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ट्विटर, फेसबुक जैसे कई एप्स की मदद से विश्वभर में पैठ बना रहा ISIS

इराक और सीरिया के कुछ छोटे-बड़े शहरों से सीधे दनिया के करीब 80 मुल्कों में आईएसआईएस ने अगर अपनी पहुंच बनाई है तो उसकी वजह टेलीग्राम, किक, जस्टपेस्ट.इन, नासेर.मी, मानबार.मी, ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्स एप्प, यू ट्यूब, इंस्टाग्राम ये सारे एप्स, प्लेटफॉर्म और इंटरनेट के बेतार तार हैं.

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आईएसआईएस हथियार के दम पर खून-खराबा करता है और बेतार को हथियार बना कर अपनी फौज तैयार करता है. यही है आईएसआईएस का असली खेल. और इसी खेल की बदौलत वो इराक और सीरिया के कुछ शहरों में बैठ कर दुनिया के 80 से ज्यादा मुल्कों में अब तक अपनी पैठ और पहुंच बना चुका है.

कई एप्स का कर रहा इस्तेमाल
इराक और सीरिया के कुछ छोटे-बड़े शहरों से सीधे दनिया के करीब 80 मुल्कों में आईएसआईएस ने अगर अपनी पहुंच बनाई है तो उसकी वजह टेलीग्राम, किक, जस्टपेस्ट.इन, नासेर.मी, मानबार.मी, ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्स एप्प, यू ट्यूब, इंस्टाग्राम ये सारे एप्स, प्लेटफॉर्म और इंटरनेट के बेतार तार हैं.

 

ये वो जाल है जिसने आईएसआईएस को दुनिया का सबसे बड़ा जी का जंजाल बना कर रख दिया है . ये वो बेतार हथियार हैं जिससे दुनिया को सबसे ज्यादा खतरा है क्योंकि इंटरनेट से जुड़े इन्हीं हथियारों के जरिए आईएस ना सिर्फ दुनिया भर के मुस्लिम नौजवानों को गुमराह कर रहा है बल्कि अपने तमाम आतंकवादी हमलों की प्लानिंग से लेकर उसे अमल में लाने के लिए भी इस्तेमाल कर रहा है.

इनमें से ज़्यादातर वही एप्स और कम्युनिकेशन सिस्टम हैं, जिनका इस्तेमाल रोज पूरी दुनिया करती है. ट्विटर से लेकर फेसबुक, व्हाट्स एप्प, यू ट्यूब और इंस्टाग्राम सब शामिल हैं.

दरअसल इन कॉमन कंप्यूटर एप्स के अलावा इंटरनेट पर कुछ ऐसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स, एप्स और प्लेटफॉर्म्स मौजूद हैं जिन्हें पकड़ पाना बेहद मुश्किल है. इनमें खास तौर पर टेलीग्राम, किक, जस्टपेस्ट.इन, नासेर.मी और मानबार.मी जैसे एप्स और प्लेटफॉर्म शामिल हैं. ऐसे एप्स और प्लेटफॉर्म पर होनेवाली बातचीत एनक्रिप्टेड होती है यानी पकड़ में नहीं आती क्योंकि ये कम्युनिकेशन हमेशा कोड लैंग्वेज में होता है.

मसलन, सीरिया में बैठा कोई आतंकवादी अगर ब्रुसेल्स में अपने किसी साथी को ऐसे ही किसी एप्स के जरिए कोई पैगाम भेजता है, तो दुनियावालों को ये कोई नंबर या फिर महज कोई तस्वीर नजर आएगी. इसके पीछे का असली संदेश सिर्फ भेजने और रिसीव करने वाले को ही पता होता है. जानकारों की मानें तो आईएस के आतंकवादियों के पास अब कुछ ऐसे एंड्राएड फोन भी मौजूद हैं, जिनसे इंटरनेट पर कोई वीडियो मैसेज अपलोड करने पर उसे लोकेट कर पाना भी मुमकिन नहीं होता.

