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Bhagavad Gita: नरक का द्वार खोलती हैं ये 3 आदतें, गीता में श्रीकृष्ण ने दी है चेतावनी

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:59 PM IST
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Bhagavad Gita Updesh In Hindi: भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश अर्जुन के माध्यम से सम्पूर्ण मानव समाज को दिया. महाभारत के युद्ध के दौरान जब अर्जुन के मन में संशय, भय और मोह ने जगह ले ली और उनके कदम युद्धभूमि में डगमगाने लगे, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का ज्ञान दिया.(Photo: Pixabay)
 

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गीता के उपदेशों को सुनकर अर्जुन ने अपने कर्तव्य को पहचाना और पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़े. यही वजह है कि श्रीमद्भगवद्गीता को जीवन का मार्गदर्शक ग्रंथ माना जाता है. कहा जाता है कि जीवन की कोई भी समस्या ऐसी नहीं, जिसका समाधान गीता के श्लोकों में न मिलता हो. (Photo: Pixabay)
 

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गीता हमें कर्म करने, परिणाम की चिंता किए बिना अपने कर्तव्य पर अडिग रहने और निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती है. ऐसे में यदि व्यक्ति अपने जीवन की परेशानियों से मुक्ति पाना चाहता है और सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहता है, तो गीता के उपदेशों में कही गई कुछ महत्वपूर्ण बातों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए.(Photo: Pixabay)

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गीता जीवन में आगे बढ़ने और लगातार कर्म करने की प्रेरणा देती है. ठीक इसी तरह गीता में भगवान कृष्ण ने तीन चीजों को नरक का द्वार बताया है. इसके मुताबिक हर व्यक्ति को जीवन में इनसे दूरी बना कर रखना चाहिए.  (Photo: Pixabay)
 

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काम (इच्छा): काम जीवन की स्वाभाविक प्रवृत्ति है, लेकिन जब इच्छाएं अनियंत्रित हो जाती हैं, तो व्यक्ति अपनी मर्यादा भूलने लगता है. श्रीकृष्ण के अनुसार, अत्यधिक काम वासना सोचने-समझने की शक्ति को कमजोर कर देती है और व्यक्ति को धर्म व कर्तव्य से भटका देती है.(Photo: Pixabay)
 

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लोभ: लोभ कभी न खत्म होने वाली चाह है, जो मानसिक अशांति और दुखों को जन्म देती है. धन, पद या सुख-सुविधाओं की अति व्यक्ति को गलत मार्ग पर ले जाती है. श्रीकृष्ण कहते हैं कि लोभ आत्मा को जकड़ लेता है, विशेषकर भौतिक सुखों का लालच. (Photo: Pixabay)

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क्रोध: इच्छाओं में बाधा आने पर क्रोध उत्पन्न होता है.  क्रोध में व्यक्ति सही-गलत का विवेक खो देता है. श्रीकृष्ण के अनुसार, क्रोध बुद्धि का सबसे बड़ा शत्रु है और एक क्षण का क्रोध पूरे जीवन को नुकसान पहुंचा सकता है. (Photo: Pixabay)

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