पठानकोट के जंगला भवानी गांव का एक युवा लोगों के लिए मिसाल बना हुआ है. कभी इंजीनियर रहे रमन सलारिया आज स्ट्रॉबेरी की खेती से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. इसमें बागवानी विभाग भी उनकी मदद कर रहा है. रमन खेतों में ही स्ट्रॉबेरी की पैकिंग करते हैं. इसके बाद पठानकोट के साथ-साथ आसपास की कई मंडियों में भेज देते हैं.
इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ करने लगे खेती-किसानी
पठानकोट के रमन सलारिया पहले इंजीनियर थे. अचानक नौकरी छोड़कर वह खेती-किसानी करने लगे. पहले 3 साल तक उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती की. इसमें उन्हें काफी बढ़िया मुनाफा हुआ. इसके बाद उन्होंने स्ट्राबेरी की खेती की शुरुआत की. ड्रिप इरिगेशन की तकनीक अपनाई. रमन को एक एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती करने में 4 से 5 लाख रुपये की लागत आई. सारा खर्च निकाल कर वह तकरीबन ढ़ाई लाख रुपये तक तक मुनाफा कमा रहे हैं.
अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं
रमन सलारिया ने बताते हैं कि रोजाना स्ट्रॉबरी के फल को तोड़ा जाता है. पैक किया जाता है. इसकी खपत मंडियों में हो जाती है. उनके खेत में उगाए गए स्ट्रॉबेरी के फल का जो साइज़ और कलर मिल रहा है मंडियों में कहीं नजर नहीं आता है. फिलहाल दूसरे किसानों को भी इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहा हूं.
बागवानी विभाग कर रहा है मदद
बागवानी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रमन सलारिया की ओर से बढ़िया प्रयास किया जा रहा है. वह दूसरे किसानों को भी स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं. पहले ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की, अब अब स्ट्रॉबेरी की खेती से बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. बागवानी विभाग द्वारा उनकी हर तरीके से मदद की जा रही है.