रूस ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए बनाए गए वैक्सीन के क्लीनिकल ह्यूमन ट्रायल की शुरुआत कर दी है. रूस से स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि उसने तरल और पाउडर के रूप में दवा तैयार की है. इसी दवा का क्लीनिकल ह्यूमन ट्रायल शुरू किया जा चुका है. (फोटोः AFP)
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इन दवाओं का ट्रायल करने के लिए हमारे पास दो समूह हैं. हर समूह में 38-38 लोग हैं. (फोटोः AFP)
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रूस की न्यूज एजेंसी तास के अनुसार इन दोनों समूहों को मिलिट्री के जवानों और आम नागरिकों को मिलाकर बनाया गया है. ताकि तैयार की गई वैक्सीन का प्रायोगिक परीक्षण सफलतापूर्वक किया जा सके. (फोटोः AFP)
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इस दवा को गामालेया साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने तैयार किया है. इस इंस्टीट्यूट के निदेशक एलेक्जेंडर जिंट्सबर्ग ने कहा कि ये ह्यूमन ट्रायल करीब डेढ़ महीने में पूरा होगा. (फोटोः AFP)
तरल और पाउडर दोनों दवाओं का ट्रायल मॉस्को के दो अलग-अलग स्थानों पर होगा. तरल दवा का ट्रायल बर्डेंको मिलिट्री हॉस्पिटल में इंट्रामस्क्यूलर इंजेक्शन के जरिए देकर किया जाएगा. (फोटोः AFP)
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पाउडर को भी इंट्रामस्क्यूलर इंजेक्शन के जरिए वॉलंटियर्स के शरीर में दिया जाएगा. इसका क्लीनिकल ट्रायल मॉस्को के सेशेनोव फर्स्ट स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में किया जाएगा. (फोटोः AFP)
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रूस ने सभी वॉलंटियर्स को इस ट्रायल के फायदे और नुकसान की जानकारी दे दी है. उनसे बीमा के कागजात पर हस्ताक्षर कराए गए हैं. सभी वॉलंटियर्स की हेल्थ स्क्रीनिंग की जा रही है. (फोटोः AFP)
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हेल्थ स्क्रीनिंग में देखा जा रहा है कि किसी मरीज को क्रोनिक बीमारी, एचआईवी, हेपेटाइटिस, कोरोनावायरस आदि तो नहीं है. जब सारी जांच हो जाएंगी, वॉलंटियर सही पाया जाएगा, तब उसके शरीर में कोरोना वायरस की नई वैक्सीन का ट्रायल शुरू होगा. (फोटोः AFP)
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पहले वॉलंटियर्स को 18 या 19 जून को वैक्सीन दिया जाएगा. वैक्सीन देने के बाद 28 दिनों तक वॉलंटियर्स की शारीरिक गतिविधियों पर नजर रखा जाएगा. इस दौरान वैक्सीन के असर का गहन अध्ययन किया जाएगा. (फोटोः AFP)