केंद्र सरकार ने नए श्रम कानूनों को पेश कर दिया है, जिस कारण कई नियम बदल चुके हैं. कर्मचारियों को ग्रेच्युटी से लेकर बोनस, टाइम पर सैलरी जैसे कई फायदे होने वाले हैं. साथ ही सैलरी स्ट्रक्चर को भी बदलने पर जोर दिया गया है और सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स पर फोकस रखा गया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सक कि ये कैलकुलेशन कर्मचारियों की कमाई की ज्यादा सटीक तस्वीर पेश करे.
नए सैलरी स्ट्रक्चर के तहत सैलरी में अब बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और अन्य भत्ता शामिल हैं. अगर भत्ते कुल मुआवजे के 50 फीसदी से ज्यादा हैं तो सोशल सिक्योरिटी कंट्रीब्यूशन की गणना के लिए अतिरिक्त राशि को वेतन में वापस जोड़ दिया जाएगा. इस बदलाव से सोशल सिक्योरिटी- पीएफ, ग्रेच्युटी, पेंशन आदि में कंट्रीब्यूशन बढ़ने की उम्मीद है और टेक होम सैलरी कम हो सकती है. खासकर उन कर्मचारियों के लिए जिनकी वेतन संरचना भत्तों पर बहुत अधिक निर्भर करती है. अब आइए जानते हैं नए सैलरी कानून से कॉन्र्टैक्ट वर्कर्स और फिक्स्ड टर्म वर्कर्स पर क्या असर होगा...
फिक्स्ड टर्म और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को ग्रेच्युटी
एक बड़ा सुधार ग्रेच्युटी को लेकर हुआ है . नए श्रम संहिताओं के तहत, फिक्स्ड टर्म और कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत कर्मचारी केवल एक साल की निरंतर सेवा पूरी करने के बाद ग्रेच्युटी के लिए पात्र हो जाते हैं. यह ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत पांच वर्ष की अनिवार्यता से एक बड़ा बदलाव है, और इसका उद्देश्य लचीली या शॉर्ट टर्म में कार्यरत कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति से जुड़े लाभों तक पहले पहुंच को बढ़ाना है.
ग्रेच्युटी के कैलकुलेशन में कोई बदलाव नहीं किया गया है. ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम की धारा 4(2) के अनुसार, भुगतान अंतिम प्राप्त मासिक वेतन को 15/26 से गुणा करके और फिर सेवा के पूरे सालों की संख्या के साथ गुणा करके आता है.
स्थायी कर्मचारियों को मिलेगी 1 साल बाद ग्रेच्युटी?
नए नियमों से उठने वाला एक आम सवाल स्थायी कर्मचारियों से जुड़ा है. कानूनी एक्सपर्टस का कहना है कि एक साल की कम की गई पात्रता केवल शॉर्ट टर्म वर्कर्स और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों पर लागू होती है. स्थायी कर्मचारियों को तब तक लगातार पांच साल की सेवा पूरी करनी होगी जब तक कि मृत्यु या विकलांगता के कारण यह अवधि कम न हो जाए.
मिनिमम सैलरी का लाभ
नए कानून के तहत मिनिमम सैलरी को भी परिभाषित किया गया है. इसका मतलब साफ है कि अगर कोई कर्मचारी नौकरी पर रखा जाता है तो उसे तय मिनिमम बेसिक सैलरी मिलेगी. इससे कर्मचारियों को जॉब गारंटी भी बढ़ जाएगी.
टाइम पर सैलरी
नए कानून के तहत कर्मचारियों को टाइम पर सैलरी देने का वादा किया गया है. आईटी समेत संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को टाइम पर सैलरी मिल सकेगी. इससे कर्मचारियों को बढ़ी राहत मिलने की उम्मीद है.
सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स
गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को भी इस योजना के तहत बड़ा लाभ दिया गया है. पहली बार इन कर्मचारियों को सोशल सिक्योरिटी जैसे पीएफ, पेंशन, बीमा आदि का लाभ मिल सकेगा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बढ़ोतरी से कर्मचारियों की टेक होम सैलरी कम हो सकती है.