'हिंद महासागर का मोती' क्यों है श्रीलंका, भारतीयों के लिए क्यों है सस्ता ट्रैवल डेस्टिनेशन

श्रीलंका को ‘हिंद महासागर का मोती’ कहा जाता है, लेकिन इसकी असली वजह सिर्फ खूबसूरत बीच या चाय बागान नहीं हैं. इस छोटे से द्वीप के पीछे ऐसी कहानी और ऐसी खासियतें छिपी हैं, जिन्हें जानकर कोई भी यात्री हैरान रह जाए.

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हिंद महासागर का मोती (Photo: Pexels) हिंद महासागर का मोती (Photo: Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:29 AM IST

अगर आप घूमने के शौकीन हैं और ऐसी जगह की तलाश में हैं, जहां समंदर के किनारे रेत हो, चाय के हरे-भरे बागान हों और इतिहास की गहरी छाप हो, तो भारत के ठीक नीचे हिंद महासागर में स्थित श्रीलंका आपके लिए एक शानदार विकल्प है.

यह छोटा सा द्वीप राष्ट्र अपनी खूबसूरती, संस्कृति और अद्भुत विविधताओं के कारण दुनिया भर में जाना जाता है. यहां आपको नेशनल पार्क से लेकर प्राचीन बौद्ध स्मारक और औपनिवेशिक शहर तक, सब कुछ देखने को मिलेगा.

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लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रीलंका को क्यों 'हिंद महासागर का मोती' कहा जाता है, इस खूबसूरत देश को यह खास दर्जा मिलने के पीछे की असली और मजबूत वजहें क्या हैं?

खूबसूरती और चमक ऐसी- जैसे असली मोती

श्रीलंका को यह खास नाम यानी 'हिंद महासागर का मोती' इसके आकार और प्राकृतिक समृद्धि के कारण मिला है. कल्पना कीजिए कि विशाल नीले समंदर में एक दुर्लभ और चमकता हुआ मोती जड़ा हो- श्रीलंका ठीक वैसा ही दिखता है. प्राचीन समय में, व्यापारी, खोजकर्ता और यात्री जब इस द्वीप पर आते थे, तो इसकी मनोरम तटरेखा, उपजाऊ जमीन और सबसे जरूरी, यहां मिलने वाले बहुमूल्य पत्थरों की तारीफ करते नहीं थकते थे. यह प्राकृतिक सुंदरता और संपत्ति ही इसे मोती जैसा मूल्यवान बनाती है.

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रत्नों का खजाना और अद्भुत भूगोल

यह उपनाम सिर्फ सुंदरता के लिए नहीं मिला है, बल्कि श्रीलंका की भौगोलिक बनावट और रत्नों की संपदा के कारण भी है. यहां के प्राकृतिक नजारों में आपको कोहरे से ढके पहाड़, मीलों तक फैले चाय के बागान, ऊंचे-ऊंचे झरने, शांत तटीय मैदान और रंग-बिरंगी प्रवाल भित्तियां (Coral Reefs) देखने को मिलेंगी.

इतनी तरह की भू-आकृतियां इसे इस क्षेत्र के सबसे समृद्ध देशों में से एक बनाती हैं. इसके साथ ही, श्रीलंका कीमती रत्नों का एक प्रमुख स्रोत है. दुनिया के प्रसिद्ध नीलम, माणिक और कई शाही रत्न यहीं से आते हैं. एशिया का प्रसिद्ध "एशिया की नीली सुंदरी" नाम का नीलम भी यहीं पाया गया था.

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इतिहास और संस्कृति का केंद्र

हजारों सालों से, श्रीलंका सिर्फ एक सुंदर द्वीप नहीं रहा है, बल्कि एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप को जोड़ने वाले एक बहुत ही महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्ग के केंद्र में भी रहा है. इसके बंदरगाहों ने मसालों, दालचीनी, रत्नों और हाथियों की तलाश में आने वाले दुनिया भर के व्यापारियों को अपनी ओर आकर्षित किया. इसके अलावा, श्रीलंका कई यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों का घर है, जिनमें सिगिरिया, अनुराधापुरा, पोलोन्नारुवा और पवित्र दंत मंदिर शामिल हैं.

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ये स्थल यहां के गहरे सांस्कृतिक, धार्मिक और स्थापत्य इतिहास को दर्शाते हैं. इस ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक गहराई ने भी इस द्वीप को वैश्विक पहचान दिलाई है, जिससे 'हिंद महासागर का मोती' का दर्जा और भी मजबूत होता है.
 

कैसे जाएं श्रीलंका?

भारतीय पर्यटकों के लिए श्रीलंका जाना बहुत ही आसान है, यहां जाने का सबसे सुविधाजनक तरीका हवाई यात्रा है. भारत के प्रमुख शहर जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु और कोच्चि से श्रीलंका की राजधानी कोलंबो स्थित बंदरानाइक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए सीधी उड़ानें हैं.  उड़ान का समय आमतौर पर 3 से 4 घंटे के बीच होता है. आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार कई एयरलाइंस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं. भारतीय नागरिकों को श्रीलंका की यात्रा के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल ऑथोराइजेशन (ETA) की आवश्यकता होती है, जिसे आप ऑनलाइन आवेदन करके आसानी से प्राप्त कर सकते हैं.

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