यूपी में शिवपाल से कांग्रेस नहीं कर पा रही गठबंधन, ये है सबसे बड़ी मजबूरी!

कांग्रेस इस बार उत्तर प्रदेश में फ्रंट फुट पर खेलने के दावे तो लगातार कर रही है, लेकिन फ्रंट फुट पर खेलते हुए वह शिवपाल यादव से गठबंधन करने से हिचक भी रही है. यह सच है कि कांग्रेस ने बीजेपी और महागठबंधन से बचे तमाम दलों के साथ अपनी सभी संपर्क लाइनें खोल दी है.

Advertisement
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल-ट्विटर) कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल-ट्विटर)

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 20 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 1:48 PM IST

लोकसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर पर गठबंधन को अंतिम रूप में देने में जुटे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में एक तरह से क्लीन स्वीप करने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को इस बार रोकने के इरादे से किए गए सपा-बसपा गठबंधन के बाद भी राज्य में कई छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन की कवायद जारी है. कांग्रेस की भी कोशिश राज्य में बड़ी पार्टी बनकर उभरने की है और वह भी कई छोटे दलों के साथ गठबंधन की तैयारियों में जुटी है.

Advertisement

कांग्रेस इस बार उत्तर प्रदेश में फ्रंट फुट पर खेलने के दावे तो लगातार कर रही है, लेकिन फ्रंट फुट पर खेलते हुए वह शिवपाल यादव से गठबंधन करने से हिचक भी रही है. यह सच है कि कांग्रेस ने बीजेपी और महागठबंधन से बचे तमाम दलों के साथ अपनी सभी संपर्क लाइनें खोल दी है.

एक बात जिसकी चर्चा लगातार हो रही है कि क्या समाजवादी पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव का नया दल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी कांग्रेस के गठबंधन का हिस्सा होगा? इस पर कांग्रेस की चुप्पी काफी कुछ कह रही है.

दरअसल, कांग्रेस पार्टी शिवपाल यादव से संपर्क में है इसकी पुष्टि कांग्रेस और शिवपाल यादव दोनों कर चुके हैं लेकिन जब दोनों तैयार हैं तो गठबंधन में आखिर पेंच कहां फंसा है?

Advertisement

अखिलेश से नाराजगी का डर!

राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो कांग्रेस, शिवपाल यादव के साथ गठबंधन में नहीं जाएगी क्योंकि अगर कांग्रेस और शिवपाल यादव ने गठबंधन किया तो समाजवादी पार्टी छोड़ी गई रायबरेली और अमेठी की सीट पर अपने कैंडिडेट उतार सकती है और अगर कैंडिडेट नहीं भी उतारा तो उसे हराने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

कांग्रेस का नेतृत्व भली-भांति जानता है कि शिवपाल यादव को साथ लेने का मतलब है कि अखिलेश यादव को सीधे तौर पर चुनौती देना और राजनीतिक विरोध को राजनैतिक दुश्मनी में तब्दील कर देना, यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी शिवपाल यादव के तरफ से मिल रहे सकारात्मक संकेतों के बाद भी खुलकर उनसे गठबंधन की बात नहीं कर पा रही.

पिछले दिनों प्रियंका गांधी के लखनऊ दौरे के दौरान प्रियंका के करीबी माने जाने वाले एमएलसी दीपक सिंह और शिवपाल यादव की कानाफूसी करती तस्वीर सुर्खियों में आई थी, लेकिन हफ्तेभर बाद भी गठबंधन को लेकर कोई बात नहीं बन सकी. अब देखना यह है कि अमेठी और रायबरेली के दबाव में क्या कांग्रेस शिवपाल यादव को अकेला छोड़ती है या फिर फ्रंट फुट पर खेलने का दावा कर रही कांग्रेस शिवपाल यादव के खतरे उठाकर भी साथ रखती है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement