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सैलरी कितनी आएगी, PF कितना कटेगा... 50% वेतन नियम से 2026 में क्‍या-क्‍या बदलेगा?

साल 2026 में नया लेबर कोड पूरी तरह से आ जाएगा, फिर सैलरी से लेकर पीएफ कटौती और सोशल सिक्‍योरिटी को लेकर कई बदलाव हो सकते हैं. आइए जानते हैं क्‍या-क्‍या बदल सकता है.

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नया लेबर कानून (Photo: File/ITG)
नया लेबर कानून (Photo: File/ITG)

साल 2025 में लेबर कोड में बड़ा बदलाव किया गया और  28 कानूनों को समाप्‍त करके सिर्फ 4 नए कानून को नोट‍िफाई कर दिया गया है. 21 नवंबर 2025 से, सभी चार लेबर कोड मजदूरी संहिता (2019), औद्योगिक संबंध संहिता (2020), सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों संहिता (2020) प्रभावी माना जाएगा. 

ये कानून कम्रचारियों के लिए सैलरी,  पीएफ, पेंशन , सोशल सिक्‍योरिटी से लेकर हेल्‍थ तक के नियम को परिभाषित करते हैं. साल 2026 में नई फाइनेंशियल से इस कानून को पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा. ऐसे में आपकी सैलरी और पीएफ को लेकर बदलाव होंगे. आइए जानते हैं इस  नियम के आने से आपकी सैलरी पर क्‍या असर होगा. 

50 फीसदी सैलरी नियम से क्‍या बदलेगा? 
 नए कानून के तहत सैलरी स्‍ट्रक्‍चर को भी क्लियर किया गया है. नई व्यवस्था के तहत सैलरी में केवल बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता (DA) और अन्‍य भत्ता शामिल होगा. ये सभी घटक मिलकर किसी कर्मचारी के कुल सैलरी या कंपनी लागत (सीटीसी) का कम से कम 50% होना चाहिए. 

बाकी 50 फीसदी हिस्‍से में HRA, बोनस, कमीशन, PF, ओवरटाइम और अन्‍य चीजें शामिल की जाएंगी.अगर ये अलाउंस तय सीमा से ज्‍यादा हो जाते हैं तो एक्‍स्‍ट्रा अमाउंट खुद ही सैलरी में जुड़ जाएगी. ऐसे में कर्मचारियों का सवाल है कि इससे उनकी टेक होम सैलरी पर असर पड़ सकता है. हालांकि सरकार ने कहा है कि कर्मचारी चाहें तो 15000 रुपये की बेसिक सैलरी पर ही अपना PF कटौती लागू रख सकते हैं. इससे ज्‍यादा कटौती उनकी मर्जी पर होगा. 

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वेतन पर असर 
50% वेतन नियम का तात्कालिक प्रभाव यह है कि नियोक्ताओं को मूल वेतन और महंगाई भत्ता (डीए) बढ़ाकर वेतन विभाजन को क्लियर करना होगा. इस नियम से वेतन से जुड़े कटौती वृद्धि होगी, जिनमें भविष्य निधि (पीएफ), ग्रेच्युटी, पेंशन और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ शामिल हैं. 

टैक्‍स देनदारी भी बढ़ सकती है
चार्टर्ड अकाउंटेंट डॉ. सुरेश सुराना ने कहा कि इस तरह के पुनर्गठन से वेतन के टैक्‍स योग्य हिस्से में वृद्धि हो सकती है. उन्होंने कहा कि 50% वेतन सीमा का अनुपालन होने पर टैक्‍स कटौती बढ़ सकती है, जो कर्मचारियों के बजट को प्रभावित कर सकती हैं. 

वे भत्ते जिनका उपयोग पहले टैक्‍स घटकों के रूप में किया जाता था, अब वेतन में शामिल किए जा सकते हैं. इससे आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 15 के तहत कुल टैक्‍स योग्य वेतन में वृद्धि हो सकती है, विस्तारित वेतन आधार के कारण नियोक्ता और कर्मचारी पीएफ अंशदान में वृद्धि हो सकती है और छूट के माध्यम से टैक्‍स अनुकूलन के लिए लचीलापन कम हो सकता है.

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