वो सड़क पर तड़पता रहा, पत्नी मदद के लिए गिड़गिड़ाती रही… युवक के साथ इंसानियत ने भी तोड़ा दम

यह सिर्फ एक युवक की मौत की खबर नहीं, बल्कि समाज की संवेदनहीनता की शर्मनाक तस्वीर है. बेंगलुरु की सड़क पर 34 साल के युवक को कार्डियक अरेस्ट आया. वह दर्द से तड़पता रहा, उसकी पत्नी हाथ जोड़कर राहगीरों से मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन लोग मदद को नहीं रुके. न समय पर एंबुलेंस मिली, न किसी ने इंसानियत दिखाई. मजबूर पत्नी ने घायल पति को खुद अस्पताल ले जाने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में ही उसकी सांसें थम गईं.

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सड़क पर कार्डियक अरेस्ट से युवक की हो गई मौत. (Photo: Screengrab) सड़क पर कार्डियक अरेस्ट से युवक की हो गई मौत. (Photo: Screengrab)

सगाय राज

  • बेंगलुरु,
  • 17 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST

बेंगलुरु में इंसानियत को झकझोर देने वाला एक दर्दनाक मामला सामने आया है. शहर की व्यस्त सड़क पर एक 34 साल के युवक की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई. हैरानी की बात यह कि सड़क पर लोग आते-जाते रहे, किसी ने भी उसकी मदद नहीं की. पत्नी चीखते-चिल्लाते हुए मदद के लिए गिड़गिड़ाती रही. यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई है.

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यह घटना 13 दिसंबर को बेंगलुरु के बनशंकरी इलाके के कादिरेनहल्ली क्षेत्र में हुई. युवक अपनी पत्नी के साथ बाइक से जा रहा था, तभी अचानक उसे सीने में तेज दर्द हुआ और उसे कार्डियक अरेस्ट आ गया. वह सड़क पर गिर पड़ा और तड़पने लगा. उसकी पत्नी बदहवास होकर आसपास मौजूद लोगों से मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन किसी ने भी आगे आकर मदद नहीं की.

यहां देखें Video

इस घटना का जो वीडियो सामने आया है. उसमें देखा जा सकता है कि महिला लगातार लोगों से एंबुलेंस बुलाने और पति को अस्पताल पहुंचाने की अपील करती रही, लेकिन सड़क आने-जाने वाले लोगों ने उसकी कोई मदद नहीं की. पति सड़क पर पड़ा तड़प रहा था. उसकी पत्नी मदद मांग रही थी. सरेआम सड़क पर इस तरह की संवेदनहीनता गंभीर सवाल खड़े करती है. महिला को जब कोई मदद नहीं मिली तो मजबूर होकर खुद अस्पताल पहुंचने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में ही युवक की हालत और बिगड़ गई और उसने दम तोड़ दिया.

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इस घटना के सामने आने के बाद कुछ लोगों में आक्रोश फैल गया. उनका कहना है कि अगर समय पर मेडिकल हेल्प या एंबुलेंस मिल जाती तो युवक की जान बच सकती थी. इस मामले ने बेंगलुरु जैसे बड़े महानगर में इमरजेंसी सेवाओं की तैयारियों और आम नागरिकों की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

जानकारों का कहना है कि हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट जैसी स्थिति में पहले कुछ मिनट बेहद अहम होते हैं. अगर उस समय सीपीआर या इमरजेंसी मेडिकल हेल्प मिल जाए तो जान बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है. कुछ लोगों का कहना है कि क्या हम एक-दूसरे के लिए इतने असंवेदनशील हो गए हैं कि किसी की जान जाती रहे और हम मूक दर्शक बने रहें.

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