नतांज क्या ईरान का 'कैराना हिल' है जिसे सबसे पहले इजरायल ने बनाया टारगेट, परमाणु ताकत तोड़ना है मकसद

नतांज ईरान का प्रमुख परमाणु संयंत्र इज़राइल के निशाने पर है, जो इसे परमाणु हथियार कार्यक्रम का केंद्र मानता है. इसे वहां का कैराना हिल भी कह सकते हैं. ईरान और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों में समानताएं हैं, पर उद्देश्य और अंतरराष्ट्रीय स्थिति भिन्न है. इसलिए इज़राइल के 2024-25 के हमलों ने इसे नुकसान पहुंचाया.

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नतांज न्यूक्यिलर फैसिलिटी की सैटेलाइट इमेज आप बीच में छोटी-छोटी पहाडियां देख सकते हैं. (फाइल फोटोः AP) नतांज न्यूक्यिलर फैसिलिटी की सैटेलाइट इमेज आप बीच में छोटी-छोटी पहाडियां देख सकते हैं. (फाइल फोटोः AP)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 13 जून 2025,
  • अपडेटेड 10:11 AM IST

ईरान का नतांज परमाणु संयंत्र और इसके आसपास के हालिया घटनाक्रम मध्य पूर्व की भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गए हैं. हाल के वर्षों में, इज़राइल ने बार-बार नतांज को निशाना बनाया है, जिसे वह ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम का केंद्र मानता है. इसलिए इजरायल ने नतांज को निशाना बनाया.

कुछ लोग नटांज़ की तुलना "कैराना हिल" से करते हैं, जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सरगोधा एयरबेस के पास हैं. माना जाता है पाकिस्तान यहां अपने परमाणु हथियार रखता है. इस पर ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने मिसाइल अटैक किया था. आइए हम नतांज की स्थिति, इज़राइल के हमलों और ईरान व पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों की तुलना को समझेंगे. 

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नतांज क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

नतांज ईरान के इस्फ़हान प्रांत में स्थित एक प्रमुख परमाणु संयंत्र है, जो ईरान के यूरेनियम संवर्धन (enrichment) कार्यक्रम का केंद्र है. यह सुविधा दो मुख्य हिस्सों में बंटी है...  

फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (FEP): यह भूमिगत सुविधा है, जिसमें लगभग 50,000 सेंट्रीफ्यूज (centrifuges) रखने की क्षमता है. वर्तमान में, यहां करीब 14000 सेंट्रीफ्यूज हैं, जिनमें से 11000 सक्रिय हैं. जो 5% तक की शुद्धता के साथ यूरेनियम संवर्धन करते हैं.  

पायलट फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (PFEP): यह ज़मीन के ऊपर स्थित है. इसमें कुछ सौ सेंट्रीफ्यूज हैं, जो 60% शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धन करते हैं, जो परमाणु हथियार के लिए आवश्यक 90% शुद्धता के बहुत करीब है.

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नतांज को ईरान के परमाणु कार्यक्रम का "दिल" माना जाता है, क्योंकि यह वह जगह है जहां ईरान ने पिछले कुछ वर्षों में अपने परमाणु ईंधन का अधिकांश हिस्सा तैयार किया है.अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, ईरान अब इतना संवर्धित यूरेनियम जमा कर चुका है कि वह कुछ ही हफ्तों में परमाणु हथियार बना सकता है. 

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क्या नतांज "कैराना हिल" है?

"कैराना हिल" नाम का कोई आधिकारिक स्थान ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ा नहीं है. यह सिर्फ पाकिस्तान के न्यूक्लियर वेपन स्टोरेज की तुलना के लिए हैं. असल में भौगोलिक स्थिति यानी नतांज के आसपास की पहाड़ियों या इसकी रणनीतिक स्थिति को दर्शाता हो. नतांज ज़ाग्रोस पहाड़ों के पास स्थित है. इसकी भूमिगत संरचना इसे हवाई हमलों से बचाने के लिए बनाई गई है. कुछ लोग इसकी तुलना पाकिस्तान के कहुटा संयंत्र से करते हैं, जिसे 1980 के दशक में "कैराना हिल" कहते थे, जब पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार विकसित कर रहा था.

इज़राइल के हमले और नतांज

इज़राइल ने लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने लिए खतरा माना है. उसका मानना है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है, जिसका इस्तेमाल वह इज़राइल के खिलाफ कर सकता है. इसीलिए, इज़राइल ने नतांज को कई बार निशाना बनाया है...

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साइबर हमला (2010): इज़राइल और अमेरिका ने मिलकर "स्टक्सनेट" नामक एक साइबर वायरस बनाया, जिसने नतांज़ के सेंट्रीफ्यूज को नुकसान पहुंचाया. इस हमले ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को 18 महीने से दो साल तक पीछे धकेल दिया.  

2020 में आग और विस्फोट: नतांज़ में एक रहस्यमयी आग लगी, जिसे ईरान ने इज़राइल द्वारा किया गया हमला बताया. इसने सेंट्रीफ्यूज उत्पादन को नुकसान पहुंचाया.  

2021 में ब्लैकआउट: एक और हमले में नतांज की बिजली आपूर्ति को निशाना बनाया गया, जिसे ईरान ने "परमाणु आतंकवाद" करार दिया. इस हमले ने सेंट्रीफ्यूज को भारी नुकसान पहुंचाया. ईरान के संवर्धन कार्यक्रम को महीनों पीछे कर दिया.  

2024 और 2025 में हमले: अप्रैल 2024 में, इज़राइल ने नतांज़ के पास हवाई रक्षा प्रणाली को निशाना बनाया. जून 2025 में, इज़राइल ने नतांज पर सीधा हमला किया, जिसे वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए "प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक" बता रहा है. इस हमले में इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर-इन-चीफ सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मारे गए.

