भारत और न्यूजीलैंड दोनों ने मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) को ऐतिहासिक करार दिया है. यह समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
अगर भारत के नजरिये से देखें तो सरकार का कहना है कि यह समझौता निवेश को बड़ा प्रोत्साहन देगा. न्यूजीलैंड ने अगले 15 वर्षों में भारत में 20 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की प्रतिबद्धता जताई है.
दरअसल, भारत और न्यूजीलैंड के बीच हुए इस समझौते के लागू होते ही भारत में न्यूजीलैंड से आयात होने वाले 95 फीसदी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ हटा दिए जाएंगे या बेहद कम कर दिए जाएंगे. यही नहीं, FTA लागू होते ही अधिकतर प्रोडक्ट्स पहले दिन से ही ड्यूटी-फ्री हो जाएंगे.
FTA की इनसाइड स्टोरी
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह भारत का पहला महिला नेतृत्व वाला समझौता है. उन्होंने कहा कि वार्ताकारों में लगभग सभी महिलाएं शामिल थीं.
पीएम मोदी ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के एक लेख को शेयर करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भारत-न्यूजीलैंड के बीच एफटीए केवल शुल्क कटौती तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और लाखों लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के व्यापक मिशन का हिस्सा हैं.
महिलाएं कर रही थीं टीम की नेतृत्व
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में संपन्न हुआ यह सातवां व्यापार समझौता है. FTA अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के व्यापक मिशन का हिस्सा है. उन्होंने रेखांकित किया कि भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि यह भारत का पहला महिला-आधारित मुक्त व्यापार समझौता है. लगभग पूरी वार्ता टीम में महिलाएं शामिल थीं.
यह व्यापार समझौता भारत की व्यापार कूटनीति में एक महत्वपूर्ण छलांग है. उन्होंने इस बात उल्लेख किया कि एफटीए देश भर में छोटे व्यवसायों, छात्रों, महिलाओं, किसानों और युवाओं के लिए अधिक अवसर पैदा करके विकास, रोजगार और वैश्विक बाजार तक पहुंच के नए रास्ते खोलेगा.
डील से भारत को क्या-क्या फायदे
वहीं न्यूजीलैंड के वाणिज्य और उद्योग मंत्री टॉड मैक्ले का कहना है कि इससे न्यूजीलैंड के एक्सपोर्ट में आने वाले दशक में NZ$1.1 अरब से NZ$1.3 अरब तक की सालाना बढ़ोतरी संभव है. एक्सपर्ट्स भी मान रहे हैं कि यह समझौता न्यूजीलैंड के खासकर कृषि, वानिकी, ऊन, लकड़ी और फल निर्यातकों के लिए फायदेमंद साबित होने वाला है. क्योंकि भारत की बढ़ती मध्यमवर्गीय आबादी में इन प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ रही हैं.
भारत भी इस समझौते के माध्यम से अपने प्रोडक्ट्स को न्यूजीलैंड के बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर बेचने की स्थिति में होगा. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद समझौते की औपचारिक घोषणा की गई. दोनों नेताओं ने इस समझौते को ऐतिहासिक, महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभदायक करार दिया है.
गौरतलब है कि साल 2025 भारत के लिए चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन भारत ने इसे अवसर में बदलने का भी काम किया है. इसी कड़ी में भारत ने साल- 2025 में तीसरा मुक्त व्यापार समझौता (FTA) फाइनल कर दिया है. भारत और न्यूजीलैंड ने 22 दिसंबर 2025 को महत्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को अंतिम रूप दे दिया है, जिसके तहत न्यूजीलैंड के 95% निर्यात पर भारत में आयात शुल्क (टैरिफ) को या तो पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा, या काफी कम हो जाएगा.
भारत से क्या-क्या खरीदता है न्यूजीलैंड
अगर दोनों के बीच व्यापार की बात करें तो भारत का न्यूजीलैंड से आयात (साल 2024) में करीब 507 मिलियन डॉलर का रहा था. वहीं, इस दौरान भारत ने न्यूजीलैंड को करीब 617 मिलियन डॉलर का निर्यात किया था. भारत न्यूजीलैंड से आयरन एंड स्टील, एल्यूमिनियम, खनिज ईंधन और तेल उत्पाद, लकड़ी और लकड़ी से बने सामान, पेपर प्रोडक्ट्स, फल, मेवा, औद्योगिक और रासायनिक सामान लेता है.
वहीं भारत से न्यूजीलैंड को मेडिसिन और फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट्स, टेक्सटाइल और कपड़े, मशीनरी और औद्योगिक उपकरण, व्हीकल्स और ऑटो पार्ट्स, खनिज तेल उत्पाद, पेपर प्रोडक्ट्स, कीमती पत्थर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्यात किए जाते हैं.