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इस तरह ली गई मटका किंग की जान...

पांच साल पहले अपने जीते-जी उसने अपने ही कातिलों का नाम बताया था. पांच साल बाद अब अदालत ने भी उन्हीं लोगों को कातिल करार दे दिया है. यानी कत्ल से पहले ही वो अपने कातिलों का फैसला भी सुना चुका था. पर कातिलों का नाम बताते वक्त खुद उसे पता नहीं था कि उसका कत्ल किस हथियार से होने वाला है.

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पांच साल पहले अपने जीते-जी उसने अपने ही कातिलों का नाम बताया था. पांच साल बाद अब अदालत ने भी उन्हीं लोगों को कातिल करार दे दिया है. यानी कत्ल से पहले ही वो अपने कातिलों का फैसला भी सुना चुका था. पर कातिलों का नाम बताते वक्त खुद उसे पता नहीं था कि उसका कत्ल किस हथियार से होने वाला है.

अंडरवर्ल्‍ड में रहते हुए भी वो अंडरवर्ल्ड के उस नए हथियार से अनजान था, क्योंकि इस नए हथियार की खासियत यह थी कि ये जान भी ले लेता और किसी को पता तक नहीं चलता.

सुरेश भगत, उर्फ मटका किंग...यही नाम है उस शख्स का, जो पिछले बीस सालों से मुंबई के अंडरवर्ल्ड और मटका बाजार पर बेरोकटोक राज कर रहा था. इतने सालों में जुए के अपने धंधे से सुरेश ने करोड़ों कमाए और उससे भी ज्यादा खर्च कर दिए. जुर्म की दुनिया में अपना मुकाम बनाए रखने के लिए. मुंबई की इस काली दुनिया पर मटका किंग राज करता भी रहता. अगर अंडरवर्ल्ड ने उसके खिलाफ अपने नए हथियार का इस्तेमाल ना किया होता...

एक हथियार, जिससे दुश्मन की मौत होनी तय है, लेकिन वह अपने पीछे काम हो जाने के बाद कोई सबूत नहीं छोड़ता. ये हथियार बना देता है हर मौत को एक ऐसा हादसा, जिसका सच कोई नहीं जान पाता. लेकिन पहली बार मुंबई पुलिस की तहकीकात में सामने आया था अंडरवर्ल्ड का अपने दुश्मनों को मौत की नींद सुलाने का वो तरीका, जिसे सुनकर खुद मुंबई पुलिस चौंक गई थी.

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मरने से पहले मटका किंग ने खुद अपनी ही मौत की कहानी सुनाई. कहने के कुछ वक्त बाद सचमुच मटका किंग को मार दिया गया, पर एक अनोखे तरीके से. क्या था वो तरीका और क्यों मारा गया मटका किंग? मटका किंग की मौत के पांच साल बाद शुक्रवार को मुंबई की एक अदालत ने उसके कत्ल के इलजाम में छह लोगों को दोषी करार दिया है. इन छह लोगों में खुद मटका किंग की वो बीवी और बेटा भी शामिल हैं, जिनका नाम उसने जीते जी आजतक के कैमरे पर लिया था.

मटका किंग के कातिलों को मिलने वाली सज़ा का एलान अब सोमवार को होगा, लेकिन जानिए मटका किंग की ज़िंदगी और मौत की कहानी, जिसे अंडरवर्ल्ड में पहली बार सुनी और सुनाई गई.

मटका किंग के कत्ल के इलजाम में छह लोगों को दोषी करार दे दिया गया है. अब आप जानना चाहते होंगे कि आखिर क्या है वो हथियार जिसका इस्तेमाल अंडरवर्ल्‍ड ने मुंबई के मटका किंग सुरेश भगत के खिलाफ किया? उसे एक ऐसी खामोश मौत देने के लिए, जिसपर कोई उंगली नहीं उठा सकता था. दरअसल अंडरवर्ल्ड के इन शातिर गैंगस्टर्स ने बनाया था भगत के खिलाफ एक ऐसा फुल प्रूफ प्लान, जिसके नाकाम होने की कोई सूरत नहीं थी. ये हथियार इसी प्लान का सबसे अहम हिस्सा था.

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सुरेश भगत उर्फ मटका किंग की मुंबई के मटका बाजार में तूती बोलती थी. कल्याण मटका के नाम से चलने वाले जुए के इस धंधे को सुरेश ने मुंबई और महाराष्ट्र के बाहर गुजरात और राजस्थान तक फैला दिया था. इस धंधे में सुरेश भगत ने करोड़ों का मुनाफा कमाया, लेकिन धंधे में दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की करने वाला भगत अपने ही घरवालों से मात खा गया. सुरेश की बीवी जया और उसका बेटा हितेश धंधे को लेकर उसके खिलाफ हो गए. अब सुरेश को अपनी ही बीवी और बेटे से जान का खतरा सताने लगा. लिहाजा सुरेश ने मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के पास अपनी बीवी और बेटे के खिलाफ लिखित में एक शिकायत भी दर्ज करा दी.

दरअसल सुरेश भगत जानता था कि उसकी बीवी जया के अरुण गवली गैंग के बदमाश सुहास रोगे के साथ ताल्लुकात थे. सुरेश ये भी जानता था कि जया उसे ठिकाने लगाने में सुहास की मदद कभी भी ले सकती है. ऐसे में पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद सुरेश भगत अपने आप पर मंडरा रहे खतरे से होशियार रहने लगा था. उसने अपनी सिक्योरिटी और बढ़ा दी थी.

लेकिन मामला करोड़ों के धंधे का था, लिहाजा भगत की बीवी भी हार मानने वाली नहीं थी. सुहास रोगे की मदद से उसने गवली गैंग के बदमाशों को भगत के खिलाफ चप्पे-चप्पे पर फैला दिया. चुनौती थी भगत को ऐसे ठिकाने लगाना कि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे. आखिरकार गैंग के लोगों ने तय किया कि सुरेश को ठिकाने लगाने के लिए न तो चाकू का इस्तेमाल किया जाएगा, ना बंदूक की गोली का. बदमाशों ने मटका किंग को बम से उड़ाने का आइडिया भी दरकिनार कर दिया, क्योंकि उन्हें चाहिए था मर्डर का एक ऐसा तरीका, जिससे उनका काम भी हो जाए और पीछे कोई सबूत न छूटे. आखिरकार गैंग मेंबरों ने तय किया एक ऐसे हथियार का इस्तेमाल, जो अंडरवर्ल्ड में आज से पहले किसी ने नहीं सुना. गवली गैंग ने सुरेश भगत की मौत का दिन तय कर दिया. तारीख थी तेरह जून. उस रोज जब मटका किंग सुरेश भगत को सड़क के रास्ते अलीबाग से मुंबई लौटना था.

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वक्त आ चुका था, जब अंडरवर्ल्‍ड को अपना ये हथियार पहली बार आजमाना था. गैंग के गुर्गे इसके लिए अलीबाग से मुंबई के रास्ते पर घात लगा कर बैठ गए. हथियार चलाने वाला मुस्तैदी से अपनी जगह ले चुका था... और बस अब इन सभी को इंतजार था मटका किंग के गुजरने का.

सुरेश भगत उस रोज अपने खिलाफ एक केस के सिलसिले में अलीबाग गया था. कोर्ट की कार्रवाई से निपटने के बाद उसे सीधे मुंबई लौटना था. लिहाजा वो अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी में अपने छह साथियों के साथ मुंबई जाने के लिए सवार हो गया. ड्राइवर ने गाड़ी चलाने से पहले हमेशा की तरह भगवान को याद किया, फिर निकल पड़ा मुंबई की ओर जाने वाले रास्ते पर. इस बात से बेखबर कि आने वाले रास्ते में उनकी मौत उनका इंतजार कर रही है.

भगत और उसके साथी अभी आधे रास्ते ही पहुंचे थे कि सामने से आ रहे एक ट्रक ने उनकी गाड़ी को इतनी जोर की टक्कर मारी कि भगत की गाड़ी एक झटके से सड़क से नीचे जा गिरी. टक्कर इतनी जोरदार थी कि स्कॉर्पियो के परखच्चे उड़ गए. सुरेश भगत और उसके छह साथियों की मौके पर ही मौत हो गई. इसी के साथ कामयाब हो गया अंडरवर्ल्ड का वो प्लान, जिसके तहत मुंबई का मटका किंग हमेशा के लिए रास्ते से हटा दिया गया.

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गवली गैंग के बदमाशों ने दरअसल बड़ी ही चालाकी से भगत को खत्म करने के लिये बंदूक की बजाए एक ट्रक को हथियार बना लिया था. गैंग के गुर्गे जानते थे कि अगर उन्होंने मटका किंग के कत्ल के लिए किसी दूसरे तरीके का इस्तेमाल किया, तो पुलिस उन्हें देर-सवेर ढूंढ जरूर निकालेगी. इसीलिए उन्होंने किसी शार्प शूटर की बजाए एक ट्रक ड्राइवर को सुपारी देकर इस कत्ल को एक एक्सिडेंट की शक्ल दे दी.

मगर चूंकि सुरेश भगत अपने मारे जाने का अंदेशा पहले ही जता चुका था, इसलिए पुलिस की तफ्तीश में कातिल का चेहरा और कत्ल कराने का मकसद, दोनों साफ हो गए. पुलिस ने मौके से फरार ट्रक ड्राइवर समेत उसे तीन लाख की सुपारी देने वाले हरीश मांडवीकर और हरीश को पैंतालीस लाख की सुपारी देने वाले गवली गैंग के बदमाश सुहास रोगे को गिरफ्तार कर लिया था.

बाद में तफ्तीश के दौरान सारी कहानी सामने आ गई. चूंकि खुद मटका किंग भी अपने जीते-जीते अपने ही कातिलों का नाम ले चुका था, लिहाज़ा इंसाफ का काम और आसान हो गया. अब दोषियों को अदालत क्या सज़ा देती है, इसके लिए सोमवार तक का इंतजार करना होगा.

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