उत्तर प्रदेश के आगरा से जुड़े धर्मांतरण रैकेट के मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. सोमवार को पुलिस की टीम ने दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में छापा मारा और वहीं से रहमान उर्फ 'रहमान चाचा' को हिरासत में लिया. उसके बेटे को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. इसी दौरान उसके घर से एक हिंदू लड़की भी बरामद हुई, जिसे 'लव जिहाद' का शिकार बनाया गया था. पुलिस Gmको भी अपने साथ आगरा ले गई है.
इस केस में अब तक कुल 11 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, लेकिन अब्दुल रहमान की गिरफ्तारी को बेहद अहम माना जा रहा है. वह इस अंतरराज्यीय गिरोह का सरगना बताया जा रहा है. उससे पूछताछ के बाद इस रैकेट की जड़ों तक पहुंचने की उम्मीद है. छापेमारी के दौरान बरामद हिंदू लड़की को सोशल मीडिया के जरिए जुनैद नाम के युवक ने प्रेमजाल में फंसाया था. फिर उसे दिल्ली बुलाया गया, जहां उसका धर्म परिवर्तन कराया गया और जुनैद से निकाह करवा दिया गया.
धर्म परिवर्तन कर धर्मांतरण नेटवर्क से जुड़ा रहमान
आगरा के पुलिस आयुक्त दीपक कुमार के अनुसार, जांच में सामने आया है कि जुनैद शादीशुदा था, लेकिन उसने यह जानकारी लड़की से छिपाई. अब्दुल रहमान ने साल 1990 में इस्लाम धर्म स्वीकार किया था. इसके बाद दिल्ली शिफ्ट होकर धर्मांतरण से जुड़े नेटवर्क में सक्रिय हो गया. साल 2021 तक रैकेट की कमान कलीम सिद्दीकी के हाथों में थी, जिसे यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया. साल 2024 में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई. इसके बाद रहमान ने रैकेट की कमान संभाली.
रहमान के घर से हिंदू लड़की संग क्या बरामद हुआ?
छापेमारी में पुलिस को रहमान के घर से कई धार्मिक साहित्य भी बरामद हुए हैं, जिनका विश्लेषण किया जा रहा है. रहमान को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. बताते चलें कि 19 जुलाई को आगरा पुलिस ने धर्मांतरण के इस बड़े रैकेट का बड़ा भंडाफोड़ किया था. इसके साथ ही पुलिस ने 6 राज्यों से 10 लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें राजस्थान से तीन, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली से दो-दो, जबकि गोवा और उत्तराखंड से एक-एक आरोपी शामिल हैं.
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आखिर कैसे हुआ आगरा धर्मातरण रैकेट का खुलासा?
गिरफ्तार आरोपियों में गोवा की आयशा, कोलकाता के अली हसन और ओसामा, आगरा के रहमान कुरैशी, मुजफ्फरनगर के अब्बू तालिब, देहरादून के अबुर रहमान, राजस्थान के मोहम्मद अली, जुनैद कुरैशी और एक अन्य मोहम्मद अली, तथा दिल्ली के मुस्तफा के नाम शामिल हैं. इस रैकेट की जांच की शुरुआत मार्च 2025 में हुई थी, जब आगरा की दो बहनों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई थी. जांच में सामने आया कि उन्हें ब्रेनवॉश कर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया गया था.
आगरा धर्मांतरण रैकेट, आईएसआईएस का कनेक्शन
इसके बाद उन्हें कट्टरपंथी सोच की ओर धकेला गया था. उनमें से एक लड़की ने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर एके-47 पकड़े हुए तस्वीर लगाई थी. पुलिस की शुरुआती जांच में स्पष्ट हुआ है कि यह गिरोह 'लव जिहाद' और कट्टरपंथी एजेंडे से जुड़ा है. पुलिस को अमेरिका और कनाडा से विदेशी फंडिंग के सुराग भी मिले हैं. इस गिरोह की कार्यप्रणाली में आईएसआईएस जैसी सोच और तरीके की झलक स्पष्ट है. सोशल मीडिया के जरिए लड़कियों को निशाना बनाना खतरनाक ट्रेंड बनता जा रहा है.