कोरोना की पहली लहर में जब लॉकडाउन लगा तो जनता को बुरी तरह से पुलिस के हाथों मार खाते हुए देखा गया. जनता की इस पिटाई की वजह नियमों को तोड़ना बताया गया. जब दूसरी लहर आई तब कोरोना का नियम तोड़ने वाली जनता से फाइन के रूप में करोड़ों रुपये सरकारी खजाने में भरा गया. लेकिन जिस भारत में कोरोना रोकने के नाम पर नाइट कर्फ्यू, वीकएंड कर्फ्यू और कहीं कहीं तो सरकारें लॉकडाउन ही लगा दे रही हों, उसी भारत में जनता के लिए नियम बनाने वाले नेता खुलेआम नियमों का मजाक बना रहे हैं. जिन पर इस वक्त कोरोना को लेकर जागरूकता लाने की जिम्मेदारी है वो माननीय खुद कोरोना फैलाने जैसे काम कर रहे हैं. कोई पार्टी कोई नेता पीछे नहीं है नासमझी दिखाने में. देखें ये बुलेटिन.