प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त-वर्ष 2024-25 तक भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर (5 ट्रिलियन डॉलर) की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है. 5 ट्रिलियन इकोनॉमी की राह में कोरोना महामारी ने रोड़ा अटका दिया है. अब 2025 तक 5 ट्रिलियन का टारगेट बिल्कुल मुश्किल लग रहा है. लक्ष्य 2025 से क्यों दूर होता जा रहा है? मौजूदा समय में इसके कई कारण दिख रहे हैं.
दरअसल, वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था को करीब 83 अरब डॉलर (6 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है. वहीं FY21 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर -7.3 फीसदी पर पहुंच गई है. इस हिसाब से फिलहाल इंडियन इकोनॉमी की जीडीपी का आकार 2.7 लाख करोड़ डॉलर का है.
मौजूदा समय और मौजूदा हालात के हिसाब से 2025 तक 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के लिए अगले 3 सालों में सालाना 22-25 फीसदी की GDP ग्रोथ लानी होगी, जो बेहद मुश्किल आंकड़ा लग रहा है. क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है, और फिलहाल कोरोना संकट पूरी तरह से टला नहीं है.
बता दें, वित्त-वर्ष 2021-22 में तमाम रेटिंग एजेंसियों ने जीडीपी ग्रोथ 8 से 10 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. अगर 10 फीसदी के हिसाब से भी सालाना जीडीपी ग्रोथ होती है तो फिर 2030 तक 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्य हासिल हो पाएगा. अगर भारत की वृद्धि दर 9 फीसदी रहती है तो फिर 2031 तक 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल होगा.
अगर भारत की अर्थव्यवस्था का आकार हर साल 8 प्रतिशत की गति से बढ़ता रहे तो 2032 तक 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का सपना पूरा होगा. भारत इस समय दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. पीएम मोदी ने 2025 तक भारत की इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.
देश में कोरोना से उपजे हालात को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में दबाव देखने को मिल सकता है. क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई राज्यों में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाई गई हैं. जिससे आर्थिक गतिविधियां बाधित हुई हैं. वहीं कोरोना की तीसरी लहर की भी बात होने लगी है, जिससे संकट और गहराने का अंदेशा है.
गौरतलब है कि साल 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था की साइज 2.65 लाख करोड़ डॉलर की थी. इससे पहले भारत को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 60 साल लगे. साल 2007 में भारत की GDP एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंची. वहीं, 1 ट्रिलियन से 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने में 10 साल का वक्त लगा, और वर्ष 2017 में देश की GDP दो ट्रिलियन डॉलर की हो गई. जबकि, 2 ट्रिलियन से 3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने में भारत को केवल 4 साल लगे हैं.
41 साल का टूट गया रिकॉर्ड
वित्त वर्ष (2020-21) में जीडीपी ग्रोथ रेट -7.3 फीसदी दर्ज की गई. जो पिछले 41 साल की सबसे बड़ी गिरावट है. इससे पहले 41 साल पूर्व 1979-80 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर की रफ्तार -5.24 फीसदी रही थी. उस समय देश में सूखा पड़ा था. साथ ही कच्चे तेल की कीमतें दोगुनी हो गई थीं.