केंद्र सरकार ने रेड मीट मैन्युअल से 'हलाल' शब्द हटाने का निर्णय लिया गया है. इस पर सवाल खड़ा हुआ है. आइए जानते हैं कि मीट उत्पादन में भारत की क्या स्थिति है और भारत किन देशों को निर्यात करता है?
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाली एग्रीकल्चरल ऐंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) एग्री एक्सपोर्ट की निगरानी करती है. पहले रेड मीट मैन्युल में इस्लामी देशों की जरूरतों के देखते हुए यह लिखा होता था कि जानवरों को हलाल प्रक्रिया के तहत जबह (मारा) किया गया है.
APEDA ने यह भी साफ किया है भारत सरकार की तरफ से हलाल मीट के लिए कोई शर्त नहीं रखी गई है. इसमें कहा गया है कि निर्यात किए जाने वाले देश या इंपोर्टर की जरूरत के लिहाज से फैसला लिया जा सकता है.
दुनिया में नंबर एक
भारत पशुधन के मामले में काफी समृद्ध देश है और यहां एनिमल प्रोडक्ट्स का निर्यात कुल कृषि उत्पादों में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में भारत में बफैलो (भैंस या भैंसे) की संख्या 10.98 करोड़, भेड़ों की संख्या 7.42 करोड़, बकरियों की संख्या 14.88 करोड़, सूअर की संख्या 90 लाख कुक्कुट यानी पॉल्ट्री की संख्या 85.18 करोड़ थी.
अगर हम मीट प्रोडक्ट की बात करें तो इसमें शीप/गोट मीट, बफैलो मीट, अदर मीट जैसे सूअर आदि शामिल होता है. भारत कुल मीट निर्यात में तीसरा और बफैलो मीट निर्यात में दुनिया में पहला स्थान रखता है.
भारत में मीट प्रोडक्शन काफी हद तक असंगठित क्षेत्र में है, इसलिए घरेलू डिमांड का कोई सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. छोटे-छोटे कस्बों, गांव, शहरों में तमाम दुकानदार मीट बेचते हैं जिनका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होता.
एपेडा के मुताबिक भारतीय बफैलो मीट अपनी गुणवत्ता की वजह से दुनिया में काफी लोकप्रिय है. बफैलो मीट के उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में नंबर एक स्थान रखता है और इसकी बाजार हिस्सेदारी करीब 42.60 फीसदी है. भारत 70 से ज्यादा देशों को फ्रोजन और फ्रेश चिल्ड मीट का एक्सपोर्ट करता है. इसमें करीब 97 फीसदी हिस्सा फ्रोजेन बफैलो मीट का होता है
सबसे ज्यादा हिस्सा चिकेन का
देश के कुल मीट उत्पादन में सबसे ज्यादा 50.06 फीसदी हिस्सा पॉल्ट्री यानी चिकेन का, 19.05 फीसदी हिस्सा बफैलो का, 13.53 फीसदी हिस्सा बकरियों का, 8.36 फीसदी हिस्सा भेड़ों का और 4.98 फीसदी हिस्सा सुअरों का होता है. दुनिया के अंडा उत्पादन में भारत का हिस्सा करीब 5.65 फीसदी है.
कहां जाता है बफैलो मीट
बफैलो मीट का सबसे बड़ा ग्राहक वियतनाम है, उसके बाद इजिप्ट, मलेशिया, इंडोनेशिया और इराक का नंबर आता है. भारत दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य-पूर्व, अफ्रीका, सीआईएस देश आदि के 70 से ज्यादा देशों में बफैलो मीट का निर्यात करता है.
बफैलो मीट के लिए भारत के प्रमुख ग्राहक देश वियतनाम, मलेशिया, इजिप्ट, इराक, सऊदी अरब, फिलीपींस, इंडोनेशिया, यूएई, अल्जीरिया और रूस हैं. देश में करीब 11 अत्याधुनिक मीट प्लांट हैं जहां फ्रोजेन बफैलो मीट का उत्पादन किया जाता है.
बफैलो मीट के 5 प्रमुख ग्राहक देश
1. वियतनाम
2. इजिप्ट
3. मलेशिया
4. इंडोनेशिया
5. इराक
खाड़ी देशों में सबसे ज्यादा जाता है बकरे का मांस
APEDA के अनुसार भारत ने पिछले साल 2019-20 में करीब 26,383.99 करोड़ रुपये का मांस निर्यात किया था, जिसमें से बफैलो मीट करीब 22668.47 करोड़ रुपये, भेड-बकरी का मांस करीब 646.69 करोड़ रुपये और पॉल्ट्री उत्पाद करीब 574.58 करोड़ रुपये का था. सूअर आदि अन्य जानवरों के मीट का निर्यात करीब 16.32 करोड़ रुपये का हुआ. भेड़-बकरों (Goat) के मांस के सबसे बड़े ग्राहक देशों में संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर, कुवैत, ओमान आदि शामिल हैं.
भारत के कुल एनिमल प्रोडक्ट एक्सपोर्ट में बफैलो मीट का हिस्सा करीब 90 फीसदी होता है. साल 2018-19 में भारत ने 25,168.31 करोड़ रुपये मूल्य के 12.4 लाख टन बफैलो मीट का निर्यात किया था.
यूपी है सबसे आगे
कुल मीट निर्यात में सबसे बड़ा करीब 65 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश का है. यह बफैलो मीट का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. इसके बाद पंजाब एवं महाराष्ट्र है. देश की मीट प्रोसेसिंग एक्सपोर्ट यूनिट में से करीब आधा यूपी में ही हैं.
ऐसा माना जाता है कि 50 मीट्रिक टन रोजाना उत्पादन वाले किसी प्लांट में 1500 से 2000 प्रत्यक्ष नौकरियां मिलती हैं. प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान राहत पैकेज के तहत एनिमल हसबैंड्री इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (AHIDF) के लिए 15 हजार करोड़ रुपये देने की बात कही गयी है.