LAC के पास चीन की नई रेल परियोजना, भारत के लिए खतरे की घंटी

चीन तिब्बत-शिनजियांग रेल लाइन बना रहा है, जो अक्साई चिन और LAC के पास से गुजरेगी. यह भारत की सुरक्षा के लिए चिंता का कारण है. रेल सेना की तेज तैनाती में मदद करेगी. भारत अभी चुप है, लेकिन अपनी सीमा सुरक्षा मजबूत कर रहा है.

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ल्हासा से गोलमुंड के बीच चीन की रेल लाइन. (File Photo: AFP) ल्हासा से गोलमुंड के बीच चीन की रेल लाइन. (File Photo: AFP)

सुशीम मुकुल

  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST

चीन एक बड़ी रेल परियोजना शुरू करने जा रहा है, जो तिब्बत को शिनजियांग से जोड़ेगी और भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास से गुजरेगी. यह रेल लाइन भारत के अक्साई चिन क्षेत्र से होकर जाएगी, जो पहले से ही विवाद का विषय है. साथ ही, यह नेपाल की सीमा और 2017 के डोकलाम विवाद वाली संवेदनशील चंबी घाटी तक भी पहुंचेगी. आइए, समझते हैं कि यह परियोजना क्या है. इसका इतिहास क्या है. भारत के लिए यह क्यों चिंता का कारण बन रही है.

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रेल परियोजना का इतिहास

चीन ने 2006 में पहली बार तिब्बत को अपनी रेल नेटवर्क से जोड़ा था. उस साल गोलमुद से ल्हासा तक की ट्रेन 4,000 मीटर की ऊंचाई पर परमाफ्रॉस्ट (जमी हुई मिट्टी) से होकर 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चली थी. यह तिब्बत को चीन के रेल नेटवर्क से जोड़ने वाला पहला कदम था. इसके बाद 2014 में ल्हासा-शिगात्से और 2021 में ल्हासा-न्यिंगची रेल लाइन शुरू की गईं. अब चीन अपनी रेल नेटवर्क को और गहराई तक ले जाना चाहता है, खासकर भारत की सीमा के पास.

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नई रेल लाइन: तिब्बत-शिनजियांग कनेक्शन

चीन 2008 से इस नई रेल परियोजना की योजना बना रहा था, जिसे अब धरातल पर उतारने की तैयारी है. यह रेल लाइन शिनजियांग के होतान से तिब्बत के ल्हासा तक जाएगी, जो करीब 2000 किमी लंबी होगी. इसकी शुरुआत तिब्बत के शिगात्से से होगी, जो नेपाल की सीमा के साथ उत्तर-पश्चिम में चलेगी, फिर अक्साई चिन से होकर शिनजियांग के होतान तक पहुंचेगी.

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यह रेखा कुनलुन, कराकोरम, कैलाश और हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं से होकर गुजरेगी, जहां औसत ऊंचाई 4500 मीटर से ज्यादा होगी. ग्लेशियर, जमी नदियां और परमाफ्रॉस्ट जैसे कठिन हालात इसे बनाने में चुनौतीपूर्ण बनाते हैं.

इस परियोजना की देखरेख नई बनाई गई शिनजियांग-तिब्बत रेलवे कंपनी (XTRC) करेगी, जिसका पंजीकृत पूंजी 95 अरब युआन (लगभग 13.2 अरब डॉलर) है. यह कंपनी 2035 तक ल्हासा को केंद्र बनाकर 5000 किमी का रेल नेटवर्क बनाना चाहती है.

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भारत के लिए चिंता के दो पहलू

यह रेल लाइन भारत के लिए दो तरह से चिंता का कारण है...

अक्साई चिन विवाद: अक्साई चिन भारत का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन 1950 से चीन के कब्जे में है. 1950 के दशक में चीन ने इसी क्षेत्र में शिनजियांग-तिब्बत हाईवे (G219) बनाया था, जो 1962 के भारत-चीन युद्ध का एक बड़ा कारण बना. उस समय भारत को इस सड़क की जानकारी तब हुई जब यह चीनी नक्शों में दिखी, जिससे कूटनीतिक तनाव बढ़ा. अब रेल लाइन भी इसी क्षेत्र से होकर जाएगी, जो भारत के लिए खतरे की घंटी है.

सीमा सुरक्षा: LAC के पास यह रेल लाइन चीन को अपनी सेना और सैन्य उपकरणों को तेजी से तैनात करने में मदद करेगी. इससे सीमा पर तनाव बढ़ सकता है, खासकर अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे संवेदनशील इलाकों में.

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अन्य रेल विस्तार और संवेदनशील क्षेत्र

चीन अपनी रेल लाइन को अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास ल्हासा-न्यिंगची रूट से आगे चेंगदू तक बढ़ाने की योजना बना रहा है, जो एक बड़ा सैन्य केंद्र है. इसके अलावा, नेपाल-तिब्बत सीमा पर ग्यिरोंग और चंबी घाटी में यदोंग काउंटी तक रेल लाइन पहुंचेगी. चंबी घाटी वह संवेदनशील क्षेत्र है, जहां 2017 में डोकलाम में भारत और चीन के बीच सैन्य टकराव हुआ था, जब चीन ने वहां सड़क बनाई थी.

भारत की प्रतिक्रिया और तैयारी

अभी तक भारत ने इस रेल लाइन पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन भारत भी अपनी सीमा पर बुनियादी ढांचा मजबूत कर रहा है ताकि चीन के साथ कदम से कदम मिलाकर अपनी सेना को तेजी से तैनात कर सके. फिर भी, चीन की यह परियोजना न सिर्फ महत्वाकांक्षी है, बल्कि आक्रामक भी मानी जा रही है.

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