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यूपी: परेशानी का सबब बनी आलू की बंपर पैदावार! सरकार को भी उपज बेचने को तैयार नहीं किसान

उत्तर प्रदेश में इस बार आलू की बंपर पैदावार हुई है. किसानों को उम्मीद थी कि इस बार अच्छी उपज के चलते वे बढ़िया मुनाफा कमा लेंगे. हालांकि, किसानों की इस उम्मीद पर पानी फिर गया है. मार्केट में व्यापारी किसानों से आलू 4 से 5 रुपये में भी खरीदने को तैयार नहीं हैं.

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Potato Farming
Potato Farming

उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती है. इस बार राज्य में आलू की अच्छी पैदावार हुई है. हालांकि, ये पैदावार ही किसानों के लिए मुसीबत लेकर आई है. सरकार ने राज्य के अत्यधिक आलू उत्पादन वाले जिलों में फर्रुखाबाद, मैनपुरी, एटा, कासगंज, कौशाम्बी, उन्नाव और बरेली जैसे जिलों में आलू की सरकारी खरीद शुरू कर दी है. सरकार के इस फैसले के बाद भी किसान परेशान हैं. उनका कहना है कि सरकार ने खरीद के जो मानक दिए हैं, उसके चलते हमें अपनी उपज पर अच्छी फसल नहीं मिल पाएगी. 

अलीगढ़ में नहीं मिल रहा आलू का सही रेट

अलीगढ़ में आलू की अच्छी फसल होने के बाद किसानों के चेहरे पर रौनक थी. प्रदेश सरकार ने आलू का समर्थन मूल्य भी घोषित करते हुए आलू खरीद की घोषणा कर दी. इससे भी किसानों को राहत नहीं है. बंपर आलू पैदावार के बीच किसानों को रेट नहीं मिल पा रहा है. उचित रेट नहीं मिलने से उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है. बाजार में किसानों को 300 से लेकर 350 रुपये प्रति कट्टा (50 किलो बोरी) का भाव मिल रहा है. वहीं, आलू 10 से 15 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. 

किसानों की मानें तो एक बीघा आलू की बुवाई में 15 से 18 हजार रुपये खर्च होते हैं. जनवरी में 800 रुपये कुंतल तक किसानों को रेट मिले थे. हालांकि, आलू की खुदाई एक साथ शुरू होने के बाद भाव गिर गए. मौजूदा समय में किसानों को 500 से 400 रुपये प्रति कुंतल का रेट मिल रहा है. जिले में इस बार 8.27 लाख मीट्रिक टन आलू पैदावार की उम्मीद है. वहीं, पिछले साल 7.17 लाख मीट्रिक टन पैदावार हुई थी. अलीगढ़ जनपद में 30250 हेक्टेयर में करीब 70 से 80 हजार किसान आलू की खेती करते हैं. 

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किसान देवेंद्र सिंह व जगबीर सिंह ने बताते हैं कि 650 रुपये प्रति कुंतल आलू के रेट से हमारा कोई भला नहीं होने वाला है. प्रति क्विंटल आलू की खेती में लागत ही 850 रुपये तक आती है. ऐसे में 650 रुपये प्रति कुंतल का रेट तय करना किसानों के साथ एक प्रकार का छलावा है. सरकार के रेट नाकाफी हैं क्योंकि लागत से आधा रेट सरकार दे रही है. आलू सही रेट से न बिकने पर किसानों की मुश्किल का सबब बना हुआ है. 

अलीगढ़ कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष गिर्राज गोदानी ने बताया कि सरकार ने किसानों के लिए जो रेट आलू का निर्धारित किया है उससे किसानों का कोई भला नहीं होने वाला है. कम से कम 1000 रुपये क्विंटल किसानों को भाव मिलना चाहिए था. किसानों को कोल्ड स्टोरों में आलू रखने में फ़िलहाल कोई दिक्कत नहीं आ रही है. हमारी किसानों से अपील है कि वह कोल्ड स्टोरों में छोटे आलुओं को रखने न आएं.बड़े आलू को स्टोर करेंगे तो उसकी अच्छी क़ीमत किसानों को मिल जाएगी. कोल्ड स्टोरेज में किसान आलू की उपज को अक्टूबर तक रख सकेंगे.

फिरोजाबाद में भी आलू उत्पादक किसानों का हाल बेहाल 
        
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा आलू उत्पादन वाले जिलों में फिरोजाबाद भी एक है. आलू रखने के लिए यहां 148 कोल्ड स्टोरेज हैं. इस बार इतना अधिक आलू का उत्पादन हुआ है. आलू की कीमत काफी ज्यादा गिर गई है. किसानों के मुताबिक आलू मुश्किल से 4 से 5 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. 

