पिछले चार महीने से शेयर बाजार (Stock Market) संभल नहीं रहा है. निवेशकों में हाहाकार मचा है. पिछले एक से डेढ़ साल में जितने भी नए पोर्टफोलियो बने हैं, उनमें से अधिकतर नुकसान में जा चुका है. अब निवेशक स्टॉक (Stock) में दांव लगाने से डर रहे हैं, खासकर रिटेल निवेशक.
क्या इस गिरावट में भी रिटेल निवेशकों के पास कोई ऐसा विकल्प है, जो सीधे स्टॉक्स न खरीदकर सेक्टर में पैसा लगा सके, ताकि अगर यहां से भी बाजार गिरता है तो नुकसान कम हो. फिलहाल ETF एक विकल्प है, जहां निवेशक सेक्टर्स को ध्यान में रखकर निवेश कर सकते हैं. आइए जानते हैं ETF के फायदे और नुकसान.
क्या है ETF?
आसान तरीके से समझें तो ETF एक निवेश का विकल्प है. एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के जरिये शेयर बाजार में निवेश किए जाते हैं. ETF के माध्यम से शेयरों के एक सेट में निवेश किया जाता है. ये आमतौर पर एक खास इंडेक्स को ट्रैक करता है.
स्टॉक की तरह ही ETF को स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जाता है. ईटीएफ को ट्रेडिंग अवधि के दौरान कभी खरीदा और बेचा जा सकता है. पिछले कुछ वर्षों में रिटेल निवेशकों में धीरे-धीरे ETF लोकप्रिय हो रहा है. इसका कारण है कि इसका शानदार रिटर्न. कुछ ETF ने हाल के दिनों में अच्छा रिटर्न दिया है.
ETF के जरिये इंडेक्स, कमोडिटी, बॉन्ड्स में निवेश किए जाते हैं. एम्फी के अनुसार ETF वे फंड हैं, जो CNX Nifty या BSE Sensex जैसे इंडेक्स को ट्रैक करते हैं. हर ईटीएफ के लिए फंड मैनेजर होते हैं, जिससे निवेशक को शेयरों की खरीदारी या बिकवाली नहीं करनी पड़ती है. निवेशको को केवल ETF में निवेश करना होता है.
ETF में कब निवेश करें?
अगर आप खास रणनीति के तहत ETF में निवेश करेंगे, तो दूसरों के मुकाबले ज्यादा प्रॉफिट निकाल पाएंगे. ETF में निवेश करने वालों के लिए यही समय चुनना सबसे जरूरी होता है. आप बिना जानकारी के ईटीएफ में पैसे लगाकर फंस सकते हैं. इसलिए ETF निवेश का सबसे आसान तरीका है- 'Buy on Dips', यानी जब-जब बाजार में या ETF इंडेक्स में गिरावट आए आप ETF में पैसे लगाएं.
आइए जानते हैं, म्यूचुअल फंड के मुकाबले ईटीएफ में निवेश करना क्यों फायदेमंद है.
- जिस तरह से शेयर की खरीद-बिक्री करते हैं, ठीक उसी तरह से EFT को भी खरीद-बेच सकते हैं.
- शेयर बाजार में ट्रेडिंग के दौरान ETF पर नजर रख सकते हैं. इसमें निवेश ज्यादा पारदर्शी होता है.
- ईटीएफ को आसानी से बेचा जा सकता है, जिस तरह से शेयर को बेचते हैं.
- ETF के जरिये अलग-अलग सेक्टर में निवेश किया जा सकता है.
- ईटीएफ से मिलने वाले डिविडेंड पर कोई आयकर नहीं लगता है.
- म्यूचुअल फंड के मुकाबले ईटीएफ में निवेश पर कम एक्सपेंस रेशियो लगता है.
- ETF की निकासी पर निवेशकों को कोई एग्जिट लोड नहीं देना पड़ता है.
निवेशक अपने रिस्क के हिसाब से ईटीएफ चुन सकते हैं.
1. बॉन्ड ETF: बॉन्ड ETF में निवेश करने से इन्वेस्टर को मंथली इनकम मिलती है. इस कैटेगरी में सरकार, कॉर्पोरेट और नगरपालिका बॉन्ड (कभी-कभी नगरपालिका बॉन्ड के नाम से जाना जाता है) शामिल किए जा सकते हैं.
2. स्टॉक आधारित ईटीएफ: स्टॉक आधारित ईटीएफ में एक ETF के अंदर कई तरह के स्टॉक्स होते हैं,जिसके प्रदर्शन के अनुसार निवेशकों को रिटर्न प्राप्त होता है.
3. सेक्टर आधारित ईटीएफ: इंडस्ट्री या सेक्टर ईटीएफ एक फंड है जो किसी विशेष उद्योग या क्षेत्र के प्रदर्शन को ट्रैक करता है. उदाहरण के रूप में, ऊर्जा उद्योग में काम करने वाली फर्म को उस क्षेत्र के लिए ईटीएफ में शामिल किया जाएगा. आईटी, पीएसयू, सीपीएसई जैसे ETF में विकल्प मौजूद हैं. इसके अलावा आईटी सेक्टर के भी ETF मौजूद हैं.
4. कमोडिटी आधारित ईटीएफ: निवेशकों में गोल्ड ETF काफी पॉपुलर है. कमोडिटी ईटीएफ कच्चे तेल या गोल्ड जैसी वस्तुओं में निवेश करते हैं. बड़े निवेशक अपने पोर्टफोलियो में गोल्ड ETF का कुछ हिस्सा जरूर रखते हैं.
5. करेंसी आधारित ईटीएफ: करेंसी पेयरिंग के प्रदर्शन का पालन करने वाले इन्वेस्टमेंट वाहनों को करेंसी ईटीएफ कहा जाता है. करेंसी ईटीएफ के कई उपयोग हैं. करेंसी वैल्यू की भविष्यवाणी करने के लिए देश के राजनीतिक और आर्थिक ट्रेंड का उपयोग किया जा सकता है.बिटकॉइन के लिए ईटीएफ भी उपलब्ध है.
6. इन्वर्स ईटीएफ: इनवर्स ईटीएफ को शॉर्टिंग इक्विटीज द्वारा स्टॉक ड्रॉप से लाभ प्राप्त करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह मानते हुए कि स्टॉक की कीमत कम हो जाएगी, शॉर्टिंग में इसे बेचना और फिर इसे बाद में कम कीमत पर खरीदना शामिल है.
(नोट: शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, ETF में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें)