भारत में बीते 2 साल के दौरान ग्रोथ के मामले में क्विक कॉमर्स (quick commerce) ने ई-कॉमर्स (E-Commerce) सेक्टर को मीलों पीछे छोड़ दिया है. मिनटों में किचन से लेकर घर में इस्तेमाल होने वाले रोजमर्रा के किसी भी सामान को चुटकियों में आप तक पहुंचाने वाला ये सेगमेंट अब लोगों के रोजाना के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है.
यही वजह है कि फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म क्रिसियम की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत का क्विक कॉमर्स सेक्टर बीते 2 साल में बिक्री में 280 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ हासिल करने में कामयाब रहा है.
छोटे शहरों में भी क्विक कॉमर्स के बढ़ते कदम
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में क्विक कॉमर्स की ग्रॉस मर्केंडाइज वैल्यू 2021-22 के आधा अरब डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 3.3 अरब डॉलर हो गई है और 2029 तक इसके 9.95 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है. 2024-2029 के दौरान इसके साढ़े 4 परसेंट से ज्यादा की CAGR से बढ़ने की उम्मीद है.
कम समय सीमा में छोटे ऑर्डर को तेजी से डिलीवर करने की इसकी क्षमता ने पारंपरिक ई-कॉमर्स के मुकाबले तेजी गति से तरक्की की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां भारत का ई-कॉमर्स सेक्टर 14 परसेंट की सालाना दर से बढ़ रहा है. वहीं क्विक कॉमर्स ने 2023-24 के दौरान 73 परसेंट की शानदार ग्रोथ दर्ज की है.
ई-कॉमर्स के मुकाबले क्विक कॉमर्स का बिजनेस कम
इस सेक्टर में ग्रोथ की आगे भी अपार संभावनाएं मौजूद होने की वजह इसलिए भी है, क्योंकि जहां हर तरह के ऑनलाइन मार्केट का कुल आकार 45 अरब डॉलर का होने का अनुमान है. वहीं इसमें क्विक कॉमर्स की हिस्सेदारी महज 7 परसेंट है.
ऐसे में यहां विस्तार के मौकों की भरमार है और क्विक कॉमर्स पहले ही फूड डिलीवरी मार्केट के आकार के पार निकल गया है. अब क्विक कॉमर्स सेक्टर मैन्युफैक्चरर्स के साथ डायरेक्ट सोर्सिंग कर रहा है, जिससे वो पारंपरिक डिस्ट्रीब्यूटर नेटवर्क को बाइपास कर रहा है, और प्लेटफॉर्म्स को कॉस्ट में कमी करने का मौका मिल रहा है जिससे वो ग्राहकों को कम कीमत पर सामान मुहैया करा रहे हैं.
टेक्नोलॉजी का इस सेगमेंट की ग्रोथ में बड़ा योगदान है, जिसके दम पर डिलीवरी ऑपरेशंस में तेजी आ रही है. ऐसे में आने वाले समय में ये सेगमेंट भारत के रिटेल सेक्टर को बदलने में बड़ा रोल निभाएगा.