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क्या आपको पता है इस साल इकोनॉमिक सर्वे का रंग गुलाबी क्यों है?

भारत में महिलाओं और पुरुषों के बीच लिंगानुपात के अंतर की बात तो अक्सर की जाती है लेकिन इकोनॉमिक सर्वे में एक नए तरीके से इस बात को उठाया गया है.

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इकोनॉमिक सर्वे का रंग गुलाबी
इकोनॉमिक सर्वे का रंग गुलाबी

इस साल इकोनॉमिक सर्वे को गुलाबी रंग में छापा गया है. ऐसा जानबूझकर इसलिए किया गया है, जिससे लोगों का ध्यान लिंगभेद की तरफ खींचा जा सके और महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने की मुहिम को आवाज दी जा सके.

सोमवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वे में भारत में लिंग भेद की समस्या, महिलाओं के प्रति भेदभाव और भारतीय समाज में बेटे की जरूरत से ज्यादा चाह के बारे में विस्तार से बताया गया है. इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि जिस तरह भारत में इज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में कई पायदान की छलांग लगाई है उसी तरह इस मामले में भी कदम उठाने की जरूरत है. जिससे समाज में बेटे और बेटी के बीच में भेद को खत्म किया जा सके.

इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि भारत में बच्चों के जन्म के बारे में फैसला लेने का अधिकार अक्सर महिलाओं के पास नहीं होता है. भारत में महिलाओं और पुरुषों के बीच लिंगानुपात के अंतर की बात तो अक्सर की जाती है लेकिन इकोनॉमिक सर्वे में एक नए तरीके से इस बात को उठाया गया है.

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सर्वे में कहा गया है कि भारतीय समाज में बेटे की चाहत कितनी ज्यादा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि किसी भी परिवार में आखिरी बच्चा बेटा है या बेटी. भारत में जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि भारत के ज्यादातर परिवारों में आखिरी  बच्चा बहुत बड़ी संख्या में बेटे ही हैं. यानी लोग अपना परिवार तब तक बढ़ाते रहते हैं जब तक बेटों के बारे में उनकी इच्छा पूरी ना हो जाए. यानी बहुत सी ऐसी लड़कियों का जन्म होता है जिनको उनका परिवार नहीं चाहता. ये दिखता है कि तमाम कोशिशों के बावजूद बेटे और बेटियों का फर्क अभी भी बना हुआ है.

इकोनॉमिक सर्वे में यह भी कहा गया है कि गर्भनिरोध के उपाय चुनने के बारे में भी महिलाओं को भारत में अधिकार कम ही मिल पाता है. गर्भनिरोध के उपायों के बारे में या तो पुरुष फैसला लेते हैं या फिर महिलाएं उसका इस्तेमाल कर ही नहीं पातीं.

आर्थिक सर्वे में इस बात को लेकर चिंता जाहिर की गई है कि नौकरियों में महिलाओं की संख्या बढ़ने के बजाय घट गई है. 10 साल पहले जहां 36 प्रतिशत महिलाएं कामकाजी थीं वहीं अब उनकी संख्या घटकर 24 फीसदी रह गई है. हालांकि आर्थिक सर्वे ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और सुकन्या समृद्धि योजना जैसे उपायों की तारीफ करते हुए कहा है कि इस तरह के कदमों से स्थिति बेहतर होने की तरफ बढ़ रही है. आर्थिक सर्वे में यह भी कहा गया है कि महिलाओं के प्रति हिंसा की घटनाएं पहले की तुलना में कम हुई हैं.

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महिलाओं की बराबरी के बारे में इकोनॉमिक सर्वे ने उत्तर पूर्व के राज्यों की तारीफ करते हुए कहा है कि उत्तर पूर्व के राज्यों में महिलाओं की स्थिति बाकी देश की तुलना में काफी बेहतर है.

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