वो या तो मिस्र में होता है या फिर गाजा में. हमास के कमांडरों में तीसरे नंबर पर मोहम्मद ज़ैफ उर्फ द गेस्ट का नाम आता है, जो हमास के मिलिट्री विंग का मुखिया है. इजरायल पर इस पर हुए हमले का मास्टरमाइंड भी उसे ही माना गया है. हमास के मिलिट्री विंग का डिप्टी चीफ मारवान इसा है, जिसकी लोकेशन वेस्ट बैंक बताई जाती है. जबकि फाउजी बारहोउम हमास का चीफ स्पोक्सपर्सन यानी मुख्य प्रवक्ता है. और यही वो लोग हैं, जो इजरायल में मची तबाही के लिए जिम्मेदार बताए जाते हैं.

मौलवी शेख अहमद यासीन ने की थी हमास की स्थापना
अब बात हमास के इतिहास की. हमास की बुनियाद फिलिस्तीनी मौलवी शेख अहमद यासीन ने रखी थी, जिसने अपनी शुरुआती जिंदगी काहिरा में गुजारी. वहां इस्लामिक पढ़ाई-लिखाई करने के बाद वो मुस्लिम ब्रदरहुड की लोकल यूनिट से जुड़ गया और एक्टिविस्ट के तौर पर काम करने लगा. 1960 के दशक में मौलवी शेख अहमद यासीन ने वेस्ट बैंक और गाजा में लोगों को एकजुट करना शुरू किया.

साल 1967 में हुए 6 दिन की जंग के बाद इजरायल ने वेस्ट बैंक और गाजा पर कब्जा कर लिया. वेस्ट बैंक, गाजा और पूर्वी यरुशलम पर इजरायल के कब्जे के खिलाफ मौलवी शेख अहमद यासीन ने दिसंबर 1987 में गाजा में हमास की की शुरुआत की. उस वक्त हमास का इरादा फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद का मुकाबला करना था, जिस संगठन ने तब फिलिस्तीनियों को मुस्लिम ब्रदरहुड से दूर करने की धमकी दी थी. साल 1988 में, हमास ने अपना चार्टर पब्लिश किया, जिसमें इजरायल के खात्मे के साथ-साथ फिलिस्तीन में इस्लामिक स्टेट शुरू करने की बात कही गई. हमास अपने चार्टर में इजरायल को भी इस्लामी जमीन बताता है और यहूदियों के दावे को खारिज करता है.

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