बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार जोरों पर है. तमाम मुद्दों पर वार-पलटवार के साथ ही ध्यान जातीय समीकरणों पर भी है, जो चुनाव नतीजों पर असर डाल सकते हैं. एक तरफ पार्टियां अलग-अलग जातियों को साधने की कोशिश कर रही हैं, वहीं पार्टियों को ऐसे नेताओं की नाराजगी का भी सामना करना पड़ रहा है जिन्हें इस बार टिकट नहीं मिला है. ऐसी ही एक सीट है बिहार की राजधानी पटना के शहरी इलाके की विधानसभा सीट कुम्हरार. कुम्हरार की चुनावी फाइट कायस्थ अस्मिता पर आ गई है.
पटना शहर की कुम्हरार विधानसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस सीट पर दो दशक से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार को जीत मिलती आई है. इस सीट से विधायक रहे अरुण सिन्हा का टिकट काट बीजेपी ने इस बार संजय कुमार गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है. अरुण सिन्हा कायस्थ हैं और संजय गुप्ता वैश्य. बिहार जैसे राज्य में जहां की राजनीति पर जाति हावी रहती है, बीजेपी का कायस्थ को हटा वैश्य उम्मीदवार उतारना भी अस्मिता से जुड़ चुनावी मुद्दा बन गया है. इस सीट पर बीजेपी को कायस्थ समाज की नाराजगी का सामना करना पड़ा.
दरअसल, कायस्थ समुदाय इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में है. कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र में कुल 4 लाख 20 हजार मतदाता हैं, जिनमें कायस्थ समाज की भागीदारी करीब 70 हजार है. साल 1990 से ही यह सीट बीजेपी के कब्जे में रही है. कुम्हरार के कायस्थ मतदाता बीजेपी से नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं. यह वर्ग पारंपरिक रूप से बीजेपी का कोर वोटर रहा है, लेकिन अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रतिनिधियों का कहना है कि समाज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है.
बीजेपी उम्मीदवार को जगह-जगह कायस्थों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी उम्मीदवार संजय गुप्ता इस विरोध को पूरी तरह से राजनीतिक बताते हुए दावा कर रहे हैं कि कायस्थ समाज का पूरा समर्थन हमारे साथ है. वह निवर्तमान विधायक अरुण सिन्हा के आशीर्वाद का भी दावा कर रहे हैं. कायस्थों की उपेक्षा के दावे खारिज करते हुए बिहार बीजेपी के कायस्थ चेहरा और नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि ये बातें फैलाई जा रही हैं. कायस्थ समाज बीजेपी के साथ खड़ा है.
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जन सुराज ने दिया कायस्थ उम्मीदवार
कायस्थ अस्मिता का रंग ले चुकी कुम्हरार सीट की चुनावी फाइट में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने गणितज्ञ प्रोफेसर केसी सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है. गणित की 70 से अधिक किताबें लिख चुके प्रोफेसर सिन्हा लंबे समय तक पटना विश्वविद्यालय में अध्यापन करते रहे हैं. वह भी कायस्थ समाज से आते हैं और दावा करते हैं कि उनको जाति नहीं, शिक्षा पर वोट मिलेगा. प्रोफेसर सिन्हा ने कहा कि समाज के हर क्षेत्र में मेरे अनेक छात्र फैले हुए हैं, मैं जाति के नाम पर वोट नहीं मांगता. हालांकि, वह भी कायस्थ समाज की नाराजगी देखने को मिल रही है.
मौसमी सिंह