देश के ऐतिहसिक टैक्स सुधार वस्तु एवं सेवा कर (गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स-GST) को लागू हुए दो साल पूरे हो चुके हैं. इसे 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था. दो साल में जीएसटी का रास्ता काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा, तो इससे देश में कई महत्वपूर्ण बदलाव भी हुए. अब आज यानी 1 जुलाई, 2019 से इसमें कुछ और बदलाव होने जा रहे हैं.
ये होंगे नए सुधार
जीएसटी में 1 जुलाई 2019 से जो नए बदलाव होने जा रहे हैं, उनमें नया रिटर्न सिस्टम, नकद खाता बही प्रणाली को तर्कसंगत बनाने, नया रिटर्न फॉर्म सिस्टम शामिल है. नकद खाते को तर्कसंगत बनाते हुए 20 मदों को पांच प्रमुख खातों में शामिल किया जाएगा. टैक्स, ब्याज, जुर्माना शुल्क और अन्य चीजों के लिए सिर्फ एक नकद बहीखाता होगा.
नया रिटर्न सिस्टम
नए रिटर्न सिस्टम को 1 जुलाई से ट्रायल के तौर पर लागू किया जाएगा, जिसके सफल होने के बाद इसे 1 अक्टूबर से अनिवार्य बनाया जाएगा. इससे मौजूदा जीएसटीआर-3बी (समरी रिटर्न) की जगह जीएसटीआर-1 (सप्लाई रिटर्न) सिस्टम लाया जाएगा.
जब जीएसटी लागू हुआ था जो किसी व्यापारी को एक महीने में 36 रिटर्न दाखिल करना पड़ा था. लेकिन नए रिटर्न प्रणाली में महीने में सिर्फ एक रिटर्न दाखिल करना होगा.
रिफंड का सिंगल मैकेनिज्म
जीएसटी के सिंगल रिफंड मैकेनिज्म के तहत सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी व सेस के लिए रिफंड को मंजूरी मिलेगी. इसके अलावा 50 लाख रुपये तक के सालाना टर्नओवर के लिए छोटे सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए कम्पोजिशन स्कीम आएगी और उन्हें 6 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. बिजनेस टु बिजनेस लेनदेन के लिए चरणबद्ध इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइस सिस्टम होगा. सभी राज्यों की राजधानी में जीएसटी अपीलेट ट्राइब्यूनल की स्थापना की जाएगी.
दो साल में मिली ये सफलता
1. जीएसटी में तमाम वस्तुओं-सेवाओं पर टैक्स रेट में कटौती के बावजूद टैक्स कलेक्शन बढ़ता गया है. अगस्त 2017 के 93,590 करोड़ रुपये के राजस्व के मुकाबले मई 2019 में राजस्व बढ़कर 1,00,29 करोड़ रुपये रहा है.
2. राज्यों की सीमाओं में अबाध तरीके से ट्रकों की आवाजाही की वजह से ट्रांसपोर्ट में तेजी आई है और इसकी वजह से लॉजिस्टिक यानी माल की ढुलाई की लागत में करीब 15 फीसदी की कमी आई है.
3. इसके अलावा विभिन्न मद में सिंगल टैक्स रेट होने से टैक्स देना आसान हुआ है.
अब भी हैं ये चुनौतियां
जीएसटी काफी सफल रहा है, लेकिन इसमें अब भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं. कुछ प्रमुख चुनौतियां इस प्रकार हैं-
1. रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया अब तक काफी जटिल बनी हुई थी, जिसके अब कुछ आसान होने की उम्मीद है.
2. सर्विस प्रोवाइडर्स को कई जगह रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है.
3. विवाद से निपटने में मुश्किल यह है कि अधिकार क्षेत्र केंद्र और राज्यों में बंटा हुआ है.
4. निर्यातकों को रिफंड लेने के लिए काफी जूझना पड़ता है.
5. बिजली, तेल, गैस, शराब अब भी जीएसटी से बाहर हैं, इन्हें जीएसटी में किस तरह से लाया जाए यह एक चुनौती है.
(एजेंसियों के इनपुट पर आधारित)
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