'वेंस ने कहा PAK हमले की तैयारी कर रहा, PM मोदी बोले- मुंहतोड़ जवाब देंगे...', संसद में जयशंकर ने बताई 9 मई की पूरी कहानी

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में बताया कि भारत और अमेरिका के बीच पाकिस्तान को लेकर किसी बातचीत में व्यापार का कोई जिक्र नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर पाकिस्तान द्वारा हमले की चेतावनी दी थी.

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में सीजफायर पर किया बड़ा खुलासा (Photo: X@/SansadTV) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में सीजफायर पर किया बड़ा खुलासा (Photo: X@/SansadTV)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 8:20 PM IST

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में विस्तार से बताया कि भारत-पाकिस्तान टकराव के दौरान चलाए गए 'ऑपरेशन' सिंदूर के दौरान क्या-क्या हुआ था. साथ ही उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने व्यापार के जरिए भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई रुकवाने की बात कही थी.

जयशंकर ने बताया कि 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई फोन कॉल नहीं हुआ.

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उन्होंने कहा, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ़ोन किया था. इस दौरान जेडी वेंस ने कहा कि पाकिस्तान बड़े हमले की तैयारी कर रहे है. जिसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर पाकिस्तान ने हमला किया तो भारत उससे भी ज्यादा जोरदार जवाब देगा.

जयशंकर ने कहा कि 9 और 10 मई को पाकिस्तान की ओर से किए गए कई हमलों को भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया.

उन्होंने यह भी बताया कि 10 मई को कई देशों ने भारत से संपर्क किया और जानकारी दी कि पाकिस्तान युद्धविराम (सीज़फायर) के लिए तैयार है. इस पर भारत ने साफ कर दिया कि पाकिस्तान अगर युद्धविराम की बात करना चाहता है तो वह केवल सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) के माध्यम से ही बात करे.

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विदेश मंत्री जयशंकर संसद के मानसून सत्र में पहलगाम आतंकवादी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में जवाब देते हुए (Photo: PTI)

जब जयशंकर ने यह बयान दिया कि अमेरिका के साथ हुई बातचीत में व्यापार का कोई जिक्र नहीं था, तो विपक्षी दलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विपक्ष अपने ही विदेश मंत्री पर विश्वास नहीं करते और दूसरे देश पर भरोसा कर लेते हैं. मुझे आपत्ति है कि उन्हें भारत के विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है. मैं जानता हूं कि उनके दल में ‘विदेश’ शब्द का कितना महत्त्व है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह अपनी पार्टी की हर बात संसद पर थोपें. यही वजह है कि वे उस तरफ बैठे हैं और अगले 20 साल तक वहीं बैठे रहेंगे.

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