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ओमिक्रॉन का बढ़ रहा कहर, जानिए क्यों एक्सपर्ट दे रहे हैं विदेश यात्राओं से बचने की सलाह

Omicron variant: WHO के विशेषज्ञों को भी विदेश यात्रा की वजह से पैदा होने वाली चुनौतियों का आकलन है, लेकिन विदेश यात्रा पर अंकुश की वजह से होने वाले आर्थिक नुकसान को देखते हुए WHO विदेश यात्राओं पर कुछ भी स्पष्ट कहने से बच रहा है.

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ओमिक्रॉन का विदेश यात्राओं पर असर
ओमिक्रॉन का विदेश यात्राओं पर असर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ओमिक्रॉन के दौर में सतर्कता की सलाह
  • पहले के मुकाबले ज्यादा है ट्रांसमिशन रेट
  • लगभग 30 देशों में फैल चुका है ओमिक्रॉन

ओमिक्रॉन के बढ़ते मामले लोगों को 2021 की मई-जून और जुलाई की याद दिला रहे हैं. 5 दिसंबर को देश में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट (omicron cases) के 17 नए मामले सामने आए. इस तरह से भारत में ओमिक्रॉन के कुल 21 मामले हो गए. इनमें से रविवार को जयपुर से 9, महाराष्ट्र के पुणे से 7 और दिल्ली से 1 व्यक्ति ओमिक्रॉन पॉजिटिव पाया गया. 

खास बात यह है कि इन नए मामलों के कहीं न कहीं विदेशी यात्रा से कनेक्शन है. इसलिए एयरपोर्ट पर सख्ती और ट्रेसिंग बढ़ा गई है. इनसे ज्यादातर व्यक्तियों की ट्रैवल हिस्ट्री अफ्रीका की है. अथवा ये लोग ऐसे व्यक्तियों के संपर्क में थे, जिन्होंने हाल ही में विदेश यात्रा की थी. इसी के साथ ही अब भारत के चार राज्यों और दिल्ली में ओमिक्रॉन के केस आ गए हैं. इसी के साथ दक्षिण अफ्रीका से निकला यह वैरिएंट दुनिया के तकरीबन 30 देशों तक पहुंच चुका है.

इसी के साथ ही अब सबसे ज्यादा जोर इस बात पर है कि कैसे इस बीमारी के संक्रमण को रोका जा सके. विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अब समय आ चुका है कि दूसरी लहर के पीक के दौरान हमनें जो सावधानियां अपनाई थी, उसका सख्ती से पालन किया जाए. 

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दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर सुरेश कुमार ने कहा है कि इस बात की 99 फीसदी गारंटी है कि मास्क कोरोना के सभी वैरिएंट से आपकी रक्षा कर सकता है, चाहे वो अल्फा, बीटा, डेल्टा हो या फिर ओमिक्रॉन. 

दरअसल कोरोना का कनेक्शन शुरू से ही विदेश से रहा है. कोरोना का पहला केस भी भारत में 30 जनवरी, 2020 को चीन से आया था. कोरोना महामारी फैलने के बाद चीन के वुहान से लौटी केरल की एक छात्रा की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. 

विदेशों में एक्सपोजर का खतरा

बता दें कि अभी दुनिया में जो स्थिति है इस वक्त विदेश की यात्रा से ओमिक्रॉन वायरस के एक्सपोजर का खतरा ज्यादा है. भारत ने जिन देशों को एट रिस्क की कैटेगरी में रखा है, वहां ये वायरस लगातार फैल रहा है. इसलिए वहां की यात्रा बीमारी को न्योता देने के समान साबित हो सकती है. इसके अलावा अभी की विदेश यात्रा क्वारनटीन, टेस्टिंग, ट्रेसिंग जैसी परेशानियों पैदा कर सकती है. इसलिए अगर बेहद जरूरी न हो तो छुट्टियों की विदेश यात्रा टाली जा सकती है.


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अब जब ओमिक्रॉन का संक्रमण फिर से देखने को मिला है तो एक्सपर्ट सलाह दे रहे हैं कि विदेश यात्राओं से बचा जाए. बता दें कि भारत ने कुछ देशों को 'एट रिस्क'  की कैटेगरी में रखा है. इन देशों से आने वाले यात्रियों को आरटी-पीसीआर टेस्ट करने के बाद ही एयरपोर्ट छोड़ने की अनुमति दी जाती है. ये देश हैं- यूके, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, बोत्सवाना, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और इजरायल.  

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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना और ओमिक्रॉन की चुनौतियों को देखते हुए सुरक्षित रहना बेहतर है, इसके बजाय कि बाद में पछताया जाए.  

WHO के विशेषज्ञों को भी विदेश यात्रा की वजह से पैदा होने वाली चुनौतियों का आकलन है, लेकिन विदेश यात्रा पर अंकुश की वजह से होने वाले आर्थिक नुकसान को देखते हुए WHO विदेश यात्राओं पर कुछ भी स्पष्ट कहने से बच रहा है. WHO ने कहा है कि वैज्ञानिक आंकड़े आने तक इंतजार किया जाना चाहिए. 

डेल्टा से तीन गुणा ज्यादा है ट्रांसमिशन रेट

मेदांता के चेयरमैन डॉक्टर नरेश त्रेहन ने कहा कि नए ओमिक्रॉन वैरिएंट का ट्रांसमिशन रेट 12 से 18 के बीच है. यानी ये डेल्टा से करीब तीन गुना ज्यादा तेजी से फैल सकता है. इसका मतलब है कि एक अगर कोई व्यक्ति ऐसे देश में या स्थान पर जाता है जहां कोरोना से संक्रमित व्यक्ति हैं तो उसके संक्रमित होने की आशंका और ज्यादा बढ़ जाती है. 

विदेश यात्राओं की प्लानिंग में कमी

इस बीच भारत की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर नजर रखने वाली एक संस्था ने कहा है कि भारत से विदेश जाने वाले की प्लानिंग करने वालों की संख्या में कमी आई है. फाइंडर डॉट कॉम नाम की संस्था ने कहा है कि अगले तीन महीनों में 39 फीसदी भारतीय युवा कम से कम एक विदेश यात्रा पर जाना चाहते हैं, लेकिन पिछले महीने ये आंकड़ा 47 फीसदी थी. फाइंडर डॉट कॉम के अनुसार कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट की खबर आने के बाद इसमें और भी गिरावट होने की उम्मीद है. 

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