जापान संकट (Japan Crisis) में है, यह संकट आगे और बढ़ने वाला है. ये हम नहीं कह रहे, बल्कि एक्सपर्ट ऐसी चेतावनी दे रहे हैं. इन्वेस्टमेंट बैंकर सार्थक आहूजा ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में इसे लेकर अलर्ट किया है और इसके पीछे के कारणों को भी बताया है. उन्होंने कहा है कि जापान में 30 साल पुराना ट्रेंड टूटना देश की इकोनॉमी के लिए परेशानी का सबब है. आइए जानते हैं एक्सपर्ट किस ट्रेंड की ओर इशारा कर रहे है.
जापान में चरमराया 'येन कैरी ट्रेड'
जापान ने हाल ही में अपना 30 साल का ट्रेंड तोड़ा है, तो दूसरी ओर वैश्विक शेयर बाजारों में उथल-पुथल मची है. देश का 'येन कैरी ट्रेड' के नाम से जाना जाने वाला यह ग्लोबल आर्बिट्रेज खेल अब चरमरा रहा है. जापान में उधारी दर बढ़कर 2.8% हो गई है, जो सबसे आकर्षक इस Japan Yen Carry Trade के लिए मुसीबत का सबब बन चुकी है. निवेश बैंकर सार्थक आहूजा ने अपनी एक लिंक्डइन पोस्ट में इसे लेकर बड़ी चेतावनी दी है और कहा है कि इससे दुनिया भर के निवेशकों को झकटा लगा है.
दशकों तक '0%' रही ब्याज दर
दशकों से जापान की बेहद कम ब्याज दरें (Japan Policy Rates), जो लगभग 0% के आसपास मंडराती रहती थीं और कभी-कभी तो ये निगेटिव में भी पहुंची हैं. ये जापान को वैश्विक निवेशकों के लिए सबसे पसंदीदा निवेश स्थान बनाती रहीं. संस्थाओं और विदेशी निवेशकों ने सस्ते में येन उधार लिया और अपनी पूंजी अमेरिका और भारत जैसे बाजारों में लगा दी, जहां बॉन्ड और इक्विटी पर रिटर्न 4%-8% के बीच था.
यहां बता दें कि जापान का 'येन कैरी ट्रेड' के पीछे मकसद कर्ज को सस्ता बनाए रखना था, जिससे कि व्यवसाय और परिवार खर्च व निवेश में सक्षम रहें. हालांकि, तमाम एक्पर्ट्स ने इसे Japan Economy के लिए घातक भी बताया था. साफ शब्दों में कहें तो Yen Carry Trade एक इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी है, जिसमें निवेशक कम ब्याज दर वाली मुद्रा जापानी येन (JPY) में उधार लेते हैं और उच्च ब्याज दरों वाली संपत्ति में निवेश करने के लिए उस धन का उपयोग करते हैं. इसका उद्देश्य दो मुद्राओं के बीच ब्याज दर के अंतर से लाभ कमाना मात्र होता है.

कैलकुलेशन बेहद सरल था कि 0% पर उधार लें, 5% कमाएं, स्प्रेड जेब में डालें. जब तक जापान ने ब्याज दरें कम रखीं तब तक व्यापार चलता रहा, लेकिन अब उलटफेर हुआ और तस्वीर पूरी तरह से बदलने लगी है. जापान ने 30 साल पुरानी Global Arbitrage Machine या मनी मशीन को नष्ट कर दिया है और वैश्विक बाजार शायद इसके लिए तैयार नहीं हैं.
जापान में बदलाव का ये बड़ा कारण
रिपोर्ट की मानें, तो जापान में इस नाटकीय बदलाव का कारण महंगाई है, जो 25 सालों में पहली बार (Japan Inflation Rate) 2.5% को पार कर गई है, जबकि वास्तविक लेबर कॉस्ट स्थिर है. अब बैंक ऑफ जापान को डिमांज कम करने और कीमतों पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ रहा है. बीते कारोबारी दिन 19 नवंबर को जापान की उधारी दर (Japan Interest Rate) बढ़कर 2.8% हो गई, जो 30 वर्षों में सबसे ज्यादा है. बीते साल अगस्त 2024 में जापान में ब्याज दरों में 0.25% की मामूली बढ़ोतरी से ही बड़ी अफरा-तफरी मच गई थी और निक्केई एक ही दिन में 12% तक गिर गया था.
कैसे बोझ बढ़ने का संकट?
सार्थक आहूजा ने बड़ा अलर्ट देते हुए कहा है कि अगर यह ब्याज दर 3% को पार कर जाती है, तो फिर जापान पर पहले से ही मौजूद Japan GDP का 2.5 गुना कर्ज का बोझ और बढ़ सकता है, जिसे संभालना मुश्किल हो सकता है. उन्होंने अपनी लिंक्डइन पोस्ट में लिखा कि यह विनाशकारी है, क्योंकि कैरी ट्रेड पर मुनाफा मार्जिन गायब हो रहा है, जिससे घबराहट बढ़ी है. निवेशक अब जापानी कर्ज चुकाने के लिए विदेशों में, खासकर अमेरिका में अपनी जमा-पूंजी समेट सकते हैं, जिससे वैश्विक शेयर बाजारों पर दबाव बढ़ सकता है. उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि,'इस समय कोई जोखिम भरा दांव नहीं, बल्कि अपनी जमा पूंजी को तेजी से बढ़ाने की कोशिश करने से ज्यादा जरूरी है कि आप इसकी सुरक्षा करें.'