अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय चावल एक्सपोर्ट पर टैरिफ लगाने की धमकी दी है. जिसे लेकर राइस एक्सपोर्ट फेडरेशन (IREF) के वाइस प्रेसिडेंट देव गर्ग ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चावल आयात पर शुल्क बढ़ाने की धमकी के बावजूद अमेरिका में भारतीय चावल की मांग मजबूत बनी हुई है.
उन्होंने कहा कि अमेरिकी बाजार के सभी एक्सपोर्ट डिमांड बेस्ड हैं. हमने देखा है कि अमेरिकी बाजार में भारतीय चावल के निर्यात में तेजी हुई है, क्योंकि अमेरिकी बाजार में भारतीय और साउथ एशियाई फूड की लोकप्रियता बढ़ी है. क्योंकि भारतीय चावल का स्वाद, बनावट और रंक बहुत ही खास है. अमेरिका में उाया गया चाल भारतीय चावल का विकल्प नहीं है.
अमेरिकी टैरिफ से भारत को नहीं कोई नुकसान
देव गर्ग ने कहा कि भारत अमेरिका में चावल नहीं डाल रहा है और वहां भारतीय चावल का बाजार स्थिर बना हुआ है. उन्होंने कहा कि अमेरिका की ओर से पहले से लगाए गए टैरिफ से भारतीय एक्सपोर्टर को कोई नुकसान नहीं हुआ है. भारतीय किसानों की होने वाली आय स्थिर रही है. हालांकि टैरिफ बढ़ने का पूरा बोझ अमेरिकी कंज्यूमर पर पड़ा है, जिन्हें इस टैरिफ बढ़ोतरी का खामियाजा भुगतना पड़ा है. इस कारण अमेरिकी बाजार में घरेलू खाद्य महंगाई बढ़ गई है.
अमेरिकी कंज्यूमर्स कोई एहसान नहीं कर रहे
उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई एहसान नहीं है, जो अमेरिकी कंज्यूकर्स भारत के लिए कर रहे हैं, बल्कि यह अमेरिकी बाजार की आवश्यकता है. यह बयान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिका में कृषि सब्सिडी पर चर्चा के दौरान भारतीय चावल पर नए टैरिफ लगाने की चेतावनी के बाद आया है.
ट्रंप का बयान राजनीतिक
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह बयान किसी बड़े नीतिगत कदम के संकेत से ज्यादा राजनीतिक लगती है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा कि ट्रंप भारतीय चावल पर उच्च टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन यह धमकी राजनीति है, नीति नहीं.
निर्यातकों का कहना है कि अगर अमेरिका फिर से टैरिफ बढ़ाता भी है, तो इसका मुख्य असर अमेरिकी खरीदारों पर पड़ेगा, भारतीय व्यापार पर नहीं. देव गर्ग ने कहा कि इसलिए अमेरिकी टैरिफ में कोई भी भारी बढ़ोतरी या आगे की बढ़ोतरी अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए ही नुकसानदेह होगी और भारतीय व्यापार पर इसका बहुत कम असर पड़ने वाला है.
भारत ने अमेरिका को कितना चावल भेजा?
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत ने अमेरिका को 337.10 मिलियन अमेरिकी डॉली वैल्यू का बासमती चावल (274,213.14 मीट्रिक टन) निर्यात किया, जिससे वह चौथा सबसे बड़ा खरीदार बन गया. भारत ने अमेरिका को 54.64 मिलियन अमेरिकी डॉलर गैर बासमती चावल भारत ने 61,341.54 मीट्रिक टन भी एक्सपोर्ट किया.