बजट से पहले वित्त वर्ष 2020-21 का इकोनॉमिक सर्वे (आर्थिक सर्वेक्षण) कल यानी शुक्रवार को संसद में पेश किया जाएगा. आइए जानते हैं कि बजट से पहले पेश किया जाने वाला ये आर्थिक सर्वे क्या होता है और क्यों महत्वपूर्ण होता है?
सबसे पहले यह जान लें कि बजट सरकार आगामी वित्त वर्ष के लिए पेश करती है, लेकिन इकोनॉमिक सर्वे मौजूदा वित्त वर्ष का लेखा-जोखा होता है. उदाहरण के लिए इस साल 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जो बजट पेश करने जा रही हैं, वह आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के लिए होगा, लेकिन कल जो आर्थिक सर्वे पेश किया जाएगा वह मौजूदा साल 2020-21 के लिए है. इसमें पूरे साल के आर्थिक विकास का लेखा-जोखा होगा.
गौरतलब है कि कोरोना संकट की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष में देश की आर्थिक हालत खस्ता रही है. तमाम रेटिंग एजेंसियों ने यह अनुमान जाहिर किया है कि इस साल जीडीपी में 10 फीसदी के आसपास गिरावट आ सकती है. इस साल की पहली तिमाही में करीब 24 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. दो तिमाहियों में गिरावट का आंकड़ा जारी हो चुका है, तीसरी तिमाही में भी जीडीपी में गिरावट होने की ही आशंका है.
ऐसे में सबकी नजर इस आर्थिक सर्वे पर है. क्योंकि इससे काफी हद तक यह अंदाजा लग जाएगा कि इकोनॉमी की हालत कितनी खराब है और इसमें कितना सुधार हो रहा है.
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क्या होता है आर्थिक सर्वे?
आर्थिक सर्वे देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है. इस सर्वे रिपोर्ट से आधिकारिक तौर पता चलता है कि साल के दौरान आर्थिक मोर्चे पर देश का क्या हाल रहा. इसके अलावा सर्वे से ये भी जानकारी मिलती है कि आने वाले समय के लिए अर्थव्यवस्था में किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं.
आसान भाषा में समझें तो वित्त मंत्रालय की इस रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर देखी जा सकती है. अकसर, आर्थिक सर्वे के जरिए सरकार को अहम सुझाव दिए जाते हैं. हालांकि, इसकी सिफारिशें सरकार लागू करे, यह अनिवार्य नहीं होता है.
कौन तैयार करता है
आर्थिक सर्वे को मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) की टीम तैयार करती है. इस बार मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम हैं. ऐसे में जाहिर सी बात है कि कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम की अगुवाई में आर्थिक सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई है. वित्त मंत्रालय के इस अहम दस्तावेज को सदन में वित्त मंत्री द्वारा पेश किया जाता है.