उदयपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र झाड़ोल के मगवास में राजीविका से जुड़ी महिलाएं हर्बल गुलाल बनाकर बढ़िया मुनाफा कमा रही हैं. इस गुलाल को बाजार में दो सौ से तीन सौ रुपये किलो की दर से बेचा जा रहा है. ये गुलाल फूलों के रस और अन्य प्राकृतिक सामाग्रियों से बनाया जा रहा है. इनसे बने रंगों से शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. इस वक्त श्रीनाथ राजीविका वनधन विकास केंद्र से जुड़ी 60 महिलाएं रोजाना एक क्विंटल गुलाल का उत्पादन कर रही हैं.
तीन साल पहले गुलाल बनाने की हुई ती शुरुआत
समूह द्वारा बनाए जा रहे इस गुलाल की डिमांड हिमाचल प्रदेश,दिल्ली,कोलकाता,बिहार,महाराष्ट्र सहित राजस्थान के विभिन्न जिलों से आ चुकी है. समूह द्वारा तीन साल से यह गुलाल बनाया जा रहा है. तीन साल पहले इन 60 महिलाओ ने हर्बल गुलाल बनाने की ट्रेनिंग ली. इसके बाद 2021 में इन महिलाओं द्वारा 30 क्विंटल हर्बल गुलाल बनाया गया. वहीं 2022 में 60 क्विंटल हर्बल गुलाल बनाकर 12 लाख रुपए अर्जित किए गए. इस वर्ष भी इन महिलाओं द्वारा अभी तक 21 क्विंटल गुलाल बना दिया गया है.
हर्बल गुलाल बनाने के लिए समूह की महिलाएं आस पास के जंगल से पलाश, कनेर, गेंदा, गुलाब आदि फूल, रिजके के पत्ते, चुकंदर आदि इकट्ठा करती हैं. इन सबको साफ पानी से धोकर पानी में उबालती हैं. इस मिश्रण को छानकर ठंडा किया जाता है. इस मिश्रण को अरारोट के आटे में मिलाकर सुखाया जाता है. सूखने के बाद इसमें गुलाबजल व इत्र मिलाया जाता है. इसके बाद इसे छानकर पैकेट में पैक किया जाता है. इसे बनाने में कुल 3 दिन का वक्त लगता है. पहला दिन फूल पत्तियां बीनने में, दूसरा दिन उबालकर मिश्रण तैयार करने और तीसरा दिन सुखाकर पैक करने में लगता है.
दो सौ से तीन सौ रुपए किलो की दर से बाजार में बिकता है
महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे गुलाल को समिति द्वारा बाजार में दो सौ से तीन सौ रुपए किलो की दर से बेचा जा रहा है. होलसेल में यह गुलाल 210 रुपए प्रति किलो और राजिविका के स्टोर पर रिटेल में 300 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है. एक किलो गुलाल बनाने में करीब सवा सौ रुपए की लागत आती है. बाजार में ये 200 से 300 रुपये किलो बिकता है. इससे महिलाओं को एक किलो पर 60 से 100 रुपये तक का शुद्ध मुनाफा होता है. गुलाल बनाने के लिए काम कर रही 60 महिलाओ को समिति द्वारा 200 रुपया प्रतिदिन मजदूरी दी जाती है. साथ ही उनके भोजन की व्यवस्था भी की जाती है.
यहां मिल रहा हे यह हर्बल गुलाल
श्रीनाथ राजीविका वनधन विकास केंद्र मगवास की महिलाओं द्वारा बनाया जा रहा गुलाल जनजाति निगम द्वारा पुरे भारत में संचालित ट्राइब्स इंडिया के सभी स्टाल पर,उदयपुर में लोक कला मंडल के बाहर,सेलिब्रेशन मॉल में लगे स्टाल पर उपलब्ध है. वहीं, यह हर्बल गुलाल सभी सरकारी विभागों,सचिवालय, संसद,मसूरी स्तिथ आई ए एस ट्रेनिंग सेंटर,सभी पंचायत समितियों तक पहुंच चुका है.