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बारिश के चलते UP-बिहार के कई जिले बाढ़ की चपेट में, भागलपुर यूनिवर्सिटी में पहुंचा पानी, नाव से ऑफिस जा रहे कर्मचारी

लगातार बारिश के चलते उत्तर प्रदेश, बिहार के कई जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. बाढ़ प्रभावित लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है. बाढ़ से इस वक्त सबसे ज्यादा बिहार प्रभावित है.

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बाढ़ के चलते भागलपुर यूनिवर्सिटी में घुसा पानी. (Photo: Screengrab)
बाढ़ के चलते भागलपुर यूनिवर्सिटी में घुसा पानी. (Photo: Screengrab)

पूरे उत्तर भारत में लगातार बारिश जारी है. जिसके चलते उत्तर प्रदेश, बिहार के कई जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. बाढ़ प्रभावित लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है. बाढ़ से इस वक्त सबसे ज्यादा बिहार प्रभावित है. यहां के भागलपुर शहर में स्थित तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के परिसर में भी गंगा का पानी प्रवेश कर चुका है.

यूनिवर्सिटी कैंपस के चारों तरफ पानी कमर भर भरा हुआ है और हालात ऐसे हैं कि अब यूनिवर्सिटी परिसर में नाव चल रही है. यूनिवर्सिटी में काम करने वाले सिक्योरिटी गार्डों को भी नाव के सहारे ड्यूटी करने जाना पड़ रहा है. यूनिवर्सिटी के सीनेट भवन में भी पानी भर चुका है. 

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यूनिवर्सिटी के अंदर स्थित बैंक में भी भरा पानी

जानकारी के मुताबिक 19 से 21 अगस्त के बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी कार्यक्रम विश्वविद्यालय में है. जहां पर उन्हें तिलका मांझी के नवनिर्मित मूर्ति का अनावरण भी करना है.

मुंगेर में भी बाढ़ से जीवन अस्त-व्यस्त

मुंगेर में गंगा के बढ़े जलस्तर के चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. जिसके चलते अब लोग सड़कों पर ही शव जलाने को मजबूर हैं. वहीं बरियारपुर प्रखंड कार्यालय, थाना और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी गंगा का पानी प्रवेश कर चुका है. जिसके चलते कामकाज को बंद कर दिया गया है. 

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मुंगेर के पांच प्रखंड के लगभग 30 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. वहीं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के घरों में तीन से चार फिट पानी रहने के कारण लोग अब आश्रय स्थलों और ऊंचे स्थान पर पलायन करना शुरू कर दिए हैं. सदर प्रखंड के जाफरनगर, कुतलुपुर, टिकारामपुर पंचायत में कई दिनों से बाढ़ का पानी जमा है. जिसके कारण ग्रामीण ऊंचे स्थान की ओर पलायन करना शुरू कर दिए हैं.

हालांकि जिला प्रशासन द्वारा नाव से ग्रामीणों को जरूरत का समान  मुहैया कराया जा रहा है. बरियारपुर प्रखंड के हरिणमार झौवा बहियार, कल्याण टोला और निरपुर पंचायत में कई गावों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है. बरियापुर प्रखंड कार्यालय, प्राथमिक स्वास्थ केंद्र और प्रखंड सह अंचल कार्यालय और थाना पूरी तरह बाढ़ के पानी से घिर गया है.

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जमालपुर प्रखंड का इटहरी पंचायत पूरी तरह बाढ़ के पानी से डूब गया है. वहीं इंदरुख पश्चमी, सिंघिया और परहम पंचायत में कई दिनों से बाढ़ का पानी प्रवेश करने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा धरहरा प्रखंड के एनएच-80 के किनारे बहाचोकी, हेमजापुर और शिवकुण्ड पंचायत में लोगों के घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है. 

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बाढ़ प्रभावितों की प्रशासन लगातार कर रहा है मदद

मुंगेर डीएम निखिल धनराज निप्पणीकर ने बताया की 24 घंटे में जलस्तर में कमी आयी है और आने वाले दस से बारह घंटे में और जलस्तर की कमी होगी. मुंगेर जिला के खतरे के निशान से 45 सेंटीमीटर ऊपर गंगा बह रही हैं. जिला प्रशासन द्वारा 11 जगहों पर सामुदायिक किचन बाढ़ पीड़ितों के लिए चलाया जा रहा है. इसके साथ लोगों को पॉलीथिन सीट भी दिया जा रहा और 107 नाव बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चलाया जा रहा है. 

नेपाल से पानी छोड़े जाने से बगहा भी आया बाढ़ की चपेट में

नेपाल में लगातार मूसलाधार भारी बारिश के बाद गंडक नदी उफान पर हैं. नेपाल से 1.65 क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ने से जाने ग्रामीण इलाकों में बाढ़ आ गई है. गंडक बैराज से लगातार बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है. जानकारी के अनुसार नेपाल से आने वाला भारी जलप्रवाह लगातार बढ़ रहा है. बाढ़ के चलते नदी किनारे बसे गांवों से लोग ऊंचे स्थानों पर जा रहे हैं.


