
खेती-किसानी में रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को जागरूक किया जा रहा है. सरकार रासायनिक कीटनाशक मुक्त फसलों की खेती को प्रोत्साहित कर रही है. केंद्र सरकार की तरफ से इसको लेकर कई तरह की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. भारत में जैविक खेती को भी बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है. इस तरह की खेती के लिए खेतों में खाद के तौर पर ऑर्गेनिक वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करना जरूरी हो जाता है.
वर्मी कंपोस्ट के बिजनेस बढ़िया मुनाफा कमा रहा ये शख्स
वर्मी कंपोस्ट बनाकर भी पैसे कमाए जा सकते हैं, ऐसा ख्याल शायद ही कुछ साल पहले किसी के जेहन में रहा हो. वर्मी कंपोस्ट के बिजनेस से अच्छा पैसा कमा सकते हैं, इसे राजस्थान के जयपुर के सुंदरपुरा गांव के रहने वाले डॉ. श्रवण यादव ने ऐसा कर दिखाया है. आज वह देश के कई राज्यों में अपने वर्मी कंपोस्ट यानी केंचुआ खाद की डिलीवरी करते हैं. इससे उनको हर महीने बंपर मुनाफा हो रहा है.
मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ जैविक खेती में की पीएचडी
श्रवण बताते हैं कि शुरुआत से ही खेती में उन्हें काफी रुचि थी. अपनी सारी पढ़ाई भी खेती से जुड़े विषयों से ही की है. ऑर्गेनिक फार्मिंग में एमएससी किया. साल 2012 में उन्होंने JRF की स्कॉलरशिप मिली. इस बीच मल्टीनेशनल कंपनी में उनकी नौकरी भी लगी. हालांकि, मन नहीं लगने के चलते नौकरी से कुछ ही वक्त में इस्तीफा दे दिया. फिर ‘उदयपुर महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी’ से जैविक खेती की पर पीएचडी भी करने लगे. 2018 में सीनियर रिसर्च फ़ेलोशिप का काम उसी यूनिवर्सिटी में मिल गया.

लॉकडाउन में शुरू किया वर्मी कंपोस्ट का बिजनेस
साल 2020 में लॉकडाउन हुआ तो वह भी वापस अपने घर लौट आए. खाली रहने के दौरान वर्मी कंपोस्ट का बिजनेस शुरू करने का आइडिया उनके दिमाग में आया. इस दौरान उन्होंने 17 बेड के साथ Vermicompost का एक छोटा सा यूनिट डाला. शुरुआत में लोगों ने ताना दिया कि इतनी पढ़ाई करने के बाद गोबर का काम रहा है. परिवार भी इस काम के खिलाफ था. जबसे अच्छा मुनाफा मिलने लगा सबकी शिकायतें दूर हो गईं. परिवार भी साथ आ गया.
17 बेड्स से की थी शुरुआत, अब 1800 बेड्स का बिजनेस
श्रवण ने खास बातचीत में बताया कि सबसे पहले 17 बेड के साथ Vermicompost का एक छोटा सा यूनिट डाला था. अब वर्मीकंपोस्ट के बेड्स की संख्या 1800 कर दी है.11 लोगों को रोजगार दे रखा है. इसके अलावा केंचुआ खाद देने का तरीका भी बिल्कुल अलग है. उन्होंने बताया कि मैं 1 किलो में लगभग 2000 से 2500 केंचुएं किसानों को देता हूं. वहीं, अन्य लोग एक किलो वर्मी कंपोस्ट में लगभग 300 से 400 केंचुएं ही किसानों को देते हैं. इसके अलावा कैंप लगाकर किसानों को वर्मी कंपोस्ट बनाने की ट्रेनिग भी देता हूं.

सोशम मीडिया के जरिए मार्केटिंग
श्रवण ने अपने वर्मी कंपोस्ट खाद को बेचने के लिए सोशल मीडिया को माध्यम बनाया. वह फेसबुक, इंस्टाग्राम और X के सहारे अपने वर्मी कंपोस्ट की मार्केटिंग करते हैं. इसी सोशल मीडिया माध्यमों के जरिए लोग उनसे संपर्क करते हैं और ऑर्डर देते हैं. फिर वे ग्राहकों के ऑर्डर की डिलीवरी दिए गए पते पर करते हैं. उन्होंने बतायि कि डॉ. ऑर्गेनिक वर्मी कंपोस्ट नाम से एक यूट्यूब चैनल भी है, जिसपर वह इससे जुड़ी जानकारी की वीडियोज भी डालते हैं. साथ ही इस चैनल पर वर्मी कंपोस्ट बनाने की विधियों के बारे में भी कई ट्यूटोरियल वीडियो अपलोड कर रखे हैं.
मिल चुके हैं कई अवॉर्ड
बता दें कि श्रवण को साल 2022 में पूरे राजस्थान में बेस्ट जैविक किसान का अवॉर्ड मिल चुका है. इसके अलावा मार्च 2023 में उन्हें IARI PUSA New Dehli में कृषि मेले में BEST IARI INNOVATIVE FARM का अवार्ड भी केंद्र सरकार की तरफ से दिया गया.