दो रूसी भाइयों ने बनाया एप्प टेलीग्राम
सीरिया के आसमान से ये रूसी बमबारी आईएस के ठिकानों पर हो रही है. रूस ने आईएस को पूरी तरह मिटा देने का एलान किया है. इत्तेफाक देखिए कि आईएस जिस एप्प टेलीग्राम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है, वो एप्स दो रूसी भाइयों निकोलाई और पावेल दुरोव का ही बनाया हुआ है.

इस वक्त दुनिया भर में टेलीग्राम के 62 मीलियन से भी ज्यादा यूजर्स मौजूद हैं और इनमें आईएसआईएस के बहुत से आतंकवादी भी शामिल हैं. इसका प्राइवेट चैटरूम अपने सब्सक्राइबर्स को ना सिर्फ दुनिया की निगाहों से बच कर बात करने की आजादी देता है, बल्कि इसमें आप अपना मोबाइल नंबर छिपा कर भी रख सकते हैं. और यही बात आईएसआईएस के आतंकवादियों को सबसे ज्यादा सूट कर रही है.

कम्युनिकेशन एप टेलीग्राम का आईएस सबसे ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है. अपनी ज्यादातर मीडिया रलीज़ या धमकियां वो इसी एप के जरिए दुनिया तक पहुंचाता है. आईएसआईएस ने बकायदा अपना टेली कम्युनिकेशन और मडिया सेंटर बना रखा है. जिनमें दुनिया के कई मुल्कों के आईटी एक्सपर्ट काम करते हैं. खबरों के मुताबिक बगदादी के इस बेतार हथियार का सारा कामकाज फ्रांस में पैदा हुआ सीरियाई मूल का आईटी एक्सपर्ट अहमद अबू सामरा देखता है.

प्रोपेगैंडा चैनल की शुरुआत
जानकारों की मानें तो सोशल नेटवर्किंग साइट पर हाल के दिनों में आईएस ने जिस तरह अपने प्रोपेगैंडा चैनल की शुरुआत की है, वो किसी अनुशासित फौज का हिस्सा जैसा लगता है. हाल ही में आईएस के एक प्रोपेगैंडा चैनल ने टेलीग्राम में आतंकवादियों के मार्शल आर्ट सीखने और हथियार चलाने की जो तस्वीरें और वीडियो पोस्ट की, उन्हें देख कर दुनिया हैरान रह गई. दरअसल, ये चीजें क्वालिटी यानी गुणवत्ता के मामले में इतनी आगे थी, जैसे ये काम किसी आतंकवादी संगठन का नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट मीडिया हाऊस का हो. ये दरअसल आईएस की वो मीडिया इकाई है, जो ना सिर्फ वीडियो क्लिप्स सोशल साइट्स पर अपडेट करती है, बल्कि अरबी और अंग्रेजी जैसी भाषाओं में मैग्जीन भी छापती है और इनका सिर्फ और सिर्फ एक ही मकसद है, इनके जरिए नौजवानों को बरगलाना और उन्हें आईएस में शामिल होने के लिए उकसाना.

वैसे टेलीग्राम पर आईएस की बढ़ती मौजूदगी से परेशान इस कंपनी ने ऐसे बहुत से प्लेटफॉर्म को ब्लॉक कर दिया है, लेकिन जैसे ही एक प्लेटफॉर्म ब्लॉक होता है, आईएस के आतंकवादी किसी नए नाम से एक दूसरा प्लेटफॉर्म तैयार कर लेते हैं. टिवटर समेत दूसरे सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी आईएस ऐसे ही काम कर रहा है. हालात कितने बेकाबू हो चुके हैं, इसका अंदाज़ा सिर्फ़ इसी से लगाया जा सकता है कि टेलीग्राम में अब आईएस के बचे-खुचे प्लेटफॉर्म खुलेआम जंग का ऐलान कर चुके हैं.

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