समस्तीपुर में बाढ़ के चलते टूटा तीन प्रखंडों का संपर्क

गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से समस्तीपुर के तीन प्रखंडों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं. समस्तीपुर के मोहनपुर, मोहिउद्दीननगर और विद्यापतिनगर में बाढ़ का पानी घुस गया है. गांव को जोड़ने वाली सड़कों पर 4 फिट तक पानी लग गया है. ऐसे में लोग एक जगह से दूसरे जगह आने-जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं. तीनों प्रखंड के लगभग 20 हजार लोग बाढ़ से प्रभावित मवेशियों को लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं.

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यूपी के हापुड़ में दर्जनों गांवों में घुसा पानी

उत्तर प्रदेश के हापुड़  जिले के तीर्थनगरी गढ़मुक्तेश्वर में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. यहां गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है और गंगा का पानी घाटों से सटे गांवों में प्रवेश कर गया है. जिसके चलते ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है. गंगा किनारे रहने वाले ग्रामीणों को फसलों और पशुओं के लिए चारे के साथ-साथ गांव में अब अपने खान-पान की भी चिंता सता रही है.

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हापुड़ डीएम अभिषेक पांडेय बाढ़ के पानी में जाकर स्वयं बाढ़ पीड़ितों से मिलकर उनका हाल-चाल जान रहे हैं. साथ ही उन्हें खाने-पीने की सामग्री भी वितरण करा रहे हैं. जानकारी के अनुसार बिजनौर बैराज से एक लाख दस हजार क्यूसिक पानी फिर छोड़ जाने से जलस्तर 199.48 मीटर पहुंच गया है. जिसके कारण पानी बढ़ने से अब खादर क्षेत्र के लगभग एक दर्जन गांवों में पानी पहुंच गया है. बढ़ते जल स्तर से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. शहर को जोड़ने वाले मार्गों पर 2 से 3 फिट जल भराव हो गया है.

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गढ़मुक्तेश्वर इंस्पेक्टर नीरज कुमार व ब्रजघाट चौकी प्रभारी इंद्रकांत यादव ट्रैक्टर और नावों के माध्यम से बाढ़ ग्रस्त इलाकों में पहुंच रहे हैं. ट्रैक्टर और नावों के माध्यम से बाढ़ ग्रस्त गांवों में लोगों के लिए खाने-पीने की सामग्री पहुंचा रहे हैं. पुलिस ने गंगानगर वासियों को हर संभव मदद का भरोसा दिया है.

गंगा नगर के रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि जलस्तर बढ़ रहा है. पहले राशन की कोई व्यवस्था नहीं थी. लेकिन अब पुलिस द्वारा राशन दिया जा रहा है. खाने के लिए हम लोगों को ब्रेड, बिस्किट आदि दिया जा रहा है. 

बाराबंकी में भी बाढ़ से जीवन अस्त-व्यस्त

यूपी के बाराबंकी में सरयू यानी घाघरा नदी उफान पर हैं. खतरे के निशान से ऊपर बह रही नदी ने कई गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है. नेपाल के बैराजों से पानी छोड़े जाने और लगातार बारिश से हालात बिगड़ते जा रहे हैं.
रामनगर, सिरौलीगौसपुर और रामसनेहीघाट तहसीलों में बाढ़ का पानी घरों, स्कूलों और अस्पतालों तक पहुंच गया है. हालात का जायजा लेने के लिए जिला प्रशासन के बड़े अधिकारी प्रभावित इलाकों में पहुंच रहे हैं.

जिले के रामनगर तहसील के सुंदरनगर, हेतमापुर और बबूरी गांवों में 42 से ज़्यादा मकानों में पानी भर गया है. जिसके चलते सिरौलीगौसपुर के सनावा, तिलवारी समेत कई गांव डूब गए हैं. सिरौलीगौसपुर में सरकारी अस्पताल में पानी भर गया है. इसके अलावा प्राथमिक विद्यालय में पानी भर जाने से शिक्षा सेवाएं ठप हो गई हैं.

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बाराबंकी डीएम शशांक त्रिपाठी ने बताया कि नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया गया है. बाढ़ चौकियां अलर्ट हैं और बंधे पर मौजूद लोगों को राहत सामग्री दी जा रही है. नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन नेपाल से पानी छोड़े जाने का सिलसिला जारी रहा तो हालात बिगड़ सकते हैं.

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बिजनौर भी आया बाढ़ की चपेट में

पहाड़ों से लगातार आ रहे पानी से बिजनौर जिले की गंगा और सभी सहायक नदियां उफान पर हैं. जिसके चलते पूरा जिला बाढ़ की चपेट में है. नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे पर पानी आने के कारण दो नेशनल हाइवे और तीन स्टेट हाइवे बंद कर दिए गए हैं. पुलिस द्वारा रूट डायवर्जन लागू किया गया है. इसके अलावा जनपद में 500 से ज्यादा परिवार पीड़ित हैं, जो कई स्थानों पर छतों पर शरण लिए हुए हैं.

प्रयागराज में भी बाढ़ से जनजीवन प्रभावित

प्रयागराज में गंगा-यमुना में पानी छोड़े जाने से बाढ़ आ गई है. गंगा के किनारे वाले इलाके डूब गए हैं. हालांकि, अब जलस्तर में लगातार कमी देखी जा रही है. जिसके चलते लोग राहत की सांस ले रहे हैं.

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