बिहार (Bihar) एक बार फिर बढ़ते जल स्तर और लाचार व्यवस्था की वजह से बड़े संकट की चपेट में है. गंगा खतरे के निशान को पार कर गई है, जिससे राज्य के नौ से ज़्यादा ज़िले प्रभावित हुए हैं. केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, 6 नदी-निगरानी केंद्र खतरे के निशान को पार कर गए हैं और नौ केंद्र चेतावनी स्तर को पार कर गए हैं.
बक्सर, गांधी घाट (पटना), हाथीदह और कहलगांव (भागलपुर) जैसे प्रमुख नदी केंद्र पहले ही खतरे की रेखा को पार कर चुके हैं. इस बीच, वैशाली, मुंगेर, कटिहार और अन्य जिलों के स्टेशन चेतावनी के निशान से ऊपर बने हुए हैं. उत्तर प्रदेश के बलिया और झारखंड के साहिबगंज जैसे कुछ पड़ोसी ज़िले भी गंगा के उफान के कारण बाढ़ जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं.
गंगा का जलस्तर अचानक नहीं बढ़ा. सीडब्ल्यूसी द्वारा किए गए हाइड्रोग्राफ के मुताबिक, गांधी घाट पर, जलस्तर केवल तीन दिनों के अंदर 50 सेंटीमीटर बढ़ गया. भागलपुर जिले के कहलगांव स्टेशन पर भी यही रुझान देखा गया, जहां जलस्तर 30 सेंटीमीटर बढ़ा और कटिहार जिले के कुर्सेला स्टेशन पर भी, जहां 28 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई. ये रुझान जलस्तर में बढ़ोतरी दर्शाते हैं, जिससे बाढ़ का स्तर बढ़ सकता है.
सैटेलाइट इमेजेज से पता चलता है कि पटना ज़िले का करीब 15 फीसदी हिस्सा बाढ़ की चपेट में है. भागलपुर में प्रभावित इलाका थोड़ा ज़्यादा है, यानी 15.7 फीसदी. बेगूसराय का करीब 6.4 फीसदी ग्राउंड का हिस्सा पानी से भर गया है, जबकि खगड़िया में 8.5 फीसदी इलाका इस वक्त बाढ़ की चपेट में है.
कई इलाकों में सड़कें जलमग्न हो गई हैं, गांवों में पानी भर गया है और रोज़मर्रा की ज़िंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है. भोजपुर के जवनिया गांव में नदी के उफान के बाद 50 से ज़्यादा घर बह गए, जबकि खगड़िया में छात्र नावों का इस्तेमाल करके स्कूल पहुंच रहे हैं. राज्य सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए जल संसाधन विभाग के इंजीनियर्स और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल को तैनात किया है.
लेकिन नेपाल और अन्य ऊपरी इलाकों में जारी बरसात की वजह से स्थिति और ज्यादा तनावपूर्ण हो गई है, जिससे नदी का जलस्तर बढ़ सकता है और बाढ़ की स्थिति और भी बदतर हो सकती है.