एशिया की सबसे उम्रदराज हथिनी ‘वत्सला’ की मौत, MP के पन्ना टाइगर रिजर्व में ली अंतिम सांस

वत्सला को वर्ष 1971 में केरल के नीलांबुर जंगल से मध्य प्रदेश लाया गया था. पहले उसे नर्मदापुरम में रखा गया और बाद में पन्ना टाइगर रिजर्व में शिफ्ट कर दिया गया, जहां वह जीवन के अंतिम क्षण तक रही. उसे प्रतिदिन खैरैयां नाले पर नहलाया जाता था और दलिया आदि नरम भोजन दिया जाता था. उम्र बढ़ने के कारण वह देख नहीं पाती थी और लंबी दूरी भी तय नहीं कर पाती थी.

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एशिया की सबसे उम्रदराज मानी जाने वाली हथिनी वत्सला की मंगलवार दोपहर मौत हो गई. (File Photo) एशिया की सबसे उम्रदराज मानी जाने वाली हथिनी वत्सला की मंगलवार दोपहर मौत हो गई. (File Photo)

रवीश पाल सिंह

  • भोपाल,
  • 09 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:14 AM IST

एशिया की सबसे उम्रदराज मानी जाने वाली हथिनी वत्सला की मंगलवार दोपहर मौत हो गई. मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता रेंज स्थित हाथी कैंप में उसने अंतिम सांस ली. वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, वत्सला की उम्र 100 वर्ष से अधिक थी और वह लंबे समय से पन्ना के जंगलों की पहचान रही थी.

दरअसल, हाल के दिनों में वत्सला के आगे के पैरों के नाखूनों में चोट लग गई थी. मंगलवार सुबह वह हिनौता क्षेत्र के खैरैयां नाले के पास बैठ गई और तमाम कोशिशों के बावजूद उठ नहीं सकी. वन विभाग के कर्मचारियों ने उसे उठाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन दोपहर करीब 1:30 बजे उसने अंतिम सांस ली.

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केरल से लाई गई थी मध्य प्रदेश

वत्सला को वर्ष 1971 में केरल के नीलांबुर जंगल से मध्य प्रदेश लाया गया था. पहले उसे नर्मदापुरम में रखा गया और बाद में पन्ना टाइगर रिजर्व में शिफ्ट कर दिया गया, जहां वह जीवन के अंतिम क्षण तक रही. उसे प्रतिदिन खैरैयां नाले पर नहलाया जाता था और दलिया आदि नरम भोजन दिया जाता था. उम्र बढ़ने के कारण वह देख नहीं पाती थी और लंबी दूरी भी तय नहीं कर पाती थी.

पर्यटकों की रही प्रिय, हाथियों के दल का करती थी अगुवाई

वर्षों तक वत्सला पन्ना टाइगर रिजर्व आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही. उम्रदराज होने के बावजूद वह हाथियों के दल की अगुवा थी और अन्य हथिनियों के बच्चों की देखभाल करती थी. उसने अनेक हाथी शावकों को स्नेहपूर्वक बड़ा होते देखा. वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने वत्सला का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार किया. उसकी लंबी उम्र को उचित देखरेख और पन्ना के सूखे वन क्षेत्र में सुरक्षित वातावरण का परिणाम बताया गया.

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मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

वत्सला के निधन पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गहरा दुख प्रकट किया. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "‘वत्सला’ का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा. वह मात्र हथिनी नहीं थी, हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मध्य प्रदेश की संवेदनाओं की प्रतीक थी. वत्सला के नेत्रों में अनुभवों का सागर था और उनकी उपस्थिति में आत्मीयता थी. उसने हाथियों के दल का नेतृत्व किया और शावकों की स्नेहपूर्वक देखभाल की. आज वह हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी स्मृतियां हमारी माटी और मन में सदा जीवित रहेंगी. 'वत्सला' को विनम्र श्रद्धांजलि!"

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