कर्नाटक में अनुसूचित जाति के लिए जातिगत जनगणना शुरू, गिनी जाएंगी उपजातियां, CM सिद्धारमैया बोले- कोटा के भीतर कोटा लागू करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

कर्नाटक में आज से जातिगत जनगणना की शुरुआत हो गई है. इस जनगणना में अनुसूचित जाति की उपजातियां गिनी जाएंगी. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जातिगत जनगणना की शुरुआत के बाद कहा कि

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (फोटोः PTI) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (फोटोः PTI)

नागार्जुन / सगाय राज

  • बेंगलुरु,
  • 05 मई 2025,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST

कर्नाटक में आज से अनुसूचित जातियों के लिए जातिगत जनगणना की शुरुआत हो गई है. हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज नागमोहन दास की अगुवाई में एक सदस्यीय आयोग की निगरानी में हो रही इस जनगणना का उद्देश्य अनुसूचित जाति (एससी) की उपजातियों से संबंधित आंकड़े जुटाना है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि इसका उद्देश्य आरक्षण लाभ का समान वितरण सुनिश्चित करना और सामाजिक न्याय है. जातिगत जनगणना 25 मई तक चलेगी और तीन चरणों में इसे पूरा किया जाएगा.

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कर्नाटक सरकार की ओर से कराई जा रही इस जातिगत जनगणना के पहले चरण में डोर-टू-डोर जाकर जानकारी इकट्ठी की जाएगी. दूसरे चरण में विशेष शिविरों के माध्यम से और तीसरे चरण में सेल्फ डिक्लेरेशन के जरिये ऑनलाइन डेटा जुटाया जाएगा. सीएम सिद्धारमैया ने इस मौके पर यह भी साफ किया कि सटीक आंकड़ों के आधार पर एससी रिजर्वेशन में कोटा लागू करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि कोटा के भीतर कोटा लागू करने के लिए ऐसा करना इसलिए जरूरी हो गया, क्योंकि 2011 की जनगणना में अनुसूचित जाति की उपजातियों को लेकर विस्तृत जानकारी का अभाव है.

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सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि नीतिगत निर्णयों में निष्पक्षता के लिए यह (जातिगत जनगणना) जरूरी हो गया था. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस सर्वे से यह सुनिश्चित होगा कि कर्नाटक की विकास यात्रा में कोई भी समुदाय पीछे नहीं छूटेगा.  कर्नाटक सरकार ने जातिगत जनगणना के लिए 65 हजार से अधिक शिक्षकों को तैनात किया है. प्रत्येक 10 से 12 सर्वे करने वाले के ऊपर एक पर्यवेक्षक की नियुक्ति भी की गई है. कर्नाटक सरकार ने सूबे के आम नागरिकों से डोर-टू-डोर सर्वे के दौरान, आयोजित होने वाले विशेष शिविर में पहुंचकर या सेल्फ डिक्लेरेशन के माध्यम से सही उपजाति की जानकारी देने की अपील भी की है.

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जानकारी के मुताबिक इस जातिगत जनगणना के लिए तैनात शिक्षक पहले डोर-टू-डोर जाएंगे. इसके बाद 19 से 21 मई तक विशेष कैंप आयोजित किए जाएंगे. ऑनलाइन सेल्फ डिक्लेरेशन के लिए 19 से 23 मई की तारीख निर्धारित की गई है. कर्नाटक सरकार ने यह कदम कोटा के भीतर कोटा लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक अगस्त 2024 के आदेश के अनुपालन में उठाया है. नागमोहन दास आयोग ने कोटा के भीतर कोटा का प्रावधान लागू करने से पहले भरोसेमंद आंकड़ों की जरूरत पर जोर दिया था.

60 दिन में रिपोर्ट सौंपेगा आयोग

नागमोहन दास कमीशन को डेटा जुटाने के बाद 60 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. रिपोर्ट मिलने के बाद इसके आधार पर कर्नाटक सरकार आरक्षण नीति को अंतिम रूप देगी. सरकार की ओर से आम नागरिकों के लिए इस संबंध में एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है. गौरतलब है कि एससी रिजर्वेशन के भीतर कोटा देने का ऐलान तीन राज्य पहले ही कर चुके हैं. सबसे पहले हरियाणा सरकार ने कोटा के भीतर कोटा लागू किया था और इसके बाद तेलंगाना इसे लागू करने वाला दूसरा राज्य बन गया था. दक्षिण भारत के एक और राज्य आंध्र प्रदेश ने भी कोटा के भीतर कोटा लागू कर इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी थी.

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