बिहार का गया जिला और वहां के लोगों के जज्बे की दास्तान पूरी दुनिया में सुनाई जाती है. गया की मिट्टी में ही कुछ ऐसा है कि यहां से एक से बढ़कर एक जीवट लोग निकले हैं. जिन्होंने अपनी लगन और मेहनत से पूरी दुनिया के लिए मिसाल कायम की है. उसमें सबसे पहला नाम जो जुबान पर आता है, वह है माउंटेनमैन दशरथ मांझी का, जिन्होंने अकेले पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया. ऐसा ही कुछ कमाल गया के लौंगी भुइंया ने भी किया है. जिन्होंने अकेले दम पर गांव में पानी लाने के लिए पहाड़ काटकर तीन किलोमीटर लंबी नहर खोद दी थी. अब वह पांच किलोमीटर लंबी नहर खोदने जुटे हैं.
गया जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बांकेबाजार प्रखंड के कोठिलवा गांव के रहने वाले 70 वर्षीय लौंगी भुइया उर्फ़ कैनाल मैन ने पहाड़ी जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए तीन किलोमीटर लंबी नहर खोदी थी. अब वह पांच किलोमीटर तक नहर खोदने में जुट गए हैं. 70 वर्षीय लौंगी भुइया उर्फ कैनाल मैन ने कोठिलवा पहाड़ पर 2020 में पहाड़ के पत्थर काट कर तीन किलोमीटर लंबी नहर बनाई थी. इस नहर को बनाने में उन्हें लगभग 30 वर्ष लग गए थे. इस काम के बाद इलाके के लोग उन्हें कैनाल मेन के नाम से पुकारने लगे.
तीन किलोमीटर नहर खोदने पर ट्रैक्टर मिला था गिफ्ट
तीन किलोमीटर तक नहर खोदने के बाद महिंद्रा कंपनी ने लौंगी भुईंया को एक ट्रैक्टर भी गिफ्ट किया था.लौंगी भुइंया ने बताया कि वह गांव तक पानी पहुंचाने के लिए नहर बना रहे हैं. ताकि गांव के लोगों को खेती में सिचाई के लिए पानी मिल सके. उन्होंने कहा कि पहले भी वह पहाड़ पर नहर बनाये थे. मगर अब सब नहर को एक साथ मिलाकर गांव तक ले जा रहे हैं, ताकि किसानों को भरपूर पानी मिल सके. उन्होंने बताया कि यह नहर बन जाने से पांच से आठ गांव के लोगों को सिचाई के लिए पानी मिलने लगेगा.
30 साल तक अकेले की थी नहर की खुदाई
लौंगी ने बताया कि इसके पहले हमने पहाड़ काट कर तीन किलोमीटर तक का नहर बना चुके हैं.उसमें 30 साल का वक्त लगा था. इस बार जो नहर बना रहे हैं, वह चार से पांच किलोमीटर लम्बा है और यह इसे डेढ़ साल में काट देना है. लौंगी भुइया प्रीतिदिन अपने घर से सुबह नाश्ता करने के बाद कोठिलवा गांव में स्थित पहाड़ पर दो किलोमीटर पैदल चल कर नहर की खुदाई करने चले जाते है और शाम 5 बजे तक वह नहर की खुदाई के कार्य में लगे रहते है.
70 साल की उम्र में भी सुबह 9 से शाम 5 तक खोदते हैं नहर
लौंगी भुइंया ने बताया कि उनकी उम्र 70 साल है. हमारे घर के लड़के कहते हैं कि यह काम अब मत करो, छोड़ दो. लेकिन, मैं कहता हूं कि काम पूरा करने के बाद ही छोड़ेंगे. गांव के बहुत लोग बाहर कमाने जाते है. लेकिन, मुझे बाहर जाकर काम करना पसंद नहीं है. इसलिए मैंने गांव में ही नहर बना कर गांव तक पानी पहुंचाने की ठानी. मुझे लगा अगर गांव में पानी पहुंचा देंगे तो गांव के लोग हमे खुशी से कुछ न कुछ अनाज देंगे और सभी गांव वाले से अनाज मांग कर अपना जीवन-यापन कर लेंगे.
पहाड़ से बर्बाद होने वाले बरसाती पानी को बनाया उपयोगी
गांव के सरकारी स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि कोठिलवा गांव जंगली इलाके में है.यहां गांव के चारों तरफ पहाड़ है. इस गांव के 70 वर्षीय लौंगी भुइया 30 वर्ष से पहाड़ का बरसाती पानी जो बर्बाद होता था, उसे रोकने का प्रयास किया और पहाड़ पर पांच किलोमीटर तक नहर खोद रहे हैं. वह 1990 से लगातार पहाड़ से गांव तक नहर बनाने में जुटे हैं. इन्होंने ने पहाड़ पर 6 से 7 छोटे -छोटे चेक डेम बना कर पहाड़ के पानी को संग्रहित किया. फिर उसी से पानी लाने के लिए दो से तीन किलोमीटर तक नहर खोद दी. अब आगे तक भी नहर ले जा रहे हैं.
मंत्री संतोष सुमन ने भी की सराहना
बिहार के एससी-एसटी विभाग के मंत्री डॉ संतोष कुमार सुमन ने कहा कि लौंगी भुइंया हमारे समाज के एक आदर्श व्यक्ति हैं. जिस तरह से दशरथ मांझी ने पहाड़ काट कर रास्ता बनाया था. ठीक उसी तरह लौंगी भुइया भी अपने गांव के किसानों के लिए खेतों में सिचाई की सुविधाजनक बनाने के लिए नहर बना रहे हैं.इसके पहले भी उन्होंने 3 किलोमीटर तक नहर बनाई थी. वह जिस तरह का काम कर रहे हैं, एक मिसाल है. उन्होंने साहस का परिचय दिया है. हमलोग भी वहां जाएंगे और जो भी बन पड़ेगा उन्हें सहयोग करेंगे.