scorecardresearch
 

गौतम अडानी ने इस कंपनी में एग्जीक्यूटिव चेयरमैन का पद छोड़ा, जानिए क्या है प्लान!

Adani Ports Q1 Result: अडानी पोर्ट्स के मैनेजमेंट में उलटफेर हुआ है. खुद गौतम अडानी (Gautam Adani) ने एग्जीक्यूटिव चेयरमैन की जिम्मेदारी से इस्तीफा दे दिया है. अब वे सिर्फ नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर कंपनी से जुड़े रहेंगे.

Advertisement
X
पहली तिमाही में अडानी पोर्ट्स का मुनाफा 6.5% बढ़कर ₹3,311 करोड़ रहा. (Photo: ITGD)
पहली तिमाही में अडानी पोर्ट्स का मुनाफा 6.5% बढ़कर ₹3,311 करोड़ रहा. (Photo: ITGD)

अडानी ग्रुप (Adani Group) की सबसे बड़ी कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) ने मंगलवार को तिमाही नतीजे पेश कर दिए. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अडानी पोर्ट्स का मुनाफा 6.5% बढ़कर ₹3,311 करोड़ रहा, जबकि आय में 31% की ग्रोथ देखने को मिली है, कार्गो वॉल्यूम में भी 11% की ग्रोथ आई है. 

रिजल्ट के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी अडानी पोर्ट्स के मैनेजमेंट में बड़ा उलटफेर हुआ है. खुद गौतम अडानी (Gautam Adani) ने एग्जीक्यूटिव चेयरमैन की जिम्मेदारी से इस्तीफा दे दिया है. अब वे सिर्फ नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर कंपनी से जुड़े रहेंगे, यानी कंपनी की रोजमर्रा की रणनीति या ऑपरेशन में उनका दखल नहीं रहेगा.

बदलाव के पीछे कंपनी का क्या प्लान?

नॉन-एक्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में गौतम अडानी कंपनी की लॉन्ग टर्म रणनीतियों और मार्गदर्शन के लिए उत्तरदायी रहेंगे, जबकि ऑपरेशन से जुड़े रोजाना के फैसले अब मैनेजमेंट के अन्य अधिकारी लेंगे. यह बदलाव अडानी समूह के भविष्य के नेतृत्व और ऑपरेशन को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. 

दरअसल, गौतम अडानी अब इस कंपनी में सलाहकार की भूमिका में आ गए हैं. कंपनी ने इस बदलाव की पुष्टि 5 अगस्त 2025 को बोर्ड बैठक के बाद की है. कंपनी के मजबूत कारोबारी प्रदर्शन से यह संकेत मिलता है कि वे भारतीय और ग्लोबल मार्केट में अपनी पकड़ और भी मजबूत कर रहे हैं. 

Advertisement

अब सवाल ये है कि क्या ये फैसला अचानक लिया गया? या पहले से प्लान किया गया था? संभव है कि गौतम अडानी अब समूह की अन्य कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय रणनीतियों पर फोकस करना चाहते हैं, या फिर कंपनी में कॉरपोरेट गवर्नेंस को और पारदर्शी बनाना चाहते हैं, ताकि शेयरधारकों को यह भरोसा दिलाया जा सके कि हर कंपनी प्रोफेशनली चलाई जा रही है. 

इसके साथ ही, मनीष केजरीवाल को बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक (Independent Director) के रूप में लाया गया है, जिनका अनुभव निजी निवेश और कॉर्पोरेट संरचना में है. अब देखना ये है कि इस बदलाव का बाजार और निवेशकों पर क्या असर पड़ता है.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement