scorecardresearch
 

दिल्ली के पास गैंगवार, कार में जलाकर मार दिए गए चार लोग

नए साल की सुबह जब लोग एक-दूसरे को बधाइयां देने में मशगूल थे, तब दिल्ली से चंद किलोमीटर के फ़ासले पर हरियाणा के एक गांव से चौंकाने वाली खबर आई. गांव की एक सुनसान सड़क पर एक जली हुई कार पड़ी थी और कार में थीं चार लाशें.

Advertisement
X
Haryana: dead bodies found in a car
Haryana: dead bodies found in a car

नए साल की सुबह जब लोग एक-दूसरे को बधाइयां देने में मशगूल थे, तब दिल्ली से चंद किलोमीटर के फ़ासले पर हरियाणा के एक गांव से चौंकाने वाली खबर आई. गांव की एक सुनसान सड़क पर एक जली हुई कार पड़ी थी और कार में थीं चार लाशें. लेकिन ये कोई हादसा नहीं था, बल्कि एक एक सोची-समझी साज़िश थी. यानी इन चारों का क़त्ल हुआ था. क़त्ल, और वो भी गैंगवार के चलते.

दिल्ली के नज़दीक हरियाणा का गांव, ईशरहेड़ी. वक़्त सुबह के 09.30 बजे. जनवरी की इस सर्द सुबह में ज़िंदगी अब भी उनींदी थी. ये साल का पहला दिन था. एक तो न्यू ईयर पार्टी की खुमारी और ऊपर से धुंध और बादल ने जैसे वक्त को भी पीछे रोक दिया था. लेकिन इसी सर्द सुबह में गांव के लोगों की नज़र एक ऐसे मंज़र पर पड़ी कि उनके कदम ठिठक गए. गांव की सुनसान कच्ची सड़क पर य़े एक कार थी, जो पूरी तरह से जली हुई थी, बल्कि इससे अब भी हल्का धुआं निकल रहा था.

लाश गिनना भी हो रहा था मुश्किल
दूर से ये कोई हादसा ही लगता था. जिसमें कोई कार रास्ते में चलते-चलते अचानक आग की लपटों में घिर गई और राख बन गई. लेकिन जब गांव के लोग इस वारदात का सबब जानने के इरादे से इस कार के क़रीब पहुंचे, तो अंदर का मंज़र देख कर रौंगटे खड़े हो गए. इस कार में लाशें पड़ी थीं. जी हां, लाशें वो भी एक नहीं, बल्कि कई लोगों की. लेकिन आग की वजह से इन लाशों की हालत ऐसी थी कि उन्हें पहचाना तो दूर, फौरी तौर पर ये समझना भी मुश्किल हो रहा था कि आख़िर इस कार में ठीक कितनी लाशें हैं.

Advertisement

उधर, खबर मिलते ही बहादुरगढ़ पुलिस और फॉरेंसिक की टीमें मौके पर आ पहुंची थी और जब लोगों ने बारीकी से इस कार का मुआयना किया, तो ये साफ़ हुआ कि कार की आग में कोई एक या दो नहीं, बल्कि चार-चार लोगों की मौत हुई है. यानी आधी रात आग की लपटों में घिरी ये कार में एक साथ चार-चार लोगों की चिता बन गई थी.

सामने की सीट पर नहीं थी कोई लाश
लेकिन अब तक इस कार में चार लोगों की मौत की जो पहेली हादसा और साज़िश के बीच झूल रही थी, मौके के बारीक मुआयने से वो काफ़ी हद तक साफ़ हो गई. गरज़ ये कि कार में लाशें बेशक चार लोगों की थीं, लेकिन एक भी लाश ड्राइविंग सीट या फिर उसके बगलवाली सीट पर नहीं थी. बल्कि दो लाशें कार की पिछली सीट पर जबकि दो और कार की डिग्गी में अटी थीं. यानी एक बात तो तकरीबन साफ़ थी कि ये कार रास्ते में चलते-चलते अचानक किसी तकनीकी खराबी की वजह से नहीं जली और ना ही इस कार में सवार लोग किसी हादसे का शिकार बने. क्योंकि अगर ऐसा कुछ होता, तो कम से कम चार में से दो लोगों की लाशें कार की सामनेवाली सीट पर भी ज़रूर मिलतीं.

