क्रिप्टो में निवेश, मोटे मुनाफे का लालच और करोड़ों की ठगी... दिल्ली में साइबर ठगों के बड़े गिरोह का पर्दाफाश!

Cryptocurrency Investment Scam: साइबर ठग लोगों को अपनी जाल में फंसाने के लिए नए-नए तरकीब अपना रहे हैं. डिजिटल अरेस्ट, ओटीपी स्कैम के बाद क्रिप्टो स्कैम के जरिए लोगों से करोड़ों रुपए ठगे जा रहे हैं. ताजा मामला दिल्ली में सामने आया है. यहां एक कारोबारी से 40 लाख रुपए ठग लिए गए हैं.

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दिल्ली के कारोबारी को मुनाफे का लालच देकर साइबर ठगों ने लगाया लाखों का चूना. (Photo: X/@CrimeBranchDP) दिल्ली के कारोबारी को मुनाफे का लालच देकर साइबर ठगों ने लगाया लाखों का चूना. (Photo: X/@CrimeBranchDP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 5:27 PM IST

दिल्ली में एक कारोबारी को मुनाफे का लालच देकर कर लाखों रुपए की ठगी करने वाले गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. गिरोह के मास्टरमाइंड समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस जांच में सामने आया कि यह गिरोह फर्जी क्रिप्टो प्लेटफॉर्म और म्यूल बैंक अकाउंट्स की आड़ में लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका है. इस गिरोह के नेटवर्क के बारे में पूछताछ की जा रही है.

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एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, 47 वर्षीय कारोबारी दिल्ली के महेंद्रू एन्क्लेव का रहने वाला है. उसकी स्टेशनरी की दुकान है. आरोपियों ने उसे एक नकली प्लेटफॉर्म के जरिए क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का झांसा दिया. उसे भारी मुनाफे का लालच देकर फंसाया गया. कारोबारी ने झांसे में आकर साइबर ठगों द्वारा उपलब्ध कराए गए अलग-अलग बैंक खातों में करीब 39.5 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए.

इस मामले की शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी. इस दौरान करोल बाग स्थित एक प्राइवेट बैंक में 'आरएस मैनेजमेंट सर्विसेज' नाम से संचालित एक म्यूल अकाउंट का पता चला. इसमें 17 फरवरी को ठगी की रकम में से 10 लाख रुपए जमा किए गए थे. पुलिस ने पाया कि यह अकाउंट नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर दर्ज कम से कम नौ शिकायतों से जुड़ा है.

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गिरफ्तारी से बचने के लिए ये तरीके अपना रहा था ठग

पुलिस के मुताबिक, खाताधारक कृष्ण कुमार उर्फ मोनू (42) पहाड़गंज का रहने वाला है. ठगी के बाद से वो लगातार घर और मोबाइल नंबर बदलकर गिरफ्तारी से बचने की कोशिश कर रहा था. 20 अगस्त को तकनीकी निगरानी और खुफिया इनपुट की मदद से पुलिस ने उसे धर दबोचा. उसकी निशानदेही पर दीपू (32) को गिरफ्तार किया गया, जो गोपालपुर का रहने वाला है. उसकी भूमिका अहम रही है. 

खाताधारकों को ऐसे किया करता था गुमराह, लेकिन...

दीपू ने म्यूल अकाउंट्स की व्यवस्था की थी. वो खाताधारकों को यह कहकर गुमराह करता था कि पैसे गेमिंग गतिविधियों से जुड़े हैं. उसने अपने साथी अरविंद और इरफान शेख (31) के साथ मिलकर धोखाधड़ी वाले ट्रांजैक्शन किे थे. इरफान जीटीबी एन्क्लेव का रहने वाला है. वो खाताधारकों पर नजर रखता था. अरविंद साइबर ठगों के संपर्क में रहता था. उन्हीं से ठगी गई रकम खातों में पहुंचवाता था. 

'लेयर्ड ट्रांजैक्शन' के जरिए पुलिस से बचने की कोशिश

इस वक्त अरविंद साइबर वेस्ट थाने में दर्ज एक अन्य केस में पहले से ही न्यायिक हिरासत में है. पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी कई बैंक खातों के जरिए पैसे तेजी से इधर-उधर करते थे, ताकि ट्रांजैक्शन की ट्रेल पकड़ना मुश्किल हो जाए. इसे ही 'लेयर्ड ट्रांजैक्शन' कहा जाता है. यह गिरोह इसी तकनीक के जरिए ठगी की रकम को गायब कर देता था. इरफान पहले भी एक मामले में गिरफ्तार हो चुका है. 

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साइबर ठगी गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश में पुलिस

इस बार भी उसकी भूमिका खाताधारकों पर नजर रखते हुए सक्रिय रखने की रही है. फिलहाल पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है. इस गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश की जा रही है. लोगों से ठगी की गई रकम की रिकवरी के लिए भी पुलिस की टीम लगातार प्रयास कर रही है.

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