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किसान प्रवीन कुमार बताते हैं कि सरकार किसानों से आलू 6.50 रुपये प्रति किलो खरीदने की बात कर रही है. उनके पास अभी तक कोई भी अधिकारी कर्मचारी आलू खरीदने से संबंधित नहीं आया. किसानो का आरोप है कि बिचौलियों व आढ़तियों ने इस पूरे इलाके में आलू की कीमतें बढ़ने नहीं दिया. जिले में इस वर्ष लगभग 16 लाख 80 हजार मैट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ है. जिला खाद्य अधिकारी कहते हैं कि उनके पास 14 लाख मैट्रिक टन आलू के भंडारण की क्षमता है. 2 लाख 80 हजार मीट्रिक टन आलू का जो उत्पादन हुआ है, उसे रखने का कोई स्थान नहीं है.किसानो क़ी समस्या है कि जमीन से निकालने के बाद 1 सप्ताह के अंदर आलू का इस्तेमाल होना जरूरी है, नहीं तो आलू में कीड़े पड़ जाएंगे.

आलू की सरकारी खरीद, फिर भी आलू उत्पादक परेशान 

आलू पर सही मूल्य नहीं मिलने की वजह से मैनपुरी में कोल्डस्टोरेज के बाहर लगी आलू से भरे वाहनों की लगी लंबी लाइनें लगी हुई हैं. उधर यूपी सरकार ने आलू किसानों की इन्ही सब समस्याओं को देखते हुए 13 मार्च से मैनपुरी सहित यूपी के सात जिलों में सरकारी केंद्रों पर हाफेड के माध्यम से आलू की खरीद शुरू कर दी है.

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किसान तेज सिंह मंडी में अपना आलू आढती को बेचने आये थे. उन्होंने बताया कि पांच बीघा में आलू क़ी खेती किया था.लेकिन लागत तक नही निकल पा रही है. उन्होंने सरकारी खरीद पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए बताया कि जो सरकार ने 45 से 85 मिलीमीटर का मानक रखा है, वह सही नहीं है. इसके बाद बचे हुए छोटे और बड़े साइज़ आलू हम कहा ले जाएंगे.

किसान भुवनेश मिले.उन्होंने बताया आलू की खेती में लागत तो बहुत आई पर उपज पर मूल्य कुछ नही मिल रहा. अब हम आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखेंगे, जब आलू का भाव बढ़ेगा तभी हम इसे बाजार में बेचेंगे. सरकार को आलू बेचने का कोई फायदा नही है. वे सिर्फमीडियम साइज का आलू लेंगे और बाकी का छोड़ देंगे.

जिला उघान अधिकारी ने बताया कि मैनपुरी मै 52 शीतगृह है. इस बार 619500 मैट्रिक टन आलू की  पैदाबार हुई है.कुल 20650 क्षेत्रफल हेक्टेयर में आलू की पैदाबार हुई है.मैनपुरी में कुल कोल्डस्टोरेज 52 है जिनमे से सात कोल्डस्टोरेज एक दम फुल हो चुके है.बाकी के लगभग  65% से अधिक भर चुके

हाफेड के सहायक प्रबंधक एस के सुमन ने बताया कि हमलोगों ने तो सेंटर टाइम से खोल लिया लेकिन अभी किसान नही आ रहे है.अभी प्रचार प्रसार की भी कमी है. 45 से 85 मिमी० आकार वाले आलू ही लिए जाएंगे. 

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फर्रुखाबाद में भी आलू किसान परेशान

फर्रुखाबाद जनपद प्रदेश का सर्वाधिक आलू पैदा करने वाला जनपद है. यहां इस बार भी आलू की बंपर पैदावार हुई है. किसानों ने सोचा था कि इस बार उन्हें उपज पर अच्छी कीमत मिलेगी. हालांकि, मंडी में आलू की मांग कम होने के कारण किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहा है. हालात बद से बदतर हो रहे हैं.

फर्रुखाबाद की सातनपुर स्थित आलू मंडी में आलू बेचने आए किसान रामदत्त ने बताया कि हमारी आलू को लागत भी नहीं निकल रही थी.खेतों में मजदूरी का भी पैसा नहीं निकल पा रहा है हम लोग उधार लेकर के खेती-बाड़ी करते हैं लेकिन इस बार हम आलू की फसल के चलते कर्जदार हो गए हैं.

आलू विकास अधिकारी राम नारायन वर्मा ने बताया की जनपद फर्रुखाबाद में इस वर्ष 43000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की फसल पैदावार की गई है. कुल 13.50 लाख मीट्रिक टन आलू पैदा हुआ है.जिले में कुल 95 कोल्ड स्टोरेज हैं. आलू की भंडारण क्षमता 8.91 मीट्रिक टन है. 


 

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