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चेक बाउंस मामलों के लिए बनेंगे स्पेशल कोर्ट, सरकार और सुप्रीम कोर्ट राजी

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज आरसी चौहान की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई है.  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्ट‍िस एसए बोबडे ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों का करीब 60 फीसदी हिस्सा NI Act से जुड़े केसेज का है.

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सुप्रीम कोर्ट और सरकार में बनी सहमति
सुप्रीम कोर्ट और सरकार में बनी सहमति
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चेक बाउंस मामले काफी लंबित हैं
  • सुप्रीम कोर्ट ने लिया था संज्ञान
  • ऐसे केसेज के लिए बनेंगे स्पेशल कोर्ट

चेक बाउंस मामलों और NI एक्ट केसेज के लिए विशेष कोर्ट स्थापित किए जाएंंगे. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच सहमति बन गई है. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्ट‍िस एसए बोबडे ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों का करीब 60 फीसदी हिस्सा निगोश‍िएबल इंस्ट्रुमेंट एक्ट (NI Act) से जुड़े केसेज का है.

कमिटी का गठन 

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज आरसी चौहान की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई है. इसके क‍मिटी में केंद्र सरकार के वित्तीय सेवा विभाग से अतिरिक्त सचिव स्तर का एक अध‍िकारी, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय, न्याय विभाग, व्यय विभाग, गृह मंत्रालय के एक-एक अध‍िकारी और भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर द्वारा नियुक्त एक प्रतिनिध‍ि भी होगा.  

गौरतलब है कि स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में सुनवाई शुरू की थी कि चेक बाउंस और निगोश‍िएबल इंस्ट्रुमेंट एक्ट के सभी मामलों को तेजी से निपटाने के लिए क्या कदम उठाए जाएं. 25 फरवरी को कोर्ट ने इस बारे में केंद्र सरकार से राय मांगी थी कि क्या इसके लिए अतिरिक्त अदालतों का गठन किया जा सकता है? 

कई पक्षों से मिली सलाह 
 
इस बारे में विभ‍िन्न पक्षों से कई तरह के सुझाव हासिल हुए थे. केंद्र सरकार ने भी इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और कहा कि संविधान के अनुच्छेद 247 के तहत आने वाले निगोश‍िएबल इस्ट्रुमेंट को बेहतर तरीके से देखने के लिए अतिरिक्त अदालतों का गठन किया जा सकता है. 

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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा ने बताया कि केंद्र सरकार अलग कोर्ट के गठन पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गई है. चीफ जस्ट‍िस ने कहा कि कोर्ट को मिले सुझाव काफी उपयोगी और रचनात्मक हैं, लेकिन इन पर सचेत होकर काम करना होगा ताकि इन बदलावों से कोर्ट, बार या मुकदमों के मौजूदा प्रक्रिया में कोई अड़चन न आए.  

चीफ जस्ट‍िस ने कहा, 'इसलिए हमें यह उपयुक्त लगता है कि एक कमिटी का गठन किया जाए जो इस बारे में मिले सुझावों पर विचार कर एक रिपोर्ट दे जिसमें यह बताए कि ऐसे मामलों को जल्दी निपटाने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए.' 

 

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