17 साल की लड़की से रिश्तेदार ने किया रेप, 5 साल बाद कोर्ट ने सुनाई 20 साल की सजा

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने एक व्यक्ति को अपनी 17 वर्षीय रिश्तेदार से बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने के जुर्म में 20 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. विशेष न्यायाधीश ए डी हरने ने आरोपी जीवन अशोक वडविंडे को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आरोपों का दोषी पाया.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

aajtak.in

  • ठाणे,
  • 07 जून 2025,
  • अपडेटेड 6:25 PM IST

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने एक व्यक्ति को अपनी 17 वर्षीय रिश्तेदार से बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने के जुर्म में 20 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. विशेष न्यायाधीश ए डी हरने ने आरोपी जीवन अशोक वडविंडे को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आरोपों का दोषी पाया.

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अदालत ने आरोपी को 20 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई. उस पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माने में से 18 हजार रुपए पीड़िता को मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे. अदालत ने यह भी सिफारिश की कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, ठाणे पीड़िता के लिए मुआवजे की आगे की राशि तय करे. 22 मई का आदेश शनिवार को उपलब्ध कराया गया.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी ने 5-6 जुलाई 2020 की रात को डोंबिवली में एक रिश्तेदार के घर पर लड़की का यौन उत्पीड़न किया. यह अपराध एक महीने बाद तब प्रकाश में आया जब लड़की गर्भवती पाई गई और उसने अपने परिवार को इसकी जानकारी दी. न्यायाधीश ने पीड़िता के साक्ष्य पर काफी जोर दिया, जिसमें मेडिकल रिपोर्ट और जन्म प्रमाण पत्र शामिल थे.

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इससे साबित हुआ कि वह नाबालिग थी. उन्होंने अपने फैसले में कहा, "अदालत को अपराध के सामाजिक प्रभाव पर विचार करना चाहिए, खासकर जहां यह महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित है. अदालत को अपराध की गंभीरता, पीड़िता की उम्र, समाज में कलंक जैसी पीड़िता द्वारा सामना की जाने वाली गंभीर कठिनाई को भी ध्यान में रखना चाहिए."

बताते चलें कि अप्रैल में ठाणे में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार करने के जुर्म में एक अपराधी को 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी. ये वारदात साल 2019 में हुई थी. भिवंडी अदालत में जिला न्यायाधीश एनके करांडे ने मंगलवार को अपने आदेश में आरोपी लल्ला महमूद शाह को भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया. 

उस पर 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया. न्यायाधीश एनके करांडे ने ने अपने आदेश में कहा था कि अभियोजन पक्ष ने भिवंडी के निवासी आरोपी के खिलाफ सभी आरोपों को उचित संदेह से परे सफलतापूर्वक साबित कर दिया. विशेष लोक अभियोजक विजय मुंडे ने अदालत को बताया कि आरोपी ने 22 अगस्त, 2019 को 14 वर्षीय लड़की के घर में घुसकर चाकू की नोंक पर उसके साथ बलात्कार किया. 

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इस वारदात को अंजाम देने के बाद फरार हो गया. उन्होंने पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत का हवाला देते हुए अदालत को बताया कि आरोपी द्वारा लड़की पर यह दूसरा यौन उत्पीड़न था, जबकि पहला यौन उत्पीड़न आठ दिन पहले हुआ था. अधिवक्ता मुंडे और खंडागले ने बताया कि आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए अदालत ने पीड़िता, उसकी मां और दादी सहित पांच गवाहों से पूछताछ की थी. 

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