इन हमलों का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमज़ोर करना और उसे परमाणु हथियार बनाने से रोकना है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि नतांज़ की भूमिगत संरचना और ईरान की तकनीकी विशेषज्ञता के कारण, इन हमलों से केवल अस्थायी नुकसान होता है. ईरान जल्दी ही अपने कार्यक्रम को फिर से शुरू कर लेता है.

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ईरान और PAK के परमाणु कार्यक्रम की तुलना

ईरान और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों में कई समानताएं और अंतर हैं, खासकर तकनीक और उद्देश्यों के मामले में. आइए, इनकी तुलना करें...

1. तकनीकी समानताएं

सेंट्रीफ्यूज तकनीक: ईरान के नटांज़ में इस्तेमाल होने वाले सेंट्रीफ्यूज (IR-1) पाकिस्तान के कहुटा संयंत्र में इस्तेमाल होने वाले P1 डिज़ाइन से मिलते-जुलते हैं. ये डिज़ाइन पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान ने विकसित किए थे, जिन्होंने 1970 के दशक में ईरान को यह तकनीक दी थी.  

संवर्धन क्षमता: पाकिस्तान के पास करीब 11000 सेंट्रीफ्यूज हैं, जो हर साल 6-10 परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त यूरेनियम संवर्धन कर सकते हैं. वहीं, ईरान के पास 14000 सेंट्रीफ्यूज हैं. वह 60% शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धन कर रहा है, जो परमाणु हथियार के लिए 90% शुद्धता के करीब है.  

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गुप्त विकास: दोनों देशों ने अपने परमाणु कार्यक्रमों को गुप्त रूप से विकसित किया. ईरान के नतांज़ और फोर्डो संयंत्र 2002 और 2009 में उजागर हुए, जबकि पाकिस्तान का कहुटा संयंत्र 1980 के दशक में चर्चा में आया.

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2. उद्देश्य और नीति

ईरान: ईरान दावा करता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों, जैसे बिजली उत्पादन और चिकित्सा अनुसंधान के लिए है. हालांकि, IAEA और कई पश्चिमी देशों का मानना है कि ईरान का लक्ष्य परमाणु हथियार बनाना है.  

पाकिस्तान: पाकिस्तान ने स्पष्ट रूप से परमाणु हथियार विकसित किए हैं, जिसे वह भारत के खिलाफ रक्षा के लिए ज़रूरी मानता है. पाकिस्तान के पास अनुमानित 165 परमाणु हथियार हैं.  

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अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: पाकिस्तान को अपने परमाणु हथियारों के लिए अमेरिका से कुछ समर्थन मिला, खासकर अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध के दौरान. वहीं, ईरान को कड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है. इज़राइल व अमेरिका उसका खुलकर विरोध करते हैं.

3. सुरक्षा  

ईरान: नतांज और फोर्डो जैसे संयंत्र भूमिगत हैं, जो हवाई हमलों से बचाव के लिए बनाए गए हैं. फिर भी, इज़राइल के हमलों ने दिखाया कि ये सुविधाएं पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं.  

पाकिस्तान: कहुटा संयंत्र भी भारी सुरक्षा के घेरे में है, लेकिन इसे इज़राइल जैसे बाहरी हमलों का सामना नहीं करना पड़ा है.  

4. हाल के आंकड़े

ईरान: जून 2025 में, IAEA ने कहा कि ईरान ने परमाणु संधि (JCPOA) का उल्लंघन किया है. वह 10 परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त यूरेनियम जमा कर चुका है.  

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पाकिस्तान: पाकिस्तान के पास 165 परमाणु हथियार हैं. वह धीरे-धीरे अपनी क्षमता बढ़ा रहा है.  

ईरान और इज़राइल: तनाव का केंद्र

ईरान और इज़राइल के बीच तनाव का मुख्य कारण ईरान का परमाणु कार्यक्रम है. इज़राइल का मानना है कि ईरान का परमाणु हथियार उसकी सुरक्षा के लिए "अस्तित्व का खतरा" है. दूसरी ओर, ईरान का कहना है कि उसका कार्यक्रम शांतिपूर्ण है. वह इज़राइल के हमलों का जवाब देने के लिए तैयार है.  

2025 में इज़राइल ने नतांज पर एक बड़ा हमला किया, जिसमें कई वरिष्ठ ईरानी अधिकारी मारे गए. इस हमले ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अस्थायी रूप से नुकसान पहुंचाया, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान की तकनीकी क्षमता और फैली हुई सुविधाएं इसे पूरी तरह नष्ट करना मुश्किल बनाती हैं.  

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नतांज निश्चित रूप से ईरान के परमाणु कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसे "कैराना हिल" कहना इसकी रणनीतिक और प्रतीकात्मक अहमियत को दर्शाता है. इज़राइल के बार-बार हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को धीमा किया है, लेकिन इसे पूरी तरह रोकना अभी तक संभव नहीं हुआ है.

ईरान और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों में तकनीकी समानताएं हैं, लेकिन उनके उद्देश्य और अंतरराष्ट्रीय स्थिति अलग हैं. जहां पाकिस्तान ने परमाणु हथियार बना लिए हैं, वहीं ईरान अभी "थ्रेशहोल्ड" स्थिति में है, यानी वह हथियार बनाने की कगार पर है.  

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आने वाले समय में, ईरान और इज़राइल के बीच तनाव और बढ़ सकता है, खासकर अगर ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को और तेज़ करता है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर अमेरिका और IAEA, इस स्थिति पर नज़र रखे हुए है, लेकिन एक स्थायी समाधान अभी दूर की कौड़ी लगता है.

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