Trout fish farming: पारंपरिक रूप से खेती-किसानी में कम होते मुनाफे को देखते हुए भारत में किसान अब वैकल्पिक मार्ग अपना रहे हैं. ऐसे में भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी संख्या में किसान मछली पालन की तरफ रूख कर रहे हैं और बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं.
इन दिनों मछली पालन में ट्राउट मछलियों की धूम है. इसे मछली पालन के लिए सबसे अच्छी प्रजाति मानी जाती है. मीठे पानी में पाली जाने वाली ये मछलियां जेनेरा ओंकोर्थनचस और साल्वेलिनस परिवार से संबंध रखती हैं. कश्मीर का कम तापमान इनके जिंदा रहने के लिए सबसे उपयुक्त है. इसलिए यहां बड़े स्तर पर इन मछलियों का पालन किया जाता है.
दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ा ट्राउट फिश फार्म वर्तमान में किसानों के लिए ट्राउट बीज का उत्पादन कर रहा है. जम्मू-कश्मीर मत्स्य पालन विभाग के संयुक्त निदेशक मुजफ्फर बजाज बताते हैं कि इस फार्म से हर साल 45 लाख ट्राउट फिश के बीजों का उत्पादन किया जा रहा है. यहीं से देश भर में ट्राउट मछलियों को अन्य इकाइयों के तक पहुंचाया जाता है.
मुजफ्फर बजाज आगे कहते हैं कि, "ट्राउट मछलियों का बीज बोने की प्रक्रिया नवंबर में शुरू होती है और फरवरी तक जारी रहती है. इस प्रकिया के पूरी होने के बाद हम इसे देश के अन्य राज्यों में भी निर्यात करते हैं. आपको बता दें ट्राउट फिश के एक बीज की बिक्री तकरीबन 1200 से 1300 रुपये में होती है. ऐसे में प्रदेश में ज्यादातर मछली पालक इसका कारोबार कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं.
मुजफ्फर बजाज जानकारी देते हैं कि इस समय मत्स्य पालन विभाग के पास कश्मीर में 750 ट्राउट मछली पालन इकाइयाँ हैं और अगले साल यह संख्या 1000 इकाइयों तक पहुंच जाने की संभावना है.
कोकेरनाग ट्राउट फिश फार्म के परियोजना प्रबंधक उमर रहमान के मुताबिक, कश्मीर घाटी के ग्रामीण क्षेत्रों में ट्राउट मछली पालन की सबसे अच्छी संभावनाएं हैं. यहां का पानी से लेकर जलवायू तक ट्राउट मछलियों के लिए उपयुक्त है.