Advertisement

गैंगवार का अंजाम!
लेकिन यहां तो मामला अजीब था. कार की पिछली सीट पर दो लाशें थी, जबकि कार की डिग्गी में दो और लाशें. अब चूंकि जीते-जी दो लोग कार की डिग्गी में नहीं घुस कर नहीं जल सकते थे. ये भी तकरीबन साफ़ हो गया कि किसी ने इन चारों की जान लेकर उन्हें कार समेत आग के हवाले कर दिया था. लेकिन आख़िर ऐसा करनेवाले लोग कौन हो सकते थे? और कैसे एक साथ चार-चार लोगों को यूं कोई कार समेत जला सकता था? ज़ाहिर है, ये ना तो किसी एक क़ातिल का काम था और ना ही ऐसा लगता था कि कार में सवार तमाम लोग ज़िंदा जले थे, बल्कि पुलिस को शक था कि उन्हें तो किसी ने मौत के घाट उतार कर इस कार में ही जला दिया था, ताकि मौत के बाद उनकी पहचान भी नामुमकिन हो जाए.

पहले पुलिस ने नंबर प्लेट से कार के मालिक का पता लगाने की कोशिश की और तब चेसिस नंबर से. और इस कोशिश में जल्द ही पुलिस को ये बात पता चल गई कि दिल्ली नंबर की ये कार दिल्ली के एक गांव मित्राऊ की है. और फिर इस सुराग़ की बदौलत जल्द ही ना सिर्फ़ मरनेवालों की पहचान हो गई, बल्कि इन मौतों के पीछे की जो कहानी सामने आई, उसने पुलिस को भी दहला दिया. क्योंकि, ये कोई मामूली वारदात नहीं, बल्कि एक ख़ौफ़नाक गैंगवार का अंजाम था.

Advertisement

इधर, चार लड़कों के मौत की खबर सामने आई और उधर एक पांचवां लड़का पुलिस के सामने आ गया. उसका कहना था कि मौत से पहले उसने अपने दोस्तों की आख़िरी चीख़ सुनी थी. अपने मोबाइल फ़ोन से उसके एक दोस्त ने खुद के दुश्मनों से घिर जाने की बात बताई और इसके बाद उसका फ़ोन बंद हो गया था.

पहले मारी गई गोली!
हरियाणा पुलिस ने कार के रजिस्ट्रेशन नंबर DL8CAF 7229 और चेसिस नंबर की बदौलत गाड़ी के मालिक की पहचान तो पता कर ली. लेकिन इस मामले को पूरी तरह सुलझाने से पहले उसे अभी कई पेचों-खम से गुज़रना था. इस बीच फारेंसिक जांच के दौरान पुलिस को कार से ही एक गोली भी बरामद हुई. इन चार मौतों के पीछे क़त्ल का शक तो पहले से ही था, लेकिन कार से मिली गोली ने इस शक को थोड़ा और पुख्ता कर दिया. क्योंकि गोली का मिलना इस बात की ओर इशारा कर रहा था कि इन लड़कों को कार समेत आग के हवाले करने से पहले उन्हें गोलियों का निशाना बनाया गया. और ऐसे में या तो ये गोली जलने के बाद किसी के जिस्म से बाहर निकल आई या फिर इस कार में बिठा कर ही इन लड़कों को या फिर इनमें से कुछ को गोली मारी गई.

Advertisement

उधर, दिन चढ़ने के साथ ही कार समेत गायब हुए चारों नौजवानों की पहचान साफ़ हो गई. ये लड़के थे दिल्ली के एक गांव मित्राऊ के मनीष, संदीप, सुधीर और गांव समसपुर का दीपक. दीपक की उम्र तो अभी महज़ 17 साल की बताई गई. लेकिन जिस तरह कार में लाशें मिलीं, शक है कि वो भी अपने दोस्तों के साथ क़ातिलों का शिकार बन गया. बहादुरगढ़ पुलिस के बताने पर इन लड़कों के घरवाले भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने लाशों को पहचानने की कोशिश की. लेकिन जिस तरह से ये लाशें जली हुई थीं, उससे इनकी शिनाख्त भी मुश्किल हो रही थी. यही वजह थी कि घरवालों ने लाशों को देखने के बाद फिर से दिल्ली पहुंच कर पुलिस के पास अपने बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई.

लेकिन तफ्तीश में लगी पुलिस को इस वारदात के पीछे गैंगवार का शक तो पहले ही हो चुका था, कार से साथ घर से गायब हुए कुछ लड़कों के घरवाले भी पुलिस की इस थ्योरी पर मुहर लगा रहे थे. उन्होंने ना सिर्फ़ कई और लड़कों पर इस वारदात में शामिल होने का शक जताया, बल्कि ये भी बताया कि कुछ संदिग्ध लड़के 31 दिसंबर की रात गांव में देखे गए थे. अब पुलिस आख़िरी बार इन लड़कों यानी मनीष, संदीप, सुधीर और दीपक को ज़िंदा देखनेवाले शख्स की तलाश में लगी थी... ताकि उनके गांव यानी मित्राऊ से लेकर मौका-ए-वारदात यानी गांव ईशरहेड़ी तक के सफ़र की पूरी कहानी कुछ साफ़ हो सके.

Advertisement

31 दिसंबर को पार्टी में हुआ झगड़ा?
इसी बीच पुलिस को एक और चौंकानेवाली बात पता चली. सूत्रों की मानें तो तफ्तीश के दौरान पुलिस को एक शख्स ऐसा मिला, जिसने क़त्ल की रात इन लड़कों के साथ फ़ोन पर ही गैंगवार की बात सुनी थी. दरअसल, ये चारों लड़के 31 दिसंबर की रात को अपने गांव में ही भूपेश नाम के एक लड़के के घर न्यू ईयर की पार्टी के लिए इकट्टा हुए थे. जहां सबने साथ में ही ड्रिंक्स और डिनर लिया था. और तकरीबन 12:30 बजे ये चारों वहां से रवाना हो गए. लेकिन इसके बाद रात के करीब 1 बजकर 23 मिनट पर सुधीर ने भूपेश को अपने मोबाइल फ़ोन से कॉल कर ये बताया कि उनका गांव के ही कुछ लड़कों के साथ झगड़ा हो गया है और वो बुरी तरह घिर चुके हैं.

भूपेश ने पुलिस को बताया है कि इसके बाद सुधीर के साथ मौजूद उसके तीनों दोस्त मनीष, संदीप और दीपक के भी मोबाइल फ़ोन रहस्यमयी तरीके से बंद हो गए. और अब दूसरे दिन जिस तरह से संदीप की कार में चार लोगों की लाशें मिलीं, उससे उसे शक है कि इन चारों का क़त्ल किया गया है, बल्कि बीती रात क़त्ल से पहले सुधीर ने जिन लड़कों का नाम लिया था, उन्होंने ही उसके चार दोस्तों को मौत के घाट उतारा है. पुलिस सूत्रों की मानें तो भूपेश से आखिरी बार मोबाइल पर बात करनेवाला सुधीर बीती रात बेहद घबराया हुआ था. जब वो उससे खुद पर आई मुसीबत की बात बता ही रहा था, इस दौरान भूपेश ने कथित तौर पर गोली की आवाज़ भी सुनी थी और कुछ ही देर बाद मोबाइल फ़ोन बंद हो गया था. लेकिन रात गुज़रते ही, जो कहानी दिल्ली के इन दो गांवों तक पहुंची, उसने सभी के होश उड़ा दिए. --रोहतक से सुरेंद्र, झज्जर से अनुज मिश्र और दिल्ली से अनिल बाल्यान के साथ पुनीत शर्मा

Advertisement
Advertisement