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प्रकृति की गोद में सपनों का घर, क्यों बढ़ रहा है फार्महाउस का क्रेज?

दिल्ली में फार्महाउस संस्कृति की शुरुआत 1950 के दशक में हुई, जब दक्षिणी दिल्ली के आसपास की कृषि भूमि पर बड़े व्यापारी, राजनेता और उद्योगपतियों ने फार्महाउस बनवाए. धीरे-धीरे यह चलन गुरुग्राम, नोएडा और फरीदाबाद जैसे क्षेत्रों तक फैल गया.

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फार्महाउस की बढ़ती डिमांड
फार्महाउस की बढ़ती डिमांड

शहर की भीड़ भाड़ से दूर प्रकृति की हसीन वादियों में रहने का हर इंसान का सपना होता है, लोगों के इसी सपने को साकार करते हैं फार्महाउस, जहां प्रकृति के करीब रहने के साथ-साथ मॉडर्न सुविधाओं से लैस सपनों का घर मिलता है. पिछले कुछ सालों से फार्महाउस का चलन तेजी से बढ़ रहा है. लोग दूसरे घर के विकल्प के तौर पर फार्महाउस खरीद रहे हैं, जहां वो वीकेंड में अपने परिवार के साथ जाकर वक्त गुजारते हैं.

आखिर क्यों बढ़ रहा है फार्महाउस का क्रेज? 

प्रॉपर्टी विशेषज्ञ प्रदीप मिश्रा के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में फार्महाउस संस्कृति अब एक सपनों भरी जीवनशैली का प्रतीक बन चुकी है, शहर के शोर-शराबे और प्रदूषण से दूर, हरियाली और शांति से भरे फार्महाउस अब केवल एक सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक नहीं, बल्कि स्वस्थ और विलासितापूर्ण जीवन का पर्याय हैं. पहले फार्महाउस का अर्थ था खेतों के बीच बना एक साधारण घर, जहां किसान रहा करते थे, लेकिन आज यह विशाल विला, निजी बगीचों, स्विमिंग पूल, जैविक किचन गार्डन और आउटडोर समारोह स्थलों के रूप में जाना जाता है. दिल्ली में फार्महाउस संस्कृति की शुरुआत 1950 के दशक में हुई, जब दक्षिणी दिल्ली के आसपास की कृषि भूमि पर बड़े व्यापारी, राजनेता और उद्योगपतियों ने फार्महाउस बनवाए. धीरे-धीरे यह चलन गुरुग्राम, नोएडा और फरीदाबाद जैसे क्षेत्रों तक फैल गया. 

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प्रदीप कहते हैं-  'दिल्ली में फार्महाउस निर्माण और स्वामित्व हमेशा कानूनी और नियामक चुनौतियों से घिरा रहा है. दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और नगर निगम ने समय-समय पर नीतियां लागू की हैं. 2012 की नियमितीकरण नीति के तहत कई अनधिकृत फार्महाउस को जुर्माना और विकास शुल्क के साथ वैधता प्रदान की गई. वर्तमान में, दिल्ली मास्टर प्लान 2041 के अंतर्गत ग्रीन डेवलपमेंट नीति लागू है, जो 60% हरित क्षेत्र, टिकाऊ निर्माण, वर्षा जल संचयन, और व्यावसायिक दुरुपयोग पर कड़े प्रतिबंधों को अनिवार्य करती है. इस नई नीति के कारण फार्महाउस अब केवल विलासिता का प्रतीक नहीं, बल्कि पर्यावरण-अनुकूल और सामुदायिक जीवनशैली का मॉडल बन रहे हैं.

फार्महाउस खरीदने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

अगर आप फार्महाउस खरीदने का प्लान कर रहे हैं, तो कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है. कानूनी जांच (जमीन का मालिकाना हक, सीएलयू अनुमोदन), स्थान, बुनियादी ढांचा, पर्यावरणीय नियम और भविष्य में विकास की संभावनाओं पर विशेष ध्यान दें. भविष्य में दिल्ली के फार्महाउस स्मार्ट और पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली, कृषि-पर्यटन, नियंत्रित विकास और सामुदायिक एकीकरण जैसे नए रुझानों को बढ़ावा देंगे. प्रौद्योगिकी, स्थिरता और विलासिता का यह अनूठा संयोजन दिल्ली के फार्महाउस संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा.
 
फार्महाउस के फायदे

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फार्महाउस डेवलपमेंट से गांववालों को जबरदस्त फायदे मिलते हैं. जमीन की कीमत कई गुना बढ़ जाती है, जिससे उन्हें बेहतर जीवन मिलता है. साथ ही, गार्डनिंग, हॉस्पिटैलिटी, सिक्योरिटी, और मेंटेनेंस जैसी नौकरियां भी मिलती हैं. लोकल बिज़नेस (दूध, सब्ज़ी, फूल, कैटरिंग आदि) को भी बूस्ट मिलता है, वहीं, बायर्स के लिए फार्महाउस एक हाई-रिटर्न इन्वेस्टमेंट है, जिसकी वैल्यू हर साल 10-15 फीसदी तक बढ़ रही